हंसी का भैसा लोटन ~ दिव्यचक्षु | Movie Review: Miss Tanakpur Haazir Ho


हंसी का भैसा लोटन / Movie Review: Miss Tanakpur Haazir Ho 

~ दिव्यचक्षु

फिल्म समीक्षा - मिस टनकपुर हाजिर हो
हंसी का भैसा लोटन  ~ दिव्यचक्षु | Movie Review: Miss Tanakpur Haazir Ho


फिल्म का हास्य थोडा भदेस जरूर है और शहरी लोगों को शायद पसंद नहीं आए, पर ये हकीकत से दूर नहीं है।


निर्देशक-विनोद कापड़ी
कलाकार- अनु कपूर, ओम पुरी, रवि किशन, संजय मिश्रा, हृषिता भट्ट

जिसे अंग्रेजी में फार्स और हिंदी में प्रहसन कहते हैं उसका ताजा फिल्मी संस्करण है `मिस टनकपुर हाजिर हो’। पत्रकार से फिल्म निर्देशक बने विनोद कापड़ी ने इसे निर्देशित किया और कहानी भी उनकी ही है। कुछ दिन पहले उनका बयान आया था कि ये फिल्म सच्ची घटनाओं पर आधारित है और फिल्म में भी इसका उल्लेख किया गया है। इसमे हास्य है लेकिन चूंकि ये प्रहसन शैली में है इसलिए इसकी कॉमडी भी थोड़ी अतिरेकी किस्म की है और साथ ही इसमें अतिनाटकीयता भी है। फिल्म पुलिस की कार्य प्रणाली, अदालती प्रक्रिया और खाप पंचायतों पर कटाक्ष भी करती है। शायद यही कारण है कि उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर की खाप पंचायत ने इसका विरोध भी शुरू कर दिया है।

अर्जुन (राहुल बग्गा) नाम के युवक को गांव का प्रधान सुआ लाल (अनु कपूर) अपनी बहुत कम उम्र की पत्नी माया (हृषिता भट्ट) के प्रेम जाल में फंसा देखकर आग बबूला हो जाता है और बदले की भावना से पहले तो उसकी जमके ठुकाई करता है और फिर उस पर आरोप लगा देता है कि उसने उसकी भैंस  के साथ बलात्कार किया है। पुलिस  से लेकर वकीलों का तंत्र सक्रिय हो जाता है और खाप पंचायत भी `विचित्र किंतु सत्य’ वाला फैसला सुनाती है कि अर्जुन को भैंस के साथ शादी करनी होगी।  अब अर्जुन क्या करेगा? या भैंस क्या करेगी? और ये कोई ऐसी वैसी भैंस नही है बल्कि टनकपुर मेले में भैंस सुंदरी रह चुकी है।

फिल्म में राहुल बग्गा और हृषिता भट्ट के पास करने के लिए कुछ खास नहीं है। और ज्यादातर दोनो मोम की मूर्तियों की तरह रहते हैं। लेकिन अनु कपूर और संजय मिश्रा ने जबर्दस्त भूमिका निभाई है और हंसी का सामान जुगाडा है। रवि किशन और ओम पुरी भी जमें हैं। फिल्म का हास्य थोडा भदेस जरूर है और शहरी लोगों को शायद पसंद नहीं आए, पर ये हकीकत से दूर नहीं है। गीत या संगीत का पक्ष कमजोर है, पर  संवादों में गंवईपन का स्वाद भी है। देश के कस्बाई इलाके के पुलिस थाने का पूरा दृश्य  तो यों भी हास्यरस से भरपूर होता है लेकिन निर्देशक ने यहां उनको ऐसा बना दिया है लेकिन आप लोटपोट के लिए मजबूर हो जाएंगे। हंसी का पूरा भैसा लोटन है यहां।

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