आलोचक, कवि, प्रो रघुवंश मणि को कहानियाँ ज़रूर लिखनी चाहिए। उनकी नई कहानी 'शुभ्रवस्त्रा' पढ़िए, आप भी शायद मेरी बात से सहमत होंगे। ~ सं० यह एक…
अधजले पटाखे बटोरने वाली पीढ़ी ~ रघुवंश मणि वर्ष: १९७४, दीपावली। स्थान : फैजाबाद, चौक और उसके आसपास। समस्त पात्र काल्पनिक हैं।
और फिर वह हॅंसी फिर उभरी आश्वस्त करती / थोड़ा ताजा थोड़ा नम / ‘‘ और ठीक हो न / कुछ लिखते भी हो / मैंने पढ़ा था शायद.........’’ रघुवंश मणि की कविता…
नेटवर्क फेल हो जायेगा, विश करोगे कब ~ रघुवंश मणि इस गैरलेखक और गैरविचारक दौर में सोचिये तो बहुत से भय लगे रहते हैं, जिनकी चर्चा में लग ज…
रघुवंशमणि का पैना व्यंग्य ! राष्ट्रधर्म -रघुवंशमणि (राज)नीति कथाएं …
कविता (Poem) रघुवंश मणि रघुवंशमणि कवि, आलोचक एवं अनुवादक। जन्म: 30.06.1964, लखनऊ। पिता: आचार्य राममणि त्रिपाठी। शिक्षा: एम.ए. अंग्रेजी…