लव ड्रग, इरा टाक के उपन्यास का अंश | Love Drug Hindi novel Ira Tak, excerpt

Era Tak (Photo Bharat Tiwari)

शाज़िया के पास फिलहाल कोई चारा नहीं था। वो अनमनी सी मार्टिन के साथ कार से उतर गयी। वो “ओनली फॉर ईव” नाम की एक दुकान में घुस गयी। उसने देखा कि मार्टिन बाहर खड़ा सिगरेट पी रहा था। जल्दी में उसने एक काले रंग की लॉन्ग फ्रॉक पसंद की, जिस पर सफ़ेद रंग की तितलियाँ बनी हुई थीं। उसे लेकर वो चेंजिंग रूम में घुस गयी।


इरा टाक का पेंगविन इंडिया द्वारा प्रकाशित उपन्यास 'लव ड्रग' इश्क और उसमें डूबे इंसानों की हरकतों का जायजा लेता है। बढ़िया लिखा गया यह उपन्यास आरामदायक पाठन के लिए सटीक है।  ~ सं० 

Love Drug

इरा टाक के उपन्यास लव ड्रग का अंश

शाज़िया दिल्ली आ चुकी थी। अपने दर्द को भुलाकर वो दुगने जोश से एमफिल के साथ- साथ पीएचडी की तैयारी कर रही थी। एक शाम वो नोएडा के अट्टा मार्किट से शौपिंग कर भारी बारिश में भीगती हुई, ऑटो का इंतज़ार कर रही थी। ऑटो-ऑटो चिल्लाते हुए उसका गला सूख गया था। ज़्यादातर ऑटो भरे हुए ही आ रहे थे और कुछ मुनिरीका की तरफ जाने को तैयार नहीं थे। चलते हुए वो थोड़ा आगे निकल आई ताकि कोई भी खाली ऑटो दिखे तो रोक ले। सामान ज्यादा था तो उसकी मेट्रो की भीड़ में घुसने की हिम्मत भी नहीं हो रही थी। मोबाइल, कपड़े सब भीग चुके थे। वैसे तो शाम के सात ही बजे थे पर बादलों की वजह से अँधेरा घिरने लगा था। वो बहुत परेशान होने लगी थी, तभी अचानक एक स्कोडा कार उसके पास आकर जोर से ब्रेक लगाया। शाज़िया बुरी तरह से डर गयी। उसने आसपास देखा तेज़ बारिश में लोग कम नज़र आ रहे थे।

“अँधेरे में मुझे अकेला देख ये कुछ और तो नहीं समझ रहा।”- उसने सोचा।

तभी कार का शीशा खुला और जानी पहचानी सी आवाज़ आई-

“हे शाज़िया... व्हाट अ सरप्राइज!”

शाज़िया की आंखे उसे पहचानने की कोशिश करने लगीं।

“अरे मैं मैक.. मार्टिन थिएटर वर्कशॉप।”- कार में बैठे लड़के ने कार की लाइट जलाई।

“ओह मार्टिन, कैसे हैं आप?”- शाज़िया ने राहत की सांस ली।

“तुम्हें देख कर बहुत अच्छा हो गया हूँ।”

शाज़िया की हालत देख वो तुरंत कार से छाता लेकर उतरा-

“आओ बैठो मैं तुम्हें छोड़ देता हूँ।”

“अरे नहीं... ऑटो मिल जायेगा... आपकी कार भीग जाएगी।”

“ओह कम ऑन, कार तुमसे ज्यादा कीमती है क्या? चलो बैठो रात भी हो रही है .. ठण्ड लग जाएगी।”- शाज़िया के हाथों से ज़बरदस्ती उसने शॉपिंग बैग्स ले लिए।

गाड़ी की पिछली सीट पर सब सामान रखते हुए, उसने बड़े अदब से शाज़िया के लिए कार का दरवाज़ा खोला। वो ठण्ड से काँप रही थी। मार्टिन ने उसे कार की सीट पर लगा तौलिया देते हुए सिर पोंछने का इशारा किया।

“कहाँ खो गयीं थी? कितनी बार फ़ोन मिलाया तुम्हें! ब्लाक कर दिया था क्या मेरा नंबर?”

वो ऐसे चौंकी जैसे उसको रंगे हाथों पकड़ लिया गया हो। उसने मार्टिन से दूरी रखने को वाकई उसका नंबर ब्लाक कर दिया था।

“अरे नहीं .. वो जयपुर का नंबर था, नेटवर्किंग का इशू था तो दिल्ली में नया नंबर ले लिया है।”

“हम्म ओके ..कहाँ जाएंगीं?”- मार्टिन ने ऐसे कंधे उचकाए, जैसे उसकी बात पर विश्वास करने की कोशिश कर रहा हो।

“मुनिरीका।”

“ओह जीसस! ऐसे मौसम में इतनी दूर शॉपिंग पर आने की आपको क्या सूझी?”

