कवितायेँ - रविश ‘रवि’

चाँद की बेचैनी !


चाँद में है बेचैनी
और
तारों में भी है कुछ
सुगबुगाहट सी
बस
कुछ और पल
और आ जायेगा
सूरज
उनकी रोशनी का
सौदा करने

मेरी अलमारी 


बहुत कुछ रखा है
मेरी अलमारी में
जो जुड़ा है
तुम से
मुझ से
या फिर … हम दोनों से !!!
वो अलसायी सी
धूप का टुकड़ा
जो छुपा लिया था मैंने
अपनी हथेलियों में
तब...
जब मिले थे हम दोनों
पहली बार ... ठंड के मौसम में,
वो बारिश की बूंदें
गुजरी थी ... जो तेरे  
गेसुओं से हो कर
ढलक गयी थीं
मेरी जेब में
तेरे रुखसारों का बोसा लेते हुए ...
और
वो शबनम की नन्ही बूंद
छुआ था जिसने
तेरी सांसों की महक को
और आ कर
गिरी थी
मेरे लबों पर ...
सब कुछ संभाल कर रखा है ....
वैसे ही
जैसे तब था !
धूप को
बारिश को
शबनम को
कागज़ में लपेट कर ...
अपनी अलमारी में
न बूँद गला पायी
न धूप जला पायी
तेरी यादों को ...
बहुत कुछ रखा है
मेरी अलमारी में...

दो जिस्म...


बहुत सुकून से गुजरी
कल की रात...
सर्द मौसम की एक सर्द रात
आसमां तले !!!

बस हम दो ही तो थे,

कोहरा कुछ सख्त था...
बस तेरा वजूद ही था
जो दिख रहा था...

फिर हमने....
साथ बिताए पलों की लकड़ियाँ बीनी...
हसीन लम्हों के सूखे पत्ते बटोरे...
तेरे काँधें के तिल की तपिश से
अलाव जलाया...

रात भर यादों की खलिश से
आग को जलाये रखा...

रात भर
तपे हैं दो जिस्म
गुजरे पलों की रौशनी में...

एक मेरा
और
दूसरा
तेरे होने के एहसास का

बहुत सुकून से गुजरी
सर्द मौसम की सर्द रात...

बस हम दो ही तो थे,
एक मैं
और ...

raviish 'ravi'रविश ‘रवि’ शब्दांकन shabdankan kavita hindi poetry

रविश ‘रवि’ 

जन्म–तिथि  : 13.07.1971
जन्म–स्थान  :  खुर्जा (बुलंदशहर)
शिक्षा  : स्नातक (मैकेनिकल इंजीनियरिंग)
ई-मेल : raviish.ravi@gmail.com
फ़ोन : +91 9811252598


     खुर्जा (उ.प्र.) में जन्मे रविश ‘रवि’ ने  मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त करने के बाद क्वालिटी मैनेजमेंट में परास्नातक की शिक्षा ग्रहण करी. तकनिकी क्षेत्र में होने के के बावजूद रुझान "काव्यात्मक" क्षेत्र की तरफ हुआ और जो सिलसिला  कभी डायरी लिखने से शुरू हुआ था वो आखिरकार उस पड़ाव तक पहुँच गया जहाँ शायद नियति रविश ‘रवि’ को ले जाना चाहती थी. उर्दू और हिंदी की दहलीज़ पर खड़े हो कर जीवन  के अनुभवों और सपनों की आवाज़ को शब्दों में ढाल कर दिल के कागजों पर उकेरना रविश ‘रवि’ की शैली है.
रविश ‘रवि’ की रचनायें विभिन्न पत्रिकाओं (सृजक, कादम्बिनी, अहा ज़िंदगी, साहित्यार्थ आदि) में प्रकाशित हो चुकी हैं  और साँझा काव्य संग्रह “शब्दों की चहलकदमी” प्रकाशित हो चुका है और दो काव्य- संग्रह में रचनाएँ प्रकाशाधीन हैं.
अपने लेखन को रविश ‘रवि’ कुछ यूँ व्यक्त करते हैं :
कुछ गाँव की लिखता हूँ
कुछ शहर की लिखता हूँ ,
दिल की गलियों से होकर
आँखों की जबां लिखता हूँ।

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