फकीर नही लकीर हूँ ― रवीश कुमार



अराजकता का अजीबोग़रीब दौर

ओम थानवी 


अराजकता का अजीबोग़रीब दौर है। 'दुश्मन' क़ाबू नहीं आते तो तोड़-फोड़ करो, मार-पीट करो, लूट-मार भी! फ़ेसबुक-ट्विटर के खाते चोरी करवाना स्वनामधन्य 'देशभक्तों' की नई सिफ़त है। मित्र रवीश कुमार की पीड़ा मैं समझ सकता हूँ। उनका संदेश साझा कर रहा हूँ ― ओम थानवी


कल मध्यरात्रि को बरखा दत्त और मेरा ट्वीटर अकाउंट हैक कर लिया गया। जब मैं ट्वीटर पर गया तो कुछ लोग उसका भी जश्न मना रहे थे। क्या कोई किसी की निजता भंग होने पर जश्न मना सकता है? इसका राजनीतिक और सामाजिक प्रशिक्षण कहां से आता है? ये वैसे छात्र जैसा बर्ताव कर रहे थे जो स्कूल से भाग भी जाता है और अपने टीचर का मज़ाक भी उड़ाता है। मुझे ऐसे लोगों के माँ बाप की भी चिन्ता है। ये आनलाइन लफंदर घर से तो बताकर निकलते हैं कि किसी नेता के लिए काम करने जा रहे हैं। दरअसल ये राजनीतिक काम नहीं करते। मगर काम के नाम पर गुंडागर्दी और मवाली का काम करते हैं। अपशब्द लिखते लिखते विक्षिप्त हो गए हैं। जो लोग खुद मवाली का काम नहीं कर सकते वे इन गुंडों का समर्थन करते हैं। उनका बचाव करते हैं। इसलिए आप चिन्ता मत करना। जो चला गया अब उनका है जो उसके लायक नहीं है। ऐसे लोगों की कमी नहीं होगी जो बरखा दत्ता का हैक किया हुआ ई मेल पढ़ेंगे। समाज में ऐसे लोग हमेशा मिलेंगे। हमारा क्या है। फिर नया लिख लेंगे। हम फ़क़ीर नहीं है कि झोला लेकर चल देंगे। हम लकीर हैं । जहाँ खींचेंगे वो पक्की हो जाएगी। सदियों तक उसके निशान रहेंगे। आबाद रहिए। ज़िंदाबाद कहिए। -रवीश कुमार

(ये लेखक के अपने विचार हैं।)
००००००००००००००००

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

ये पढ़ी हैं आपने?

Hindi Story: कोई रिश्ता ना होगा तब — नीलिमा शर्मा की कहानी
इरफ़ान ख़ान, गहरी आंखों और समंदर-सी प्रतिभा वाला कलाकार  — यूनुस ख़ान
विडियो में कविता: कौन जो बतलाये सच  — गिरधर राठी
कहानी ... प्लीज मम्मी, किल मी ! - प्रेम भारद्वाज
ज़ेहाल-ए-मिस्कीं मकुन तग़ाफ़ुल Zehaal-e-miskeen makun taghaful زحالِ مسکیں مکن تغافل
Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
एक पेड़ की मौत: अलका सरावगी की हिंदी कहानी | 2025 पर्यावरण चेतना
ईदगाह: मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी | Idgah by Munshi Premchand for Eid 2025
रेणु हुसैन की 5 गज़लें और परिचय: प्रेम और संवेदना की शायरी | Shabdankan
परिन्दों का लौटना: उर्मिला शिरीष की भावुक प्रेम कहानी 2025