लोकार्पण: ‘ख़्वाब ख़याल और ख़्वाहिशें’ - कैप्टन नूर

     वाणी प्रकाशन द्वारा प्रकाशित कैप्टन ख़ुर्रम शहज़ाद नूर की पुस्तक ‘ख़्वाब ख़याल और ख़्वाहिशें’ का लोकार्पण नेवी चिल्ड्रन स्कूल सभागार, चाणक्यपुरी में बीते 29 मार्च 2013 को शाम 5 बजे वाइस एडमिरल हरीश चन्द्र सिंह विष्ट (AVSM ) नियंत्रक कार्मिक सेवाएँ नौसेना के मुख्य अतिथि के सान्निध्य में हुआ। वाइस एडमिरल हरीश चन्द्र सिंह विष्ट(AVSM ), दीक्षित दनकौरी, वरिष्ठ शायर, श्रीमती सितारा नूर, लेखिका व समाज सेविका, डॉ. महेश चन्द्र गुप्त, वरिष्ठ लेखक, रवि शर्मा, कवि व विचारक तथा वाणी प्रकाशन के प्रबन्ध निदेशक अरुण माहेश्वरी आदि लोगों की उपस्थिति में कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन से की।
khwab khayal aur khwahishen vani prakashan Captain Khurrum Shahzad Noor
     कार्यक्रम के वक्ता दीक्षित दनकौरी ने कहा कि पुस्तक की कितनी भी तारीफ की जाए कम है। हम तो शायरों मुशायरों में दरी बिछाने वालों में हैं। ग़ज़लकार क्या कहना चाहता है इसको समझना आसान काम नहीं है। दनकौरी ने कहा जब मैं पाँचवीं में पढ़ता था, एक बार अध्यापक ने दो पंक्तियों की कविता को समझाने के लिए पूरा ब्लैक बोर्ड ही भर दिया। मैं इस पर बोल भी पड़ा था। आज हम देखते हैं बडे़-बड़े आलोचक अपने तरीके से कवि की बात को स्पष्ट करते हैं। कवि अपनी छोटी-सी पंक्तियों के माध्यम से ही अपनी बात को स्पष्ट करता है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में अगर व्यक्ति कवि है, तो वह कभी भी गलत कार्य नहीं कर सकता है क्योंकि संवेदनशीलता ही व्यक्ति को गलत सही में अन्तर करवाती है।

ख़्वाब ख़याल और ख़्वाहिशें - मँगाने के लिए क्लिक करें


Book : Khwab Khayal Aur Khwahishen
Author : Captain Khurrum Shahzad Noor
Publisher : Vani Prakashan
Total Pages : 160
ISBN : 978-93-5072-326-5
Price : Rs. 300(HB)
Category : Ghazals/Shayari

     कार्यक्रम की दूसरी वक्ता सितारा नूर, लेखिका व समाज सेविका ने कहा कि पुस्तक लोकार्पण के अवसर पर मैं उपस्थित हूँ यह मेरे लिए गर्व की बात है। कितनी माताओं को ऐसा सौभाग्य प्राप्त नहीं हो पाता है। खु़र्रम के दादा, नाना और इनके पिता भी ग़ज़लकार थे। ग़ज़ल लिखना इन्हें विरासत में मिला है। मेरी यही इच्छा है कि यह अपनी विरासत को आगे बढ़ाते रहें। ज़मीन से जुड़कर लिखते रहें । जो भारत की ज़मीन पर नहीं है वह एनआरआई है। जरूरत है अपनी ज़मीन पर रहते हुए, देश के लिए कुछ विशेष करना।

     वक्ता डॉ. महेश चन्द्र गुप्त, वरिष्ठ लेखक ने कहा कि गुरु नानक जी की पंक्तियाँ हैं कि एक नूर से सब जग उपजा कौन अच्छा कौन बुरा। कैप्टन नूर एक सैनिक होते हुए भी इनमें दिल कवि का है। कैप्टन खुर्रम शहजाद नूर का आशय ऐसा शहजादा जो हमेशा खुश रहे और रोशन करता रहे। वाणी प्रकाशन ने पुस्तक को आपके समक्ष प्रस्तुत किया है, जो काबिले तारीफ है। गुप्त जी ने कहा के शेर दो प्रकार होते हैं। अच्छे या बुरे । जंगल वाला शेर आपको देख ले तो आपको खा भी सकता है नहीं भी। ग़ज़ल वाला शे’र उसी प्रकार का होता है। यह आपको अच्छा लगेगा या नहीं । शे’र कम शब्दों का एक सटीक उत्तर होता है।

