रवीन्द्र कालिया ने नयी पीढ़ी को स्टार की तरह पालापोसा - चित्रा मुद्गल


रवीन्द्र कालिया ने नयी पीढ़ी को स्टार की तरह पालापोसा - चित्रा मुद्गल #शब्दांकन

रवीन्द्र कालिया का जाना एक अपूर्णीय क्षति है,

क्योंकि वो ऐसे लेखक थे जिन्होंने 'ख़ुदा सही सलामत' जैसा उपन्यास दिया, जबकि उनके समकालीन ज्ञानरंजन उपन्यास नहीं दे पाए - चित्रा मुद्गल


मुझे लगता है कि वो हिंदी साहित्य के ऐसे संपादक थे जिन्होंने नयी पीढ़ी को स्टार की तरह पालापोसा और उनके क़द को मनवाया और उसके साथ-साथ सबसे महत्वपूर्ण बात है कि उनके अन्दर सृजन की नयी पीढ़ी के सृजनकारों को अभिव्यक्ति की वही स्वतंत्रता प्रदान की जो वो स्वयं के लिए चाहते रहे थे, यही वजह थी कि उन्होंने कभी भी चाहे वो - 'धर्मयुग' हो, चाहे 'वागर्थ', चाहे 'नया ज्ञानोदय' - से जुड़े रहे थे उन्होंने अपनी दृष्टि को आरोपित नहीं किया न उन्होंने फार्मूले परोसे कि तुम इस तरह लिखो...


००००००००००००००००


ये पढ़ी हैं आपने?

Hindi Story: कोई रिश्ता ना होगा तब — नीलिमा शर्मा की कहानी
इरफ़ान ख़ान, गहरी आंखों और समंदर-सी प्रतिभा वाला कलाकार  — यूनुस ख़ान
विडियो में कविता: कौन जो बतलाये सच  — गिरधर राठी
कहानी ... प्लीज मम्मी, किल मी ! - प्रेम भारद्वाज
ज़ेहाल-ए-मिस्कीं मकुन तग़ाफ़ुल Zehaal-e-miskeen makun taghaful زحالِ مسکیں مکن تغافل
Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
एक पेड़ की मौत: अलका सरावगी की हिंदी कहानी | 2025 पर्यावरण चेतना
ईदगाह: मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी | Idgah by Munshi Premchand for Eid 2025
रेणु हुसैन की 5 गज़लें और परिचय: प्रेम और संवेदना की शायरी | Shabdankan
परिन्दों का लौटना: उर्मिला शिरीष की भावुक प्रेम कहानी 2025