अब अब्बा टीवी नहीं देखते, अख़बार पढ़ना भी इन दिनों छूट गया है। दुकान से लौटकर अम्मी के पास बैठे ज़रूर रहते हैं लेकिन बोलते कुछ नहीं। चुपचा…
आगे पढ़ें »#पत्र_शब्दांकन: मृदुला गर्ग नया ज्ञानोदय, सितम्बर २०१९ कथा-कहानी विशेषांक आदि पर कहते हैं फंतासी को चारों पैरों पर खड़ा होना चाहिए वरन…
आगे पढ़ें »दुष्यंत की कहानी: तीसरे कमरे की छत, पांचवीं सीढ़ी और बारहवां सपना मानव पीड़ाएँ अगर प्राकृतिक हो सकती हैं और अपने ऊपर कहानियाँ लिखवा सकती है…
आगे पढ़ें »हद्द बेशरम हो तुम, जब बच्चे छोटे थे तो कभी गोदी में बिठाया तुमने? आज बड़े आये ह…
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