गुलज़ार: को-पायलट* | #Gulzar : Co-pilot

को-पायलट*

गुलज़ार





बहुत कम लोग थे फ्लाइट में, और वो था
उस आधी रात की फ्लाइट में कम ही लोग होते हैं
अँधेरे में चले थे हम, मगर कुछ देर में सूरज निकल आया!

तुलू-आफ़ताब, उसने दिखा के मुझसे पूछा था,
कहो कैसा लगा ये आज का सूरज?
किनारे पर ज़रा-सा जामनी रंग का छुवाँ होता तो अच्छा था
बड़ा मुश्किल है सच पूछो तो हर दिन कुछ अलग करना
ये कह कर दूसरी खिडक़ी पे जा बैठा
अजब बेचैन-सा इक शख्स था वो।

वो फिर आया...
ये पेटी बाँध लो, बम्पिंग शुरू होगी
हवाओं में ज़रा बल पड़ गये हैं, जा के उनको खोलना होगा
बहुत धीमे से मेरे कान में पूछा...
तुम्हें तैराकी आती है?




मैं कुछ कहता कि उससे पहले वापस जा चुका था वो!

मुझे होस्टेस ने लाकर एक व्हिस्की दी
ज़रा मौसक़ी कानों में लगा कर,
मैं आँखें बन्द करके सोने वाला था
मगर हेड-फ़ोन में आवाज़ जो आयी...
उसी की थी...
ज़रूरी एक इत्तला है...
‘‘मुसाफ़िर ऑक्सीजन मास्क खोलें, सीट के नीचे पड़ी जैकेट पहल लें,
हमको पानी में उतरना है...’’
मुझे फिर नज़र आया,
बड़ा बेचैन-सा वो शख्स बाहर विंग पर चलता हुआ, कुछ दूर जाकर,
बादलों में कूद कर गुम हो गया उनमें!
वो को-पॉयलट था शायद!!

*सहचालक

बोस्कियाना, पाली हिल, बान्द्रा (पश्चिम), मुम्बई-400050

साभार नया ज्ञानोदय, अक्टूबर 2013

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

ये पढ़ी हैं आपने?

Hindi Story: कोई रिश्ता ना होगा तब — नीलिमा शर्मा की कहानी
इरफ़ान ख़ान, गहरी आंखों और समंदर-सी प्रतिभा वाला कलाकार  — यूनुस ख़ान
विडियो में कविता: कौन जो बतलाये सच  — गिरधर राठी
कहानी ... प्लीज मम्मी, किल मी ! - प्रेम भारद्वाज
ज़ेहाल-ए-मिस्कीं मकुन तग़ाफ़ुल Zehaal-e-miskeen makun taghaful زحالِ مسکیں مکن تغافل
Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
एक पेड़ की मौत: अलका सरावगी की हिंदी कहानी | 2025 पर्यावरण चेतना
ईदगाह: मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी | Idgah by Munshi Premchand for Eid 2025
रेणु हुसैन की 5 गज़लें और परिचय: प्रेम और संवेदना की शायरी | Shabdankan
परिन्दों का लौटना: उर्मिला शिरीष की भावुक प्रेम कहानी 2025