जनरल टिकट को आरक्षित न करें प्रभु जी - अमित मिश्रा


जनरल टिकट को आरक्षित न करें प्रभु जी - अमित मिश्रा #शब्दांकन

'प्रभु' के नाम जनरल डिब्बे के अभागी यात्री का खुला खत

- अमित मिश्रा

28 जनवरी 2016 ख़बर: 
अनरिजर्व्ड टिकट पर यात्रियों को टिकट जारी होने के समय से तीन घंटे के भीतर अपनी यात्रा शुरू करनी होगी। रेलवे ने अनरिजर्व्ड टिकट पर दिनभर यात्रा करने की चालबाजी को रोकने का यह हल ढूंढा है। इसके तहत अनरिजर्व्ड टिकट डेस्टिनेशन के लिए पहली ट्रेन छूटने तक या टिकट जारी होने के तीन घंटे तक ही वैध रहेंगे। इन टिकटों को अब समयसीमा के साथ जारी किया जाएगा।
टिकट जारी होने के तीन घंटे के अंदर अगर यात्रा नहीं शुरू हुई तो मुसाफिर को बेटिकट माना जाएगा। इस संबंध में रेलवे बोर्ड की ओर से नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है। रेलवे का नया नियम 1 मार्च 2016 से लागू होगा।


प्रिय रेल मिनिस्टर सुरेश प्रभु जी,


सबसे पहले तो अभिवादन और धन्यवाद स्वीकार करें कि आपने रेल में परेशानियों को निपटाने के लिए ट्विटर नाम की एक नई विंडो खोल दी है। मैंने पता करने की कोशिश की है लेकिन लगता है यह अभी हमारे कस्बे में नहीं खुली है। सुनते हैं कि आपका नाम ही प्रभु नहीं है बल्कि आपके काम भी भगवान की तरह है।

जैसे भगवान भक्त मन की बात जानकर समधान कर देते हैं वैसे ही आप मोबाइल के जरिए लोगों की परेशानी रास्ते में जानकर ही उनका समाधान कर देते हैं। मेरे पास आपका नंबर नहीं है और न ही इंटरनेट है जिसके जरिए आपसे कोई गुहार लगा सकूं इसलिए खत का सहारा ले रहा हूं।

आपने चाय बेच कर अपने करियर की शुरुआत करने वाले अपने पीएम से भी इस बारे में जरूर राय ली होगी

आज सुबह ही खबर सुनी है कि आपने जनरल टिकट का नियम बदल दिया है। अब टिकट न तो दिन भर काम आ पाएगा और न ही अडवांस में आने-जाने का टिकट निकलवाया जा सकेगा। आपने चार्टर्ड अकाउंटेट की पढ़ाई की है तो जरूर ऐसे फैसले से पहले कोई बड़ा हिसाब-किताब लगाया होगा। आपने चाय बेच कर अपने करियर की शुरुआत करने वाले अपने पीएम से भी इस बारे में जरूर राय ली होगी। लेकिन मुझे लगता है कि या तो आप दोनों ने कभी जनरल क्लास डिब्बे में सफऱ नहीं किया है या किया भी है तो बहुत पहले और अब आपको याद नहीं कि यह कैसा होता है।


चूंकि मैं बरसों से इस वातानुकूलित क्लास (गर्मी में चरम गरम औऱ ठंड में परम ठंडा) में सफर कर रहा हूं इसलिए आपसे कुछ अनुभव शेयर करना चाहता हूं।
जनरल टिकट को आरक्षित न करें प्रभु जी - अमित मिश्रा #शब्दांकन

अमित मिश्रा

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से गणित में स्नातक और भारतीय विद्या भवन, नई दिल्ली से मास कम्युनिकेशन में परास्नातक अमित ने अपनी पत्रकारिता की शुरुआत नवभारत टाइम्स से की। दिल्ली में अन्ना और रामदेव आंदोलनों के उथल पुथल को कवर करते हुए वह फिलहाल संडे नवभारत टाइम्स को सेवाएं दे रहे हैं। गैजैट्स में गहरी रुचि के चलते टेक्नो स्टोरीज और कुछ अलग करने की कुलबुलाहट में स्पेशल स्टोरीज पकाते रहते हैं।

