"हां डार्लिंग, बोलो " दिल्ली मेट्रो Couple विडियो पर युवा पत्रकार सिंधुवासिनी


एक तरफ हमें अपनी मर्जी से साथ घूम रहे प्रेमी जोड़ों को देखकर शर्म आती है दूसरी तरफ हमारे ही समाज का एक तबका 50-100 रुपये में रेप की विडियो खरीदकर देखता है और ‘मजे’ लेता है — सिंधुवासिनी



सिन्धुवासिनी भारतीय समाज की कथनी और करनी के फ़र्क को अपनी कलम से बेनक़ाब करती हैं. युवा पत्रकार सिन्धुवासिनी हाल में वायरल हुए 'दिल्ली मेट्रो कपल विडिओ' को बनाने वाले पर आये अपने गुस्से को तर्क के साथ लिखती हैं, उनका कहना सही है कि इस विडिओ में आख़िर ऐसा क्या है जिसे शूट करने वाला दिखाना चाह रहा है?
उन सब का अपनी चुप्पी तोड़ना और सामने आना ज़रूरी है जो ऐसी हरकत के पीछे की मानसिकता को समझते हैं. सिन्धुवासिनी का यह ब्लॉग साभार 'नवभारत टाइम्स' से साभार लिया गया है.


किस करते कपल को देखकर शर्म आती है! सरेआम गाली देने में नहीं ?

— सिंधुवासिनी


मैं नौवीं क्लास में थी जब पहली बार दिल्ली आई थी। यहां मेरा बड़ा भाई रहता था, मैं उसके ही साथ थी। एक दिन भैया के एक दोस्त हमसे मिलने आए। बातचीत चल ही रही थी कि बीच में उनकी पत्नी का फोन आ गया। उन्होंने फोन उठाकर कहा, ’हां डार्लिंग, बोलो।‘  मैं हैरान रह गई। कोई सरेआम इस तरह डार्लिंग कैसे बोल सकता है!
मां-बहन की गालियां हर दूसरे शख्स के मुंह से सुनकर हमें बिल्कुल हैरानी नहीं होती थी, क्योंकि हमें इसकी आदत पड़ चुकी थी
उस वक्त ‘डार्लिंग’ और ‘आई लव यू’ हमारे लिए ‘गंदे’ शब्द थे। हमें इन शब्दों के मतलब तो मालूम थे लेकिन हमारे दिमाग में यह बात डाल दी गई थी कि इन्हें खुलेआम नहीं बोलना चाहिए। हां, मां-बहन की गालियां हर दूसरे शख्स के मुंह से सुनकर हमें बिल्कुल हैरानी नहीं होती थी, क्योंकि हमें इसकी आदत पड़ चुकी थी।

उनके चले जाने पर भैया ने समझाया कि पत्नी को  ‘डार्लिंग’ कहने में कोई बुराई नहीं है और यह बहुत ही सामान्य बात है। हमारी सोच भी धीरे-धीरे ही खुलती है। बड़े होने पर और माहौल के मुताबिक हमारा थॉट प्रोसेस भी इवॉल्व होता है, मेरा भी हुआ। मैंने प्रिवेसी और पर्सनल स्पेस का मतलब समझा। मैंने समझा कि पब्लिक प्लेस पर किसी को गले लगाने में कुछ भी गलत नहीं है। मैंने समझा कि पति-पत्नी या कपल्स का सड़क पर हाथ पकड़कर चलना ‘अजीब’ नहीं है।




सीरियसली? गंदा काम? शर्मनाक करतूत? अश्लीलता? 
सायकॉलजिस्ट्स की मानें तो पैरंट्स को अपने बच्चों के सामने एक दूसरे के लिए प्यार का इजहार करना चाहिए। इससे बच्चा खुद को सुरक्षित महसूस करता है। उसे लगता है कि वह ऐसे लोगों के साथ रहता है जिनमें प्यार है और जो एक दूसरे की परवाह करते हैं। लेकिन जहां हम हाथ पकड़कर चलने और गले लगने पर लोगों को घूरते हैं, वहां ये बातें सोचना-समझना कहां मुमकिन है।

