सलाम पंडित छन्नूलाल मिश्र की गायन क्षमता को - भरत तिवारी



ठुमरी फेस्टिवल

‘ठुमरी फेस्टिवल’ ने दिल्ली के संगीत कैलेंडर में शास्त्रीय संगीत की इस श्रृंगार रस प्रधान गायन शैली के चाहने वालों के बीच अपनी जगह पक्की बनानी शुरू कर दी है। 

पंडित छन्नूलाल मिश्र 





सिंधु मिश्र (सहायक सचिव, साहित्य कला परिषद)
दिल्ली सरकार की साहित्य कला परिषद द्वारा आयोजित किया जाने वाला यह तीन दिवसीय उत्सव शाश्त्रीय संगीत के प्रेमियों के अलावा उत्तरप्रदेश व बिहार से जुड़े दिल्लीवालों को बहुतायत में आकर्षित कर रहा है कारण ठुमरी शैली में गाये जाने वाले गीतों का देश के इन्ही राज्यों से जुड़ा होना हैं।

संचालक साधना श्रीवास्तव
कमानी ऑडिटोरियम में, तीन दिन चलने वाले, इस उत्सव के पहले दिन शुक्रवार १ सितम्बर को श्रोताओं की अच्छी संख्या मौजूद रही। दरअसल जिन संगीतज्ञों का गायन हुआ वे खासे लोकप्रिय हैं।





आरती अंकलीकर 

शाम की पहली प्रस्तुति दो बार की राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता आरती अंकलीकर की रही। पंडित वसंतराव कुलकर्णी (आगरा ग्वालियर घराना), किशोरी आमोनकर और पंडित दिनकर कैकीनी (आगरा घराना) की शिष्या आरती ने राग किरवानी में ‘पिया बिन बैरन हो गई रैन’ ठुमरी से उत्सव की बेहद खूबसूरत शुरुआत की। आगे उन्होंने राग पंचम से गारा में दादरा ‘सजनवा कैसे आऊं तेरे पास’ और झूला ‘आओ सब सखियन झूलन बंधाओ’ व अपनी प्रस्तुति का समापन खूबसूरत कजरी ‘झिर झिर बरसे’ से किया।


इंद्राणी मुखर्जी , विनय मिश्र (हारमोनियम)
इंद्राणी मुखर्जी

इसके बाद कोलकाता की आयीं इंद्राणी मुखर्जी । आईटीसी संगीत रिसर्च एकेडमी (एसआरए) में पंडित अरुण भादुड़ी की सक्षम मार्गदर्शन के तहत प्रशिक्षित इंद्राणी, विदुषी पूर्णिमा चौधरी और पंडित रामआसरे झा की शिष्या रही हैं। अपने गायन के दौरान कलात्मक संवेदनशीलता दिखाते हुए ठुमरी व राग पीलू में दादरा सुनाया।

दोनों गायिकाओं के साथ तबले पर अपूर्बा मुखर्जी, सारंगी पर पंडित भारत भूषण गोस्वामी और हारमोनियम पर खूबसूरत स्वर देने वाले विनय मिश्र संगत में थे।





पंडित छन्नूलाल मिश्र, राम कुमार मिश्र, श्याम भारती व अमन जैन 


तबला मेस्ट्रो राम कुमार मिश्र


पहले दिन के कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति महान गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र के स्वरों की रही। पंडितजी ने राग मारू बिहाग में ठुमरी अंग के ख्याल से ऐसी शुरुआत की कि उनके चाहने वालों से भरा हाल ख़ुशी से भर उठा। श्रोताओं का बस चलता तो वह उन्हें रात भर सुनते। ८१ वर्ष के पंडित छन्नूलाल मिश्र की गायन क्षमता का अंदाज़ा आप कार्यक्रम में उनकी अगली इन प्रस्तुतियों से लगाये —  मिश्र खमाज की ठुमरी, धनाक्षरी ठुमरी, मिर्जापुर की कजरी, आजमगढ़ की कजरी, शिव की होली और अंत में खूबसूरत सोहर। संगत में तबले पर उनके पुत्र तबला मेस्ट्रो राम कुमार मिश्र थे, और पिता-पुत्र की जुगलबंदी ने खूब रंग जमाया, उनके अलावा हारमोनियम पर श्याम भारती व तानपुरे पर अमन जैन ने संगत दी।

आरती अंकलीकर, मंजरी सिन्हा


अगले दो दिनों में कलपना झोकरकर, रमाकांत गायकवाड़,  मालिनी अवस्थी, पूजा गोस्वामी, मीता पंडित और गिरजादेवी का गायन होना है

(ये लेखक के अपने विचार हैं।)
००००००००००००००००

एक टिप्पणी भेजें

1 टिप्पणियाँ

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (04-09-2017) को "आदमी की औकात" (चर्चा अंक 2717) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं

ये पढ़ी हैं आपने?

Hindi Story: कोई रिश्ता ना होगा तब — नीलिमा शर्मा की कहानी
इरफ़ान ख़ान, गहरी आंखों और समंदर-सी प्रतिभा वाला कलाकार  — यूनुस ख़ान
विडियो में कविता: कौन जो बतलाये सच  — गिरधर राठी
ज़ेहाल-ए-मिस्कीं मकुन तग़ाफ़ुल Zehaal-e-miskeen makun taghaful زحالِ مسکیں مکن تغافل
Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
कहानी ... प्लीज मम्मी, किल मी ! - प्रेम भारद्वाज
एक पेड़ की मौत: अलका सरावगी की हिंदी कहानी | 2025 पर्यावरण चेतना
रेणु हुसैन की 5 गज़लें और परिचय: प्रेम और संवेदना की शायरी | Shabdankan
गिरिराज किशोर : स्मृतियां और अवदान — रवीन्द्र त्रिपाठी
कहानी: छोटे-छोटे ताजमहल - राजेन्द्र यादव | Rajendra Yadav's Kahani 'Chhote-Chhote Tajmahal'