कुछ भी ‘अतिरिक्त’ उन्हें पसंद नहीं था। न ही किसी भावना का भावुक प्रदर्शन करते थे। न रंगों-शब्दों की फिजूलखर्ची रामकुमार के यहां है। सौ टका…
शब्दांकन को अपनी ईमेल / व्हाट्सऐप पर पढ़ने के लिए जुड़ें