हनुमान की एक बहुमुखी छवि दिलो-दिमाग में बनती जाती है | #MyHanumanChalisa


ऐसे समय में जहां धर्म, धार्मिकता और धार्मिक चेतना का इस्तेमाल हिंसा, घृणा और भेदभाव के लिए किया जा रहा हो तथा ऐसा कर राजनीति की जमीन सींची जा रही हो, धर्म को उसके लोकप्रिय स्वरूप में ज्ञान और संवेदना के साथ प्रस्तुत करना बहुत अहम कार्य है, जिसे पटनायक बखूबी करते आ रहे हैं — प्रकाश के रे


इसे पढ़ते हुए हनुमान की एक बहुमुखी छवि दिलो-दिमाग में बनती जाती है

— प्रकाश के रे

डॉ देवदत्त पटनायक ने हद सरस, सरल और रुचिकर अंदाज में पटनायक ने धार्मिक आख्यानों को लोगों तक पहुंचाया है — प्रकाश के रे 

तीन अनिवार्य तत्वों — आस्था, आध्यात्मिकता और आख्यान — से धर्म साकार होता है. इन्हीं तत्वों से कर्मकांडों और दार्शनिकता को भी आधार मिलता है. इसी कारण से धर्म और उससे संबद्ध विषयों की व्याख्या और उन पर बहसों का सिलसिला अनवरत जारी रहता है. सभी सभ्यताओं में धार्मिक आख्यानों और कथाओं की प्रधानता है. यह भी दिलचस्प है कि उन कथाओं में विविधता और विरोधाभास बहुत हैं. हमारे यहां धार्मिक साहित्य पर टीकाओं की समृद्ध परंपरा रही है. इसी कड़ी में पौराणिक कथाओं के जाने-माने व्याख्याता और टिप्पणीकार डॉ देवदत्त पटनायक ने तुलसीदास की रचना 'हनुमान चालीसा' की टीका लिखी है. वे हिंदू धर्म के साहित्य, कथा-परंपरा और अन्य सभ्यताओं से उसके साम्य या विभेद पर लिखते-बोलते रहे हैं. बेहद सरस, सरल और रुचिकर अंदाज में पटनायक ने धार्मिक आख्यानों को लोगों तक पहुंचाया है.

Prakash K Ray
तुलसीदास की हनुमान चालीसा पर डॉ पटनायक की टीका 'मेरी हनुमान चालीसा' सामुदायिकता और आत्मिक के बीच संचार करती है. — प्रकाश के रे 

ऐसे समय में जहां धर्म, धार्मिकता और धार्मिक चेतना का इस्तेमाल हिंसा, घृणा और भेदभाव के लिए किया जा रहा हो तथा ऐसा कर राजनीति की जमीन सींची जा रही हो, धर्म को उसके लोकप्रिय स्वरूप में ज्ञान और संवेदना के साथ प्रस्तुत करना बहुत अहम कार्य है, जिसे पटनायक बखूबी करते आ रहे हैं. धर्म जहां सामुदायिकता और सामूहिकता का एक आधार बनता है, वहीं वह एक स्तर पर नितांत व्यक्तिगत और आत्मिक भी होता है. तुलसीदास की हनुमान चालीसा पर पटनायक की टीका 'मेरी हनुमान चालीसा' सामुदायिकता और आत्मिक के बीच संचार करती है. सामुदायिकता इसलिए कि यह उत्तर भारत के सबसे लोकप्रिय और पवित्र धार्मिक साहित्य की व्याख्या करते हुए पौराणिक कथाओं और विविध मान्यताओं के समुद्र में छलांग लगाती है तथा व्यक्तिगत इसलिए कि इसे पढ़ते हुए हनुमान की एक बहुमुखी छवि दिलो-दिमाग में बनती जाती है.

अवधी में लिखे 43 पदों की यह रचना देवदत पटनायक की टीका में विस्तार पाती है और कथा-दर-कथा हनुमान का विराट स्वरूप साकार होता जाता है. पटनायक की इस टीका को अंग्रेजी से हिंदी में भरत तिवारी ने अनुदित किया है, जो स्वयं ही साहित्य और कला के रसिक हैं. पटनायक ने किताब में हनुमान के अनेक रेखा-चित्र बनाये हैं, जो पाठ के रस को दोबाला कर देते हैं. रूपा प्रकाशन से छपी यह किताब सुधी पाठकों के लिए अनुपम उपहार है और राजनीति से संक्रमित होती जाती धार्मिकता को उसके आध्यात्मिक आनंदलोक में प्रतिष्ठित करती है. 'मेरी हनुमान चालीसा' भक्ति साहित्य के अध्येताओं के लिए भी उपयोगी है.

मेरी हनुमान चालीसा पढ़ी आपने!!! ये क्लिक कीजिये 


(प्रभात खबर से साभार)
००००००००००००००००

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

ये पढ़ी हैं आपने?

Hindi Story: 'शतरंज के खिलाड़ी' — मुंशी प्रेमचंद की हिन्दी कहानी
आज का नीरो: राजेंद्र राजन की चार कविताएं
भारतीय उपक्रमी महिला — आरिफा जान | श्वेता यादव की रिपोर्ट | Indian Women Entrepreneur - Arifa Jan
Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
मैत्रेयी पुष्पा की कहानियाँ — 'पगला गई है भागवती!...'
Harvard, Columbia, Yale, Stanford, Tufts and other US university student & alumni STATEMENT ON POLICE BRUTALITY ON UNIVERSITY CAMPUSES
एक पेड़ की मौत: अलका सरावगी की हिंदी कहानी | 2025 पर्यावरण चेतना
तू तौ वहां रह्यौ ऐ, कहानी सुनाय सकै जामिआ की — अशोक चक्रधर | #जामिया
गिरिराज किशोर : स्मृतियां और अवदान — रवीन्द्र त्रिपाठी
ईदगाह: मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी | Idgah by Munshi Premchand for Eid 2025