     वक्ता रवि शर्मा, कवि व विचारक ने कहा कि एक संवेदनशील सैनिक की गज़लो की कितनी भी तारीफ की जाए कम है।

     कैप्टन ख़ुर्रम शहजाद नूर की बहन लिज़ा खान नूर ने पुस्तक में से गजल को पढ़कर अपने भाई की संवेदनशीलता को व्यक्त किया।

     लेखक कैप्टन ख़ुर्रम शहजाद नूर ने कहा कि मेरे ख़्वाबों, ख़यालों और ख़्वाहिशों को एक हकीकत में बदलने में बहुत से लोगों का हाथ रहा। मैं उन सभी का शुक्रिया अदा करता हूँ। पुस्तक में मेरे कुछ खट्टे मीठे अहसास हैं।

     मुख्य अतिथि वाइस एडमिरल हरीश चन्द्र सिंह विष्ट (AVSM ) कैप्टन खु़र्रम को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि मैं कविता नहीं जानता, लेकिन एक प्रशंसक जरूर हूँ। मैंने अपने आपको यहाँ तुच्छ पाया कि बडे़-बडे़ कवि मौजूद हैं जिनकी दुनिया ही अलग है। मेरे लिए पुस्तक लोकार्पण करना गर्व की बात है। मैं कौशाम्बी, उत्तराखण्ड का रहने वाला हूँ। मेरे दादा और कवि सुमित्रानन्दन पन्त जी साथ ही पढ़ा करते थे। अंग्रेजों का जमाना था। मुझे नौसेना में 35 वर्ष नौकरी करते हुए हो गये हैं। इस लोकार्पण कार्यक्रम में आने के बाद मैं कविताओं को नये नज़रिये से देख रहा हूँ।

     कार्यक्रम का समापन कैप्टन ख़ुर्रम शहज़ाद नूर की पत्नी आरती नूर ने सभी अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापन से किया। लोकार्पण कार्यक्रम के बाद ग़ज़लों का गायन सुभाष पांडा (पटियाला घराना) व अपर्णा त्रिपाठी (बनारस घराना) ने किया। दोनों कलाकारों ने पुस्तक की ग़ज़लों द्वारा अपनी जादूमयी आवाज़ से फिज़ा में समा बाँध दिया। इस अवसर पर अनेकानेक अधिकारीगण व पुस्तक प्रेमियों की उपस्थिति रही।

एक टिप्पणी भेजें

1 टिप्पणियाँ

  1. कैप्‍टन नूर को उनकी पुस्‍तक के लिये बधाई व प्रकाशकों को लोकार्पण समारोह आयोजित करने के लिये बधाई व आगामी पुस्‍तकों के लोकार्पण के लिये शुभ कामना।

    जवाब देंहटाएं

ये पढ़ी हैं आपने?

Hindi Story: 'शतरंज के खिलाड़ी' — मुंशी प्रेमचंद की हिन्दी कहानी
आज का नीरो: राजेंद्र राजन की चार कविताएं
भारतीय उपक्रमी महिला — आरिफा जान | श्वेता यादव की रिपोर्ट | Indian Women Entrepreneur - Arifa Jan
Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
मैत्रेयी पुष्पा की कहानियाँ — 'पगला गई है भागवती!...'
Harvard, Columbia, Yale, Stanford, Tufts and other US university student & alumni STATEMENT ON POLICE BRUTALITY ON UNIVERSITY CAMPUSES
एक पेड़ की मौत: अलका सरावगी की हिंदी कहानी | 2025 पर्यावरण चेतना
तू तौ वहां रह्यौ ऐ, कहानी सुनाय सकै जामिआ की — अशोक चक्रधर | #जामिया
गिरिराज किशोर : स्मृतियां और अवदान — रवीन्द्र त्रिपाठी
ईदगाह: मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी | Idgah by Munshi Premchand for Eid 2025