अनुपम वीजा – ओम थानवी

DID ANUPAM KHER APPLY FOR VIZA
अनुपम खेर भी कमाल हैं, वीजा का आवेदन ही दाखिल नहीं किया और कहते हैं खारिज हो गया! 



ये अनुपम खेर भी कमाल हैं, वीजा का आवेदन ही दाखिल नहीं किया और कहते हैं खारिज हो गया! वीजा खारिज करने पर हर दूतावास/उच्चायोग पासपोर्ट पर मुहर लगाता है। खेर ने न पासपोर्ट जमा कराया, न वीजा से इनकार हुआ। ऐसा उच्चायुक्त को खुद टीवी पर कहते सुना, फिर उनका ट्वीट भी देखा। अगर उच्चायोग गलतबयानी कर रहा है तो अनुपम खेर वीजा निरस्तगी का प्रमाण पेश करें, वरना ऐसे हुल्लड़ से उनकी रही-सही साख भी जाती रहेगी। लगता है मोदी सरकार के समर्थन और बदले में पद्मभूषण पाने से हुई हुज्जत की भरपाई वे कुछ ऐसी सच्ची-झूठी दास्तान के भरोसे सहानुभूति बटोर कर करना चाहते हैं। 

पाकिस्तान भारत के एक नामी अभिनेता को वीजा देने से इनकार करे तो निश्चय ही यह उसका शर्मनाक आचरण होगा। जैसे गुलाम अली को भारत वीजा देता है और वे यहाँ अपना कार्यक्रम पेश करते हैं, अनुपम खेर और अन्य कलाकारों को भी वही सम्मान मिलना चाहिए। गुलाम अली को वीजा न मिले या उसे पाकर भी वे अपना कार्यक्रम यहाँ पेश न कर सकें जैसा कि मुंबई में भाजपा से गठजोड़ वाली शिवसेना ने किया, यह उतना ही बुरा होगा जितना अनुपम खेर को वहां जाने के लिए वीजा न देना या दें तो वीजा (जब भी मिलता है) के बावजूद कराची में उन्हें अपनी बात कहने से रोकना। ताली दोनों हाथों से बजती है; मोदी-नवाज़ मेल-मिलाप को देखते अगर दोनों देश कूटनीति में रंजिश का रिश्ता बनाए रखते हैं तो यह बेहतर कोशिशों को पलीता लगाने जैसा काम होगा।

(ओम थानवी की facebook wall से)

ये पढ़ी हैं आपने?

Hindi Story: कोई रिश्ता ना होगा तब — नीलिमा शर्मा की कहानी
इरफ़ान ख़ान, गहरी आंखों और समंदर-सी प्रतिभा वाला कलाकार  — यूनुस ख़ान
विडियो में कविता: कौन जो बतलाये सच  — गिरधर राठी
ज़ेहाल-ए-मिस्कीं मकुन तग़ाफ़ुल Zehaal-e-miskeen makun taghaful زحالِ مسکیں مکن تغافل
कहानी ... प्लीज मम्मी, किल मी ! - प्रेम भारद्वाज
एक पेड़ की मौत: अलका सरावगी की हिंदी कहानी | 2025 पर्यावरण चेतना
Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
रेणु हुसैन की 5 गज़लें और परिचय: प्रेम और संवेदना की शायरी | Shabdankan
कहानी: छोटे-छोटे ताजमहल - राजेन्द्र यादव | Rajendra Yadav's Kahani 'Chhote-Chhote Tajmahal'
गिरिराज किशोर : स्मृतियां और अवदान — रवीन्द्र त्रिपाठी