चिड़ियाँ द चम्बा - अनवर मक़सूद | Anwar Maqsood - Chiryan Da Chamba (Hindi Lyrics)



आँखों में नमी है 
जी अजीब सा हो रहा है
कई दफ़ा इसे सुन चुका - पहली ही बार में
अनवर मक़सूद के बोलों ने मजबूर कर दिया, कि
उन्हें लिख दूं.

........... भरत तिवारी 23/08/2015, नयी दिल्ली

साडा चिड़ियाँ द चम्बा

- अनवर मक़सूद

साडा चिड़ियाँ द चम्बा 
वे बाबुला वे
असां उड़ जाना
असां उड़ जाना


बाबा जी, आप का ख़त मिला
यूं लगा मेरे घर से कोई आ गया
आप का ख़त मेरे हाथ में है
ऐसा लग रहा है आप मेरा हाथ पकड़े हुए हैं
छोड़ना नहीं
दो दिन से यहाँ बारिशें हो रही हैं
और मैं घर मैं बैठी हुई हूँ
अपने घर में बारिश में कितना नहाती थी
अम्मा डांटती थी मुझे और मजा आता था
आसमान की तरफ देख कर कहती थी
अल्लाह साहब, और बारिश भेजो
याद है अब्बा जी, एक दिन बहोत बारिश हो रही थी
आपको मुझे स्कूल छोड़ना था
आपके साइकिल के पहिये की हवा निकल गयी थी
वो मैंने निकाली थी

स्कूल नही गयी और बारिश में नहाती रही
भाई हमेशा मुझ से लड़ कर
मुझे घर में ले जाता था
और मैं रोती हुई आ कर
आप से लिपट जाया करती थी
बाबा जी यहाँ कोई मुझ से लड़ता ही नहीं

बहोत खामोशी है
मैं तो आप कि लाडली थी
फिर मुझे इतनी दूर क्यूँ भेज दिया
अम्मा कैसी ?
किस को डांटती ?
चिड़ियों से बाते कौन करता ?
बकरियों को चारा कौन डालता ?
तुम्हारी पगड़ी में कलफ कौन लगता
बहुत कुछ लिखना चाहती हूँ बाबू जी
लिखा नहीं जा रहा
तुम सब बहुत याद आते हो
तुम्हारी लाडली

बैठी जन्ज बूहा मल के
होना मैं परदेसन भल्के
घर दियां कुंजियाँ साम्भले मां नी तु
घर दियां कुन्जियान साम्भले मां
असां उड़ जाना
साडा चिड़ियाँ द चम्बा

बाबा जी नाराज हो
अगर नही हो तो फिर अपनी लाडली को
ख़त क्यूँ नही लिखा
बहोत सारी बातें तुम्हें बतानी हैं

अम्मा से कहना अपनी हरी चादर
तलाश करना छोड़ दे
वो मैंने चुपके से अपने बक्से में रख ली थी
जब अम्मा कि याद आती
मैं वो चादर सूंघ लेती हूँ
और यूं लगता है मैं अम्मा की बांहों में हूँ
तुमने जो कलम भाई के पास होने पे उसको दिया था
वो भी मैं ले आयी
अब भाई कलम ढूँढेगा तो मुझे याद करेगा
तुम्हारी टूटी हुई ऐनक भी अपने साथ ले आयी
सारा दिन शीशे जोड़ने की कोशिश करती रहती हूँ
और तुम सामने बैठे रहते हो
बाबा जी इन्हीं बातों से तो मेरा दिन कट जाता है
बाबा जी मैंने कल रात इक ख्वाब देखा
तुम अम्मा भाई सहन में बैठे
बहोत खुश नजर आये
बाबा जी मगर मैं उदास हो गयी
आम के पेड़ पे जो मेरा झूला था ना
वोह नजर नहीं आया
तुम लोगो ने ऐसा क्यूँ किया, उसे डलवा दो
मैं अब भी उसी झूले पर बैठती हूँ
और कच्चे आम तोड़ के खाने लगती हूँ
तुम ने अच्छा नही किया बाबा जी
तुम्हारी लाडली

अम्बरी  बाबल वीर पये तक्दे
लिखियां नु ओह मोर ना सक्दे
टुट गये सारे अज्ज मान मेरे
असां उड़ जाना
साडा चिड़ियाँ द चम्बा 
वे बाबुला वे 
साडा चिड़ियाँ द चम्बा

००००००००००००००००

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

ये पढ़ी हैं आपने?

Hindi Story: 'शतरंज के खिलाड़ी' — मुंशी प्रेमचंद की हिन्दी कहानी
आज का नीरो: राजेंद्र राजन की चार कविताएं
भारतीय उपक्रमी महिला — आरिफा जान | श्वेता यादव की रिपोर्ट | Indian Women Entrepreneur - Arifa Jan
Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
मैत्रेयी पुष्पा की कहानियाँ — 'पगला गई है भागवती!...'
Harvard, Columbia, Yale, Stanford, Tufts and other US university student & alumni STATEMENT ON POLICE BRUTALITY ON UNIVERSITY CAMPUSES
एक पेड़ की मौत: अलका सरावगी की हिंदी कहानी | 2025 पर्यावरण चेतना
तू तौ वहां रह्यौ ऐ, कहानी सुनाय सकै जामिआ की — अशोक चक्रधर | #जामिया
गिरिराज किशोर : स्मृतियां और अवदान — रवीन्द्र त्रिपाठी
ईदगाह: मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी | Idgah by Munshi Premchand for Eid 2025