दामिनी यादव की कविताओं की आग से ज़ेहन को बेधने वाली चिंगारियाँ निकल रही होती हैं। पढ़िए उनकी दो ताज़ा कविताएं ~ सं०
बाकी बहुत ज़्यादा बातें तो मैं जानती नहीं, पर जो समझ पाती हूं वो और है और जो समझाई जाती हूं वो और है... अंडा-करी और आस्था दाम…
एक से बढ़कर एक तलवारें, एक से बढ़कर एक उनकी धारें. कविता को राह दिखाती दामिनी यादव की चार एक से बढ़कर एक कवितायेँ - भरत तिवारी दामिनी यादव …
सेक्स सिर्फ एक पहलू-भर है, संपूर्ण स्त्री विमर्श नहीं। पर आजकल लगता है कि स्त्री-विमर्श का मतलब सिर्फ सेक्स-भर ही है... मैं कभी किसी गुटब…
कवितायेँ - दामिनी यादव स्वतंत्र लेखन, संपादन और अनुवाद के ज़रिये हिंदी से जुड़ी दामिनी यादव की कवितायेँ स्त्री के मन के भावों को बिना छुपा…