दिल्ली जैसे शहरों में माहौल थोड़ा बेहतर है लेकिन हालात में ज्यादा फर्क नहीं है। इसका एक ताजा उदाहरण सामने हैं। अभी दिल्ली मेट्रो का एक विडियो वायरल हो रहा है। विडियो में एक कपल इंटिमेट होते दिख रहे हैं। इसे सोशल मीडिया में धड़ल्ले से सर्कुलेट किया जा रहा है। मेनस्ट्रीम मीडिया भी पीछे नहीं है। पहली बात, यह कोई न्यूज नहीं है। दूसरी बात, अगर विडियो सामने आ गया तो विडियो बनाने और सर्कुलेट करने वाले को बेनकाब किया जाना चाहिए। लेकिन हो कुछ और ही रहा है।



दिल्ली मेट्रो में कपल ने किया गंदा काम’,
   ‘मेट्रो में कपल की शर्मनाक करतूत’,
    ‘मेट्रो में कपल ने पार की अश्लीलता की हदें’ जैसी हेडलाइन्स से विडियो को पेश किया जा रहा है। सीरियसली? गंदा काम? शर्मनाक करतूत? अश्लीलता?  अब आप कहेंगे कि मैं भी इसी मीडिया का हिस्सा हूं। बेशक मैं हूं लेकिन मीडिया के इस एटिट्यूड से बेहद खफा हूं और इसे पूरी तरह से गलत मानती हूं।

हर साल वैलंटाइंस डे पर कपल्स के साथ बदसलूकी की खबरें आती हैं। इस मॉरल पुलिसिंग को हम सही कैसे ठहरा सकते हैं? अक्सर लोग शिकायत करते सुने जाएंगे, ’हाय, बच्चों के सामने ऐसे सटकर बैठे हैं। शर्म नहीं आती।‘

ये शिकायत वही लोग करते हैं जो बच्चों के सामने गाली बकते हैं, खुले में पिच्च-पिच्च थूकते रहते हैं, पेशाब करते हैं और मारपीट तक करते हैं। कितना सामान्य लगता है ना ये सब? जैसे हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन गया हो। लेकिन अफसोस है कि पीडीए यानी पब्लिक डिस्प्ले ऑफ अफेक्शन अभी तक हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा नहीं बन पाया।

एक तरफ हमें अपनी मर्जी से साथ घूम रहे प्रेमी जोड़ों को देखकर शर्म आती है दूसरी तरफ हमारे ही समाज का एक तबका 50-100 रुपये में रेप की विडियो खरीदकर देखता है और ‘मजे’ लेता है। पुलिस होटल में रेड डालकर वहां अपनी मर्जी से आए 40 कपल्स को ‘अश्लीलता’ के आरोप में जलील कर सकती है लेकिन यौन हमले की शिकार हुई किसी लड़की से यह जानना चाहेगी कि छेड़छाड़/रेप के वक्त उसने कैसे कपड़े पहन रखे थे या वह रात में बाहर क्यों थी।



हमारे इसी ऐटिट्यूड की वजह से वो लड़कियां जान दे देती हैं जिनकी फोटोशॉप्ड तस्वीरें पब्लिक कर दी जाती हैं। एक लड़की ने सिर्फ इसलिए खुदकुशी कर ली क्योंकि किसी ने एक बिकीनी बॉडी के साथ उसका चेहरा लगाकर फोटोशॉप्ड तस्वीर इंटरनेट पर डाल दी थी। हमारे इसी ऐटिट्यूट की वजह से रेप और यौन उत्पीड़न के पीड़ितों की विडियो बनाकर उन्हें बड़ी आसानी से उनका लगातार शोषण किया जाता है।

हालांकि इस बीच एक खुश कर देने वाली खबर भी आई है। एक हिम्मती लड़की तरुणा ने एक ब्लैकमेलर को फेसबुक पर बेनकाब किया। अकाउंट हैक कर लिया था और उनके बॉयफ्रेंड के साथ निजी तस्वीरें पब्लिक में शेयर करने की धमकी दे रहा था। तरुणा ने उसके सामने घुटने नहीं टेके और उसके मेसेज का स्क्रीनशॉट लेकर फेसबुक पर डाल दिया


यह अच्छी बात है कि लड़कियां अब अपने इनबॉक्स में आने वाले घटिया मेसेज को बेझिझक सबके सामने रख रही हैं। हाल ही में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने भी ऐसे ही घटिया मेसेज भेजने वाले एक लड़के की पोल खोली थी। क्या ही अच्छा होता अगर मेट्रो वाला कपल भी सामने आकर विडियो सर्कुलेट करने वालों और मीडिया को जी भर के सुनाता!

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