कविता — देशद्रोह — प्रेमा झा | Sedition — Poem


hindi poem on life, sedition, jnu

देशद्रोह

 — प्रेमा झा


देशद्रोह
बच्चे देशद्रोही हैं
सड़क, गली, मुहल्लें और गैर-मुल्कों तक भी यह बात पंहुच गई की इस लोकतंत्र में
बच्चे देशद्रोही हैं
बच्चे आत्महत्या कर रहे हैं
ये पच्चीस वर्षीय नौजवान वज़ीफा लेने की अर्जी के बाद
ऐसा क्या हो गया?
आत्महत्या कर ली उसने
अभी तो हाल ही में उसने राधा के साथ जीने की कसमें खाई थी
सुना था उसके सपने में दो दृश्य रोज आते थे
गाँव में एक बड़ा स्कूल और पिता के लिए पक्का मकान
उसने आँखें मूँद ली क्यों?
इस लोकतंत्र में बच्चे आत्महत्या कर रहे हैं
जब बहीखाता खोला जाएगा ऊपर
तो क्या पूछेगा ईश्वर
अल्लाह
गॉड
स्वर्ग की नींद और नरक की आग के लिए यहाँ आरक्षण है
पहले बताओ तुम्हारी जाति क्या थी और
क्या तुमने सिस्टम के खिलाफ कुछ बोला था?
मगर रुको कुछ भी बोलने से पहले
मुझे तुम्हारी कोटा का प्रमाण चाहिए!
बच्चे देशद्रोही हैं
अभी तो वैलेंटाइन मनाई थी परसो
इस उम्र में प्रेम से फुर्सत थी क्या उसे?
ऐसा क्या हुआ जो वो देशद्रोही बना?
सवाल संसद में है
जवाब दो मेरे देश की आम जनता
तुम्हें क्या लगता है?
देश का लोकतंत्र सांसत में है
बच्चे देशद्रोही हैं
लोकतंत्र गिरवी है
धर्मगुरु नथुने फूला रहा
साधू-साध्वी ढोंग कर रहें
सौतेली माता लोकतंत्र में धर्मगुरुओं से रिश्ते बढ़ाने लगी
उनके बदनसीब बच्चे 'रोहित वेमुला' और 'कन्हैया'
सौतेली परवरिश से आजिज़ आकर
अपने भविष्य को
इस लोकतंत्र में गिरवी रख दिए हुए हैं
इस लोकतंत्र में बच्चे आत्महत्या कर रहे हैं!
बच्चे देशद्रोही हैं!


००००००००००००००००

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

ये पढ़ी हैं आपने?

Hindi Story: 'शतरंज के खिलाड़ी' — मुंशी प्रेमचंद की हिन्दी कहानी
आज का नीरो: राजेंद्र राजन की चार कविताएं
भारतीय उपक्रमी महिला — आरिफा जान | श्वेता यादव की रिपोर्ट | Indian Women Entrepreneur - Arifa Jan
Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
मैत्रेयी पुष्पा की कहानियाँ — 'पगला गई है भागवती!...'
Harvard, Columbia, Yale, Stanford, Tufts and other US university student & alumni STATEMENT ON POLICE BRUTALITY ON UNIVERSITY CAMPUSES
एक पेड़ की मौत: अलका सरावगी की हिंदी कहानी | 2025 पर्यावरण चेतना
तू तौ वहां रह्यौ ऐ, कहानी सुनाय सकै जामिआ की — अशोक चक्रधर | #जामिया
गिरिराज किशोर : स्मृतियां और अवदान — रवीन्द्र त्रिपाठी
ईदगाह: मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी | Idgah by Munshi Premchand for Eid 2025