“मेरी फ्रेंड रमा आई थी जयपुर से, उसका यहाँ एक कंपनी में इंटरव्यू था। उसी के साथ आई थी। इंटरव्यू के बाद हमने खूब शॉपिंग की। फिर उसे बीकानेर हाउस के लिए कैब करा दी, सुबह जब निकले थे, तब आसमान साफ़ था”

“तुम्हें देख कर तो किसी की भी नीयत ख़राब हो जाए,फिर बादल कैसे होश में रहते।”- मार्टिन ने शरारत से कहा।

शाज़िया एकदम से नर्वस हो गयी, वैसे ही वो मार्टिन से घबराती थी।

“अरे घबराओ नहीं यार, छेड़छाड़ नहीं करूँगा। मैं भी आज इधर एक कॉलेज में थिएटर पर एक लेक्चर देने आया था।”- मार्टिन उसके फीके पड़ते चेहरे को देख जोर से हँसा।

“आजकल कोई नया प्ले? अगर मेरे लायक कोई रोल हो तो बताइएगा।”- शाज़िया ने बात बदली।

“व्हाई नॉट... प्लेज तो होते रहते हैं.. ये लो... जब मन करे और टाइम हो तो आ जाना, मेरे इंस्टिट्यूट।“- मार्टिन ने डैशबोर्ड से अपना विजिटिंग कार्ड निकाल कर उसकी तरफ़ बढ़ा दिया।

“यस.. शयोर।”- शाज़िया ने कार्ड पर्स में रख लिया।

“ट्रैफिक बहुत है तुम्हारे ठिकाने पहुँचते- पहुँचते दो घंटे लग जायेंगें। अगर तुम कहो तो कहीं डिनर कर लें बहुत भूख लगी है।”- मार्टिन ने पेट पर हाथ मारते हुए लाचार सा मुंह बनाया।

“पर मैं भीगी हुई हूँ। वो देखिये उस तरफ कुछ ऑटो खड़े हैं... मैं चली जाउंगी।”

“कमाल है यार.. कोई कद्र ही नहीं! इतना हैण्डसम बंदा आपका ड्राईवर बना हुआ है, उसे छोड़ कर ऑटो में जाना चाहती हो?”

“अरे ऐसी कोई बात नहीं। डिनर करने में कम से कम एक घंटा लग जायेगा, इतनी देर में घर पहुँच जाउंगी, सर्दी लग रही है।”

मार्टिन ने ये सुनते ही कार का एसी ऑफ कर दिया। अपने बालों में हाथ फंसाते हुए एक अंगड़ाई ली। सड़क किनारे खड़े ऑटो के पास कार रोक दी। शाज़िया ने शीशा नीचे कर के जोर से आवाज़ दी-

“भैया, मुनिरीका चलोगे?”

“नहीं मैडम, उस तरफ नहीं जायेंगे.. पानी भरा हुआ सड़क पर तो आगे बहुत जाम है।” – ऑटो वाला चिल्ला कर बोला।

जब तक दूसरे ऑटो से पूछती, एक आदमी भागता हुआ आया और उस ऑटो में बैठ गया। शाज़िया ने मायूस नज़रों से मार्टिन की तरफ देखा। मार्टिन के चेहरे पर जीत की मुस्कान थी। वो दो मिनट वहीँ रुके रहे। कई ऑटो निकले लेकिन सब में सवारियां बैठी हुई थीं।

“और ऑटो का वैट करना है या चलें?”

“चलिए।”- शाज़िया ने धीरे से कहा।

 वो कुछ देर चुपचाप कार चलता रहा। बारिश तेज़ हो गयी थी। अचानक मैक ने बायीं ओर एक शॉपिंग काम्प्लेक्स देख कार रोक दी। शाज़िया हैरानी से उसकी ओर देखने लगी ।

“नए कपडे ले लो और बदल लो।”

“नहीं, मैं ठीक हूँ।”

“कभी किसी बड़े की बात भी मान लिया करो बच्ची।”- मार्टिन ने अधिकार से कहा।

शाज़िया के पास फिलहाल कोई चारा नहीं था। वो अनमनी सी मार्टिन के साथ कार से उतर गयी। वो “ओनली फॉर ईव” नाम की एक दुकान में घुस गयी। उसने देखा कि मार्टिन बाहर खड़ा सिगरेट पी रहा था। जल्दी में उसने एक काले रंग की लॉन्ग फ्रॉक पसंद की, जिस पर सफ़ेद रंग की तितलियाँ बनी हुई थीं। उसे लेकर वो चेंजिंग रूम में घुस गयी।

बाहर आकर जब काउंटर पर पर्स खोलने लगी तो केशियर ने उसको चेंज लौटते हुए कहा-

“मैम, सर पेमेंट कर चुके हैं।”

शाज़िया कुछ नहीं बोली। बाहर आई तो मार्टिन टहलते हुए फ़ोन पर किसी से बात कर रहा था। शाज़िया से नज़र मिलने पर उसने अपनी तर्जनी और अंगूठे को मिला कर “अच्छी लग रही हो” का इशारा किया और कार की तरफ बात करते हुए बढ़ गया।

“आपने मेरा बिल क्यों दिया?”- शाजिया ने सीट बेल्ट लगाते हुए पूछा।

“क्यों दिया, इसकी वजह बताना मुश्किल है।“

“कितने का बिल था?”

“याद नहीं.. बिल वहीं छोड़ दिया।”

००००००००००००००००

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

ये पढ़ी हैं आपने?

Hindi Story: 'शतरंज के खिलाड़ी' — मुंशी प्रेमचंद की हिन्दी कहानी
आज का नीरो: राजेंद्र राजन की चार कविताएं
भारतीय उपक्रमी महिला — आरिफा जान | श्वेता यादव की रिपोर्ट | Indian Women Entrepreneur - Arifa Jan
Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
मैत्रेयी पुष्पा की कहानियाँ — 'पगला गई है भागवती!...'
Harvard, Columbia, Yale, Stanford, Tufts and other US university student & alumni STATEMENT ON POLICE BRUTALITY ON UNIVERSITY CAMPUSES
एक पेड़ की मौत: अलका सरावगी की हिंदी कहानी | 2025 पर्यावरण चेतना
तू तौ वहां रह्यौ ऐ, कहानी सुनाय सकै जामिआ की — अशोक चक्रधर | #जामिया
गिरिराज किशोर : स्मृतियां और अवदान — रवीन्द्र त्रिपाठी
ईदगाह: मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी | Idgah by Munshi Premchand for Eid 2025