ब्रिटेन में हिन्दी कविता कार्यशाला - तेजेंद्र शर्मा

ब्रिटेन में बसने के बाद हिन्दी भाषा और साहित्य के प्रति बहुत से कार्य करने का अवसर मिलता रहा है। किन्तु हाल ही का अनुभव एक मामले में अनूठा रहा जहां लेस्टरशायर के लिण्डन प्राइमरी स्कूल के बच्चों के साथ मुझे एक कविता कार्यशाला (Poetry Workshop) करने का अवसर मिला। इस कार्यशाला का आयोजन Leicester Multi Cultural Association द्वारा किया गया था।

इस प्रोजेक्ट के तहत मुझे अपनी ही पचास कविताओं का हिन्दी से अंग्रेज़ी में अनुवाद करना है और लेस्टर के स्कूली बच्चों के साथ एक कविता कार्यशाला भी करनी थी।

     स्कूल के प्राध्यापक श्री मुहम्मद ख़ान, नैरोबी से ब्रिटेन आए एक भारतीय मूल के व्यक्ति हैं जिनके साथ हुई मुलाक़ात मुझे बरसों तक याद रहेगी। विद्यार्थियों के प्रति उनका पॉज़िटिव और सृजनात्मक रवैया देख कर बहुत कुछ सीखने को मिला। मुझे सबसे अधिक हैरानी यह देख कर हुई की श्री ख़ान को प्रत्येक विद्यार्थी का नाम याद था और वे सभी विद्यार्थियों को उनके पहले नाम से पुकार रहे थे। उस स्कूल में गोरे, काले, चीनी, अरबी, एव भारतीय उपमहाद्वीव आदि सभी स्थानों के बच्चे मौजूद थे।



     स्कूल के मुख्य द्वार पर गुजराती, उर्दू, पंजाबी, अरबी, एवं अंग्रेज़ी में स्वागतम लिखा था। थोड़ा असहज हो गया क्योंकि वहां हिन्दी नदारद थी। मेरा प्रयास रहेगा कि जल्दी ही वहां हिन्दी भाषा में भी स्वागतम लिखा जाए।

     मुझे पंद्रह-पंद्रह विद्यार्थियों के दो गुटों के साथ कविता की कार्यशाला करनी थी। उन्हें कविता की यात्रा सरल शब्दों में बताते हुए ब्रिटेन के हिन्दी कवियों के विषय में जानकारी देनी थी। उन्हें यह भी समझाना था कि कविता की बुनावट कैसी होती है; कविता के शब्द कैसे होते हैं; कविता में शब्दों की मित्वययता का महत्व क्या है... आदि, आदि। प्रवासी कविता किस प्रकार प्रवासियों एवं स्थानीय लोगों में एक पुल का काम कर सकती है।

     मैनें विद्यार्थियों को दावत दी कि वे चाहें तो अपनी मातृभाषा यानि कि गुजराती, उर्दू, हिन्दी या अरबी भाषा में कविता लिखने का प्रयास करें। मगर मैनें पाया कि अधिकतर विद्यार्थी अपनी मातृभाषा समझ तो पाते हैं... किसी तरह थोड़ी थोड़ी बोल भी लेते हैं... मगर लिखने का अभ्यास उन्हें बिल्कुल भी नहीं है। फिर भी एक बच्ची ने अपनी मातृभाषा अरबी में कविता की पहली दो पंक्तियां लिखीं और बाक़ी की कविता अंग्रेज़ी में पूरी की... मैनें अपनी हिन्दी कविताओं के साथ साथ उनका अंग्रेज़ी अनुवाद भी पढ़ा।

     कार्यशाला खुले में स्कूल द्वारा निर्मित एक छोटे से जंगल में भी हुई... फिर एक गोलमेज़ के इर्दगिर्द भी हुई और अंततः स्कूल के एसेम्बली हॉल में जा कर मेरे अंतिम वक्तव्य के साथ समाप्त हुई जहां बच्चों ने अपनी कर्यशाला में लिखी कविताएं पूरे आत्मविश्वास से सुनाईं।

     कुल मिला कर यह एक अद्भुत अनुभव रहा। मैं इसके लिये Leicester Multi Cultural Association के श्री विनोद कोटेचा (कोषाध्यक्ष), श्री गुरमैल सिंह (अध्यक्ष), सुनीता परमार, प्राध्यापक श्री मुहम्मद ख़ान एवं बीबीसी के भूतपूर्व पत्रकार श्री दीपक जोशी का धन्यवाद करना चाहूंगा।

 तेजेंद्र शर्मा

एक टिप्पणी भेजें

1 टिप्पणियाँ

  1. रिपोर्ट देखकर अच्‍छा लगा। कहानी के क्षेत्र में अपना सिक्‍का जमाकर इस ओर रुख़ किया। अच्‍छा लगा। तेजेन्‍द्रजी, आपको बहुत बहुत बधाई। उपन्‍यास फिर भी अपेक्षित है आपकी ओर से। =D
    शब्‍दांकन के संपादक भरतजी का आभार कि उन्‍होंने हम सबको इस रिपोर्ट व फोटो से रू-ब-रू कराया।

    जवाब देंहटाएं

ये पढ़ी हैं आपने?

विनाश-दूत – मृदुला गर्ग की मार्मिक और विचारोत्तेजक कहानी | Shabdankan
कहानी ... प्लीज मम्मी, किल मी ! - प्रेम भारद्वाज
पूरा भाषण: गयाना में पाकिस्तान की कश्मीर लालसा पर शशि थरूर का करारा जवाब
ज़ेहाल-ए-मिस्कीं मकुन तग़ाफ़ुल Zehaal-e-miskeen makun taghaful زحالِ مسکیں مکن تغافل
ईदगाह: मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी | Idgah by Munshi Premchand for Eid 2025
Hindi Story: कोई रिश्ता ना होगा तब — नीलिमा शर्मा की कहानी
मन्नू भंडारी की कहानी — 'रानी माँ का चबूतरा' | Manu Bhandari Short Story in Hindi - 'Rani Maa ka Chabutra'
दो कवितायेँ - वत्सला पाण्डेय
Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
मन्नू भंडारी की कहानी  — 'नई नौकरी' | Manu Bhandari Short Story in Hindi - 'Nayi Naukri' मन्नू भंडारी जी का जाना हिन्दी और उसके साहित्य के उपन्यास-जगत, कहानी-संसार का विराट नुकसान है