'बापू के राम' बनाम 'राम-नाम की दुकान' — कपिल मिश्रा — #MahatmaGandhi @KapilMishraAAP


'बापू के राम' बनाम 'राम-नाम की दुकान' — कपिल मिश्रा

बापू को नोटों से हटा दिया जायेगा

राज्य सरकार के एक मंत्री ने कहा, केंद्र सरकार के खादी से जुड़े विभाग ने बापू की फोटो हटवा दी


राम के नाम पर राजनीति करने वालों को बापू पसंद आये भी तो कैसे? बापू तो राम के प्रिय थे। आखिरी शब्द राम नाम निकला उनके मुंह से। उन्होंने राम को समझा, अब राम नाम की दुकान चलाने वालों को ये समझ कैसे आये। तो सोचते है मिटा दो। ये बापू से बहुत डरते है।

ये लोग बापू से इतनी नफरत क्यों करते है ? इतना डरते क्यों है बापू से?

क्योंकि बापू के पास इनका इलाज है। बापू के पास वो इंजेक्शन है जो इनके फैलाये वायरस को जड़ से खत्म करता है...

हिंसा नहीं अहिंसा
नफरत नहीं प्यार
झूठ नहीं सत्य

अब हिंसा, नफरत और झूठ की राजनीति करने वालों को परेशानी ये कि बापू का जादू तो सर पर चढ़कर बोलता है।

30 जनवरी 1948 को जब बापू को गोली मारी गयी तब-से अब तक बापू को मिटाने की कई कोशिशें हुयी है। पर मोहनदास से महात्मा बने बापू को मिटाने वाले उन्हें समझे ही नहीं। बापू कोई व्यक्ति होते तो मिट गए होते। इस देश की मिट्टी की ताकत का नाम है बापू। मिट्टी में जाकर सब मिट जाते है पर मिट्टी थोड़ी ना मिटती है। बस यहीं है बापू।

कोई तुम्हें मारे तो हाथ मत उठाओ, हिंसा का सामना अहिंसा से करो । कोई आदमी ये बात बोले और लोग मान लें। एक दो लोग नहीं, हजारों लाखों, लोग मान ले। लाठियों से, गोलियों से, जेल से, दमन से डरे बिना लोग निकल पड़े।

नफरत के बदले प्यार।  और ऐसे लोग जीत भी जाये। दुनिया के सबसे शक्तिशाली शासकों से जीत जाये।

चौराचौरी में हुयी एक हिंसा की घटना और समूचा असहयोग आंदोलन वापस। लक्ष्य के सामने पहुंच कर लौट जाना कि गलत तरीके से सही लक्ष्य भी नहीं हासिल करना और पूरे देश को भी ये समझा देना।

अहिंसा से भी बड़ा जो रास्ता बापू ने दिखाया वो है "सत्य" का रास्ता।

सत्य और अहिंसा मिलकर बनते है "ईश्वरीय" "Godly" "चमत्कारिक" बिल्कुल जादू ।

और इनसे भी बड़ा जादू है त्याग का। जब आज़ादी का जश्न मन रहा हो, देश की पहली सरकार तैयार हो रही हो... तब दिल्ली में न होकर हजारों किलोमीटर दूर, हिन्दू और मुसलमानों को लड़ने से रोकने में लगे हुए बापू को जानो तो सही।

जिस दिन जान लिया...ये समझ जाओगे कि ये मिटने वाले नहीं। बापू तो मिटाते है, अहंकार को, सत्ता के नशे को, हिंसा और तानाशाही सोच को।

बापू को नोटों से हटाने वाले और फोटो से मिटाने वाले, गोडसे के आराधकों को, शायद समझ नहीं आया, बापू तो  दिलो में रहते है।

आज के दिन बस इतना ही कहना है, इन मुट्ठी भर, बापू से डरने वाले लोगो से, "बापू को तो तुम क्या मिटाओगे, प्रतीकों से भी अगर हटाने को कोशिश की तो सत्याग्रहियों की पूरी सेना तैयार है। बापू के लोग जब गोरों से नहीं डरे तो चोरों से क्या डरेंगे।"

शहीद दिवस पर बापू को नमन्।

- कपिल मिश्रा


(ये लेखक के अपने विचार हैं।)
००००००००००००००००

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

ये पढ़ी हैं आपने?

Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
गिरिराज किशोर : स्मृतियां और अवदान — रवीन्द्र त्रिपाठी
कोरोना से पहले भी संक्रामक बीमारी से जूझी है ब्रिटिश दिल्ली —  नलिन चौहान
मन्नू भंडारी की कहानी — 'रानी माँ का चबूतरा' | Manu Bhandari Short Story in Hindi - 'Rani Maa ka Chabutra'
ईदगाह: मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी | Idgah by Munshi Premchand for Eid 2025
 प्रेमचंद के फटे जूते — हरिशंकर परसाई Premchand ke phate joote hindi premchand ki kahani
ज़ेहाल-ए-मिस्कीं मकुन तग़ाफ़ुल Zehaal-e-miskeen makun taghaful زحالِ مسکیں مکن تغافل
मन्नू भंडारी की कहानी  — 'नई नौकरी' | Manu Bhandari Short Story in Hindi - 'Nayi Naukri' मन्नू भंडारी जी का जाना हिन्दी और उसके साहित्य के उपन्यास-जगत, कहानी-संसार का विराट नुकसान है
मन्नू भंडारी, कभी न होगा उनका अंत — ममता कालिया | Mamta Kalia Remembers Manu Bhandari
मन्नू भंडारी: कहानी - एक कहानी यह भी (आत्मकथ्य)  Manu Bhandari - Hindi Kahani - Atmakathy