ठुमरी को खुश किया मालिनी अवस्थी और कल्पना झोकरकर ने - भरत तिवारी


मालिनी अवस्थी के साथ तबले पर उस्ताद अकरम खान, सारंगी पर उस्ताद मुराद अली खान



(आज के नवोदय टाइम्स में प्रकाशित)

ठुमरी फेस्टिवल - दूसरा दिन

कमानी ऑडिटोरियम में चल रहे तीन दिवसीय ‘ठुमरी फेस्टिवल’ के दूसरे दिन, शनिवार 2 सितम्बर को ठुमरी प्रेमियों ने इस विधा के दिग्गजों कल्पना झोकरकर, रमाकांत गायकवाड़ और मालिनी अवस्थी को सुनने का खूब आनंद उठाया।

कल्पना झोकरकर 


अनुजा झोकरकर
कल्पना झोकरकर ने सुकुन देती, राग मिश्र खमाज में ठुमरी, "ध्यान लगो मोहे तोरा.." से शाम का बेहतरीन आरंभ किया। कल्पना को उस्ताद रजब अली खान साहब की विरासत अपने पिता और गुरु श्री कृष्णराव (ममसाहेब) मुजुमदार से मिली है। डॉ० सुशील पांडे से ख्याल और ठुमरी गायन की शिक्षा प्राप्त, कल्पना झोकरकर ने अगली ठुमरी निर्मला अरुण जी की गाई "सांवरिया तुझ बिन चैन कहां से पाऊं" सुनायी। तबले पर विनोद लेले और हारमोनियम पर विनय मिश्रा उन्हें गजब की संगत दे रहे थे। और तानपुरे पर बेटी अनुजा की आवाज़ भी मन मोह रही थी, उसकी आवाज़ में सुर, उस तरह लगते सुनायी पड़े, जिनमें भविष्य में अच्छा कलाकार बनाने की क्षमता होती है। उन्होंने अपनी प्रस्तुति का समापन शोभा गुर्टू की गायी कजरी 'नजरिया लागे नहीं कहीं और' से किया...श्रोताओं की तालियाँ गवाही दे रही थीं कि उनका गायन उच्च स्तर का है।

बांये से: विनय मिश्रा, विनोद लेले, कल्पना झोकरकर, सुमित्रा महाजन, अनुजा झोकरकर व सिंधु मिश्र

कार्यक्रम में लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन भी मौजूद थीं, साहित्य कला परिषद की सहायक सचिव सिंधु मिश्र ने उन्हें मंच पर कलाकारों से मिलाने भी ले गयीं।

सलाम पंडित छन्नूलाल मिश्र की गायन क्षमता को

रमाकांत गायकवाड़
अब बारी थी पटियाला घराने के युवा गायक रमाकांत गायकवाड़ की। गायकवाड़ की पहली ठुमरी ' चंचल नार' में पहाड़ी राग की झलक देखने को मिली। उसके बाद उन्होंने राग मिश्र भिन्न-षड्ज में "याद पिया की आए" सुनायी। बहुत कम नए कलाकारों को ऐसा मौका मिलता है कि वह अच्छा सुनने वाले संगीत प्रेमियों के सामने अपना गायन पेश करे...रमाकांत ने इस मौके का आज पूरा फ़ायदा नहीं उठाया। उनकी आखरी प्रस्तुति मिश्र भैरवी में ठुमरी ‘आए न बालम’ थी।

मालिनी अवस्थी  (पार्श्व में मुरादअली खान)




मुराद अली खान
मालिनी अवस्थी अवधी, बुंदेलखंडी और भोजपुरी बोली में लोकगीत गाने वालों में सबसे अधिक पसंद किये जाने वाली गायिकाओं में से एक हैं। गिरिजा देवी की शिष्य, पद्म श्री से सम्मानित मालिनी अवस्थी की फैन फालोइंग इस बात की गवाह है कि वे शास्त्रीय सुनने वालों से इतर संगीत प्रेमियों और युवाओं की पसंदीदा लोकगीत गायिका हैं। उन्होंने एक के बाद एक ज़बरदस्त गीत सुनाये, अपने चाहने वालों की, और सुनने की मांग को वह नकारती नहीं हैं आज भी उन्होंने सबको खुश ही किया। संगत में हारमोनियम पर पंडित धर्मनाथ मिश्रा, तबले पर उस्ताद अकरम खान और सारंगी पर ज़बरदस्त सारंगीवादक उस्ताद मुराद अली खान के साथ उन्होंने राग देश-मल्हार में ठुमरी ‘आये सावन घेरि आये बदरवा’, दोहे की कजरी ‘आये नही छैल बिहारी रे सांवरिया’, कजरी मिर्जापुरी में ‘काहे करेलू गुमान गोरी सावन में’, अपना लोकप्रिय सावन गीत "तुमको आने में तुमको बुलाने में, कई सावन बरस गए साजना’ और अंत में राग भैरवी में विंटेज ठुमरी ‘जा मैं तोसे नाही बोलूंगी’ सुनायी।


सिंधु मिश्र 

रविवार को ‘ठुमरी फेस्टिवल’ 2017 का समापन है। और यदि आप ठुमरी के चाहने वाले हैं तो कमानी ऑडिटोरियम पहुँचिये और पूजा गोस्वामी, मीता पंडित और गिरजादेवी की आवाज़ का लुत्फ़ उठाइए।

दिल्ली में धमकती पूरब की ठुमरी


००००००००००००००००

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

ये पढ़ी हैं आपने?

Hindi Story: कोई रिश्ता ना होगा तब — नीलिमा शर्मा की कहानी
इरफ़ान ख़ान, गहरी आंखों और समंदर-सी प्रतिभा वाला कलाकार  — यूनुस ख़ान
विडियो में कविता: कौन जो बतलाये सच  — गिरधर राठी
ज़ेहाल-ए-मिस्कीं मकुन तग़ाफ़ुल Zehaal-e-miskeen makun taghaful زحالِ مسکیں مکن تغافل
Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
कहानी ... प्लीज मम्मी, किल मी ! - प्रेम भारद्वाज
एक पेड़ की मौत: अलका सरावगी की हिंदी कहानी | 2025 पर्यावरण चेतना
रेणु हुसैन की 5 गज़लें और परिचय: प्रेम और संवेदना की शायरी | Shabdankan
गिरिराज किशोर : स्मृतियां और अवदान — रवीन्द्र त्रिपाठी
कहानी: छोटे-छोटे ताजमहल - राजेन्द्र यादव | Rajendra Yadav's Kahani 'Chhote-Chhote Tajmahal'