nmrk2

एक टिप्पणी भेजें

1 टिप्पणियाँ

लधुकथा: दिन बीच खाना - प्रतिभा गोटीवाले


    मेटरनिटी होम एंड टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर के बाहर लगी बेंच पर वो ग्रामीण दंपत्ति, पिछले तीन घंटे से बैठे थे , अब जाकर उनका नंबर आया था ,सिस्टर उन्हें डॉक्टर के केबिन में ले गई ।

     थोड़ी देर बाद डॉक्टर साहब ने अपने लैपटॉप से नज़रे हटा कर पूछा -"हाँ बताइये आपकी क्या समस्या हैं ?"
दंपत्ति ने एक दूसरे की ओर देखा

     फ़िर आदमी बोला- "कोई समस्या नहीं हैं तो डॉक्टर साहिब । "

     "फ़िर यहाँ क्यों आये हो भाई ...?" डॉक्टर साहब ने पूछा ।

     थोड़ा हिचकिचाता हुआ आदमी बोला -"साहिब हमने सुना हैं आजकल बच्चा भी डिज़ाइन किया जाता हैं !मतलब हम जैसा चाहे वैसा बच्चा पा सकते हैं ..!!"

     डॉक्टर साहब बड़े फ़ख्र से बोले -"हाँ आजकल विज्ञान का युग हैं भाई ! सब हो सकता हैं. यदि आप चाहते हो की आपका बच्चा एश्वर्या रॉय जैसा खूबसूरत हो या सचिन जैसा क्रिकेटर हो तो वो भी हो सकता है ,पर…. आप ये सब क्यों पूछ रहे हैं .......?"

     आदमी तुरंत ख़ुशी से चीखा -"तो… बस ! डॉक्टर साहिब बात पक्की आप तो हमारे लिये एक बच्चा डिज़ाइन कर दो और डिज़ाइन ऐसा हो की बच्चे का पेट ही न हो ........!!!!"

     "............क्या ………………. !!!"  डॉक्टर सर को पकड़कर बोला ।

     औरत धीमी आवाज़ में बोली -"वो क्या हैं  डॉक्टर साहिब... न रहेगा पेट, न लगेगी भूख़ और न मारा जायेगा हमारा बच्चा... मिड-डे मील खाकर ! "

pratibha gotiwale भोपाल की निवासी प्रतिभा गोटीवाले (बी.एससी ,एल.एल.बी,एल.एल.एम.) का जन्म 29, मार्च 1974 को बुरहानपुर (मध्य प्रदेश) में हुआ है.
ईमेल: minalini@gmail.com
nmrk2

एक टिप्पणी भेजें

1 टिप्पणियाँ

ये पढ़ी हैं आपने?

Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
गिरिराज किशोर : स्मृतियां और अवदान — रवीन्द्र त्रिपाठी
कोरोना से पहले भी संक्रामक बीमारी से जूझी है ब्रिटिश दिल्ली —  नलिन चौहान
ईदगाह: मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी | Idgah by Munshi Premchand for Eid 2025
टूटे हुए मन की सिसकी | गीताश्री | उर्मिला शिरीष की कहानी पर समीक्षा
मन्नू भंडारी की कहानी — 'रानी माँ का चबूतरा' | Manu Bhandari Short Story in Hindi - 'Rani Maa ka Chabutra'
 प्रेमचंद के फटे जूते — हरिशंकर परसाई Premchand ke phate joote hindi premchand ki kahani
ज़ेहाल-ए-मिस्कीं मकुन तग़ाफ़ुल Zehaal-e-miskeen makun taghaful زحالِ مسکیں مکن تغافل
एक स्त्री हलफनामा | उर्मिला शिरीष | हिन्दी कहानी
मन्नू भंडारी की कहानी  — 'नई नौकरी' | Manu Bhandari Short Story in Hindi - 'Nayi Naukri' मन्नू भंडारी जी का जाना हिन्दी और उसके साहित्य के उपन्यास-जगत, कहानी-संसार का विराट नुकसान है