विनोद तिवारी और समकालीन आलोचना रचनाकार का यह आरोप कि, आलोचक ने उसकी रचना को समझा ही नहीं है, उसने अपने मन और विचार से असंगत निष्कर्षों को मेरी…
आगे पढ़ें »28-29 मार्च 2014 को स्कूल आॅफ इंटरनेशनल, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के स्कूल आॅफ इंटरनेशनल स्टडीज के कमेटी रूम नं 203 में ‘हाशिये उलांघती औरत’ के…
आगे पढ़ें »हद्द बेशरम हो तुम, जब बच्चे छोटे थे तो कभी गोदी में बिठाया तुमने? आज बड़े आये ह…
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