पूरब और पश्चिम के बादलों से भीगी मल्हार शाम — भरत तिवारी | #IndianClassical



(आज के नवोदय टाइम्स में प्रकाशित)
http://epaper.navodayatimes.in/1349119/The-Navodaya-Times-Main/Navodaya-Times-Main#page/8/2

‘मौशार’ मल्हार की इस शाम में राग के बीस प्रकारों की पेशकश हुईं

— भरत तिवारी

मल्हार; बारिशों में गाये जाने वाले गीतों की राग, ‘राग मल्हार’ का ज़िक्र छिड़ते ही, संगीत प्रेमियों को तानसेन की याद बरबस आती है कि उन्होंने अपनी राग की तान से बारिश को बुला डाला था, । गुरूवार की शाम, दिल्ली के कमानी ऑडिटोरियम में, मेरे सरीखे, संगीत की गणित को कम समझने वाले संगीत प्रेमियों को, कार्यक्रम ‘मौशार’ में मालूम पड़ता है कि ‘राग मल्हार’ एक नहीं बल्कि राग मल्हार के कई प्रकार हैं, मसलन —

मेरे सरीखे, संगीत की गणित को कम समझने वाले संगीत प्रेमियों को, कार्यक्रम ‘मौशार’ में मालूम पड़ता है कि ‘राग मल्हार’ एक नहीं बल्कि राग मल्हार के कई प्रकार हैं

‘मौशार’ मल्हार की इस शाम में राग के बीस प्रकारों की पेशकश हुईं, घराने के ख़लीफा उस्ताद इकबाल अहमद खान से बात होने पर पता चलता है — दिल्ली घराने को एक बड़ा श्रेय, इस बात का, कि शायद ही कोई दूसरा ऐसा हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत घराना-आदि होगा, जो इन दुर्लभ विरासतों को, न सिर्फ सहेजे हुए है, साथ ही उन्हें अन्य गायकों को सिखा रहा है, और संगीत प्रेमियों तक पहुंचा रहा है। और मल्हार के इन अलग-अलग अन्दाज़ों में पश्चिमी संगीत को जोड़ना, समय से ताल मिलाना है। युवाओं की बड़ी संख्या का इस भारतीय-पश्चिमी-संगीत-समायोजन का आनंद उठाना, भारतीय शास्त्रीय संगीत के भविष्य को सुन्दर बनाएगा। उस्ताद की बेटी व्युस्त खान ने बताया : किस तरह उस्ताद ने  युवा पियानोवादक मनीष बाबू, जो दिल्ली स्कूल ऑफ़ म्यूजिक में संगीत सिखाते हैं, उनके साथ मिलकर, वह ऑर्केस्ट्रा जिसे सुन सब मोहित थे, जिसमें पश्चिम के सुर देते चार वायलिन, एक सेलो, दो गिटार, एक पियानो और हिन्दुस्तानी धुन जोड़ते तबले , हारमोनियम और सारंगी रहे — 35 कलाकारों से भारतीय शास्त्रीय बंदिश, सुफ़ियाना कलाम, लोक गीत और वाद्ययंत्रों -को अपनी खलीफा ने उस्तादी के कमाल से लयबद्ध किया

उस्ताद इकबाल अहमद खान

शाम का, राग तिलांगी में वंदे मातरम से खूबसूरत आगाज़ हुआ। घराने के आठ साल के चमत्कार फाजिल अफजाल ने राग गौड़ मल्हार में अपने गायन से सब को अचंभित किया। हाल पूरा भरा हुआ है और एक के बाद एक — राग पीलु बरवा मल्हार में  ख़ुसरो रचित "सैयाँ रे बिदेसी"; राग सुगराई मल्हार में "बहुत कठिन है डगर"; राग मेघ मल्हार में डॉक्टर सपना रैना कचरू ने मेहनत से किया। इसके अलावा खामज मल्हार, पीलू बरवा मल्हार और कार्यक्रम का समापन उस्ताद इकबाल अहमद खान के बेहतरीन गायन से हुआ। खान साहब ने श्रोताओं को दुर्लभ रागें सनाई, जिनमें मिया की मल्हार, गौड़ मल्हार, गौंड मल्हार, सूरदासी मल्हार के साथ उनकी स्वरचित चांद मल्हार आदि शामिल थीं।


पंडित विद्याधर व्यास और शोवाना नारायण 
अमीर खुसरो के ज़िक्र के बगैर, दिल्ली की गायकी पर की जाने वाली बात, अधूरी रहती है। वह खुसरो ही हैं जिन्होंने ‘दिल्ली घराने’ की स्थापना की, और पीढ़ी दर पीढ़ी सम्हाली जा रही खुसरो की विरासत —  उनके गीत, उनकी धुनें, उनके अंदाज़, उनका सूफीवाद, देशी लहजे —  को आज तक घराने ने खूबसूरती से सम्हाले रखा है।


कार्यक्रम की शुरुआत में घराने के ही, दिल्ली विश्वविद्यालय के संगीत प्रोफेसर अनीस अहमद खान की 'सारंगी वादक उ ० बंधु खान ' किताब का विमोचन भी हुआ।


शाम की यह ख़ासियत — जिसके लिए मैं उस्ताद को बीते कई वर्षों से सराहता आया हूँ,  1986 से शुरु किया गया, वरिष्ठ हिन्दुस्तानी कलाकारों को सम्मानित किया जाना भी रही; जिसमें भारतीय शास्त्रीय संगीत और नृत्य में योगदान के लिए कथक मेस्ट्रो शोवाना नारायण और  गायक पंडित विद्याधर व्यास को उस्ताद चाँद खान पुरस्कार से सम्मानित किया गया।


(ये लेखक के अपने विचार हैं।)
००००००००००००००००

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

ये पढ़ी हैं आपने?

Hindi Story: 'शतरंज के खिलाड़ी' — मुंशी प्रेमचंद की हिन्दी कहानी
आज का नीरो: राजेंद्र राजन की चार कविताएं
भारतीय उपक्रमी महिला — आरिफा जान | श्वेता यादव की रिपोर्ट | Indian Women Entrepreneur - Arifa Jan
मैत्रेयी पुष्पा की कहानियाँ — 'पगला गई है भागवती!...'
Harvard, Columbia, Yale, Stanford, Tufts and other US university student & alumni STATEMENT ON POLICE BRUTALITY ON UNIVERSITY CAMPUSES
तू तौ वहां रह्यौ ऐ, कहानी सुनाय सकै जामिआ की — अशोक चक्रधर | #जामिया
Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
गिरिराज किशोर : स्मृतियां और अवदान — रवीन्द्र त्रिपाठी
कोरोना से पहले भी संक्रामक बीमारी से जूझी है ब्रिटिश दिल्ली —  नलिन चौहान
ईदगाह: मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी | Idgah by Munshi Premchand for Eid 2025