– आजादी के पहले अंग्रेजों ने इन डिब्बों का आविष्कार दोयम दर्जे को हिंदुस्तानियों के लिए किया था। गांधी बाबा के प्रयासों से हमें आजादी तो मिल गई लेकिन दोयम दर्जे के जनरल क्लास के हिंदुस्तानियों के जनरल क्लास से आजादी नहीं मिली। लकड़ी की फट्टी पर सफऱ करते हुए तकरीबन 70 साल गुजर जाने के बाद भी इस जनरल क्लास के डिब्बे में ऐसी सीटें नही हैं जिन पर बैठ कर तशरीफ के आराम मिले।

– सफाई का अभियान जोरों पर है लेकिन अगर कहीं के गंदे संडास इनसे वंचित हैं तो वह हैं जनरल क्लास के डिब्बों के। आपको याद दिलाता चलूं कि इन डिब्बों कि सफाई अब भी उन बच्चों के हाथों में है जो झाड़ू लेकर पहले सीटों के नीचे घुस-घुस कर झाड़ू लगाते हैं फिर हाथ फैला कर चंद सिक्कों की गुहार करते हैं।

खेत में बुआई करके बारिश का इंतजार 

– अब बात करता हूं तीन घंटे तक टिकट वैलिड करने के बारे में। हमारे स्टेशन पर चंद ट्रेनें ही रुकती हैं जिनके आने-जाने की टाइमिंग पर भरोसा करना वैसा ही है जैसे खेत में बुआई करके बारिश का इंतजार करना। कभी हुई कभी नही हुई। बड़े शहर जाने पर पहले अपने छोटे शहर से ही वापसी का टिकट ले लिया करता था। अब वापसी के टिकट के लिए 200 लोगों लाइन में लगना पड़ेगा। लोग कहते हैं अब सब ऑनलाइन है लेकिन फिलहाल मैं और मेरे जैसे करोड़ों जनरल डिब्बे के पैसेंजर ऑफ लाइन हैं।

– आप ने जनरल टिकट में चीटिंग की बात करके यह नियम बनाया है। आपकी बात में दम है लेकिन हमें लगता है इससे भी बड़ी चीटिंग पर आपका ध्यान ही नहीं गया। जनरल क्लास में टिकट लेकर सफऱ करने वाले ही काफी कम लोग हैं। जो हैं भी उनके पास इतना वक्त नहीं कि एक ही टिकट को वह दिन भर सफर के बाद दोबारा खड़े होकर किसी स्टेशन पर ब्लैक करें। क्योंकि उन्हें अपनी पहले से ही ब्लैक चल रही लाइफ में रोजी-रोटी का जुगाड़ करना होता है।

आपने इस चीटिंग का कोई आंकड़ा तो नहीं दिया लेकिन हमें लगता है कि मेरे जैसे जनरल में सफर करने वाले करोड़ों में से चंद हजार ही ऐसे होंगे जो इस चीटिंग सिस्टम से करोड़पति बन गए होंगे। खैर आप प्रभु हैं हम सबसे ज्यादा जानते हैं। चूंकि आप प्रभु हैं और आपके साथ इंसानों के भगवान (नरेंद्र) का भी हाथ है इसलिए कुछ गुजारिशें हैं जिन पर गौर करने की कृपा करें।

– जनरल डिब्बों को ऐसा बनाएं कि हमें एहसास-ए-कमतरी न हो।

– कुछ ऐसी व्यवस्था करें कि इनमें भीड़ कम हो और आम मुसाफिर के साथ ही आपके टिकट जांच करने वाले कर्मचारी भी घुस कर बिना टिकट के सफर कर रहे लोगों को पकड़ सकें।

– जनरल डिब्बों में महिलाएं और भूखे बच्चे चलते हैं जो ट्विटर पर गुहार नहीं लगा सकते इसलिए उनकी बात सुनने के लिए भी कोई सिस्टम इजाद करें।

बाकी जो है सो हैयी है… आप प्रभु हैं सब जानते ही हैं

आपका अभागा

जनरल डिब्बे का यात्री
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