
सोनरूपा विशाल
एम.ए (संगीत), एम.ए (हिंदी), पी .एच . डीआई सी सी आर एवं इंडियन वर्ल्ड कत्चरल फोरम (नयी दिल्ली ) द्वारा गजल गायन हेतु अधिकृत
बदायूँ

हमने सब को तोला है
उसकी रग रग जानते हैं
कब माशा कब तोला है
सुख दुःख जिसमे सोते हैं
दिल वो एक हिंडोला है
आहट को पहचान लिया
तब दरवाज़ा खोला है
फ़िक्र सुकूं दोनों हैं साथ
हमने जब सच बोला है
उसको मेरा मलाल है अब भी
चलिए कुछ तो ख्याल है अब भी
चलिए कुछ तो ख्याल है अब भी
रोज़ यादों की तह बनाता है
उसका जीना मुहाल है अब भी
तुमने उत्तर बदल दिए हर बार
मेरा वो ही सवाल है अब भी
जिसने दुश्मन समझ लिया हमको
उससे मिलना विसाल है अब भी
दफ्न होकर भी साँस है बाक़ी
कोई रिश्ता बहाल है अब भी
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