जो बोले वो दलाल !!! — अभिसार शर्मा #Shabdankan @abhisar_sharma


ये सरकार सुविधावादी हैं।

सैनिकों के साहस को राजनीतिक तौर पर भुनाते हैं, मगर नगरोटा पर चुप। जो हिंदू-भारतीय अमरीका मे मारा गया उस पर चुप।

जो बोले वो दलाल !!! — अभिसार शर्मा


श्मशान कब्रिस्तान, कसाब सब चल रहा है डंके की चोट पर।— अभिसार शर्मा
फिर भी भोली-भाली जनता को ये प्रपंच, ये ढ़ोंग पसंद है। उसे ये नहीं दिखाई दे रहा कि यूपी के चुनावों मे नफरत का संदेश कोई और नहीं सीधे प्रधानमंत्री और अमित शाह के स्तर पर दिया जा रहा है। श्मशान कब्रिस्तान, कसाब सब चल रहा है डंके की चोट पर। चुनाव आयोग, मीडिया मस्त है। ISRO की उपलब्धि को भी मोदीजी की निजी कामयाबी के तौर पर पेश किया जा रहा है। आरबीआई, चुनाव आयोग, मीडिया सारी संस्थाएं विश्वसनीयता की सबसे खराब अवस्था पर हैं। फिल्मी हस्तियां, खिलाड़ी, सेंसर बोर्ड, सब जैसे एक ऐजेंडा के तहत काम कर रहे हैं। कोई सवाल भी नहीं करता। या तो चुप्पी है या सहमती। देश के स्टेट होम मिनिस्टर को करगिल के शहीद की बेटी के बलात्कार की धमकी मंजूर है, मगर  एबीवीपी की गुंडागर्दी पर सवाल करे, तो बतौर "रीरीरीरीजीजू", उसे कोई भटका रहा है। हम वाकई एक ऐसे समाज की और बढ़ रहे हैं, जिसकी सोच कचरा है, जो झूठ बार-बार बोलकर उसे सत्य मे तब्दील करना चाहता है। न मीडिया को सच से कोई लेना-देना है, न आम इंसान को। कोई जवाबदेही नही है। अगर बीजेपी सभी जगह जीत रही है, तो वो सही ही होगी। कोई नहीं देख रहा कि ज़रिया क्या है। राजनीतिक विकल्प इतने कमज़ोर हैं कि आम इंसान झूठ के कारोबार का शान से हिस्सा बन रहा है।
हम वाकई एक ऐसे समाज की और बढ़ रहे हैं, जिसकी सोच कचरा है, जो झूठ बार-बार बोलकर उसे सत्य मे तब्दील करना चाहता है। 

ये वाकई देश का सल्फेट काल है। और हम सब चू. सल्फेट। सबने खुशी से चरस पी हुई है। और जो सवाल करे, जो हकीकत दिखाने का प्रयास करे उसे परेशान करो। उसके खिलाफ प्रौपगैंडा चलाओ। उसे हर मोर्चे पर सताओ। उसके परिवार तक तो नहीं बख्शो... उसके बीवी बच्चों तक को मत छोड़ो। जो काम माफिया नहीं करता, वो करो। ये बात मैं पूरी ज़िम्मेदारी से कह रहा हूं। गुस्से मे हूं, मगर कंट्रोल मे। ऐसे लोगों को कई मोर्चों पर परेशान किया जाता है, निजी और काम के स्तर पर भी। और जनता ये सब नहीं देखती। उसे बस बनावटी जलवा दिख रहा है। उसे बस खेल चाहिए। मनोरंजन। प्रधानमंत्री ने कानपुर मे हुए रेल हादसे के लिए नेपाल और पाकिस्तान की ओर इशारा कर दिया, किसी ने सोचा तक नहीं कि बात मे कितनी सत्यता है। कोई नहीं पूछ रहा है कि न तो जांच एजेंसी NIA और ना ही रेल मंत्रालय की जांच ने किसी साज़िश की बात कही गयी है। मगर मोदीजी कह रहे हैं तो सच ही होगा। आखिर क्यो?


और सवाल करे, उसे नेस्तनाबूद कर दो। उसके लिए एबीवीपी, गौ सैनिक, सोशल मीडिया ट्रोल्स हैं न। और आप सबको ये पसंद है। क्योंकि आंच आप तक नहीं आई है। आप अब भी इस सोच मे जीना चाहते हैं कि देश के हिंदू पर 67 साल से नाइंसाफी हुई है और इन मुसलमानों , उदारवादियों, बिके हुए पत्रकारों पर सिर्फ मोदीजी लगाम लगा सकते हैं। तीन साल मे देश ने कितनी तरक्की देखी है ना। क्यों? अच्छे दिन। याद है ना? या फिर ये भी जुमला...

मगर जैसा मैने बताया ना, ये देश का सल्फेट काल है और हम सब...
Abhisar Sharma
Journalist , ABP News, Author, A hundred lives for you, Edge of the machete and Eye of the Predator. Winner of the Ramnath Goenka Indian Express award.

(ये लेखक के अपने विचार हैं।)
००००००००००००००००
nmrk5136

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

ये पढ़ी हैं आपने?

Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
गिरिराज किशोर : स्मृतियां और अवदान — रवीन्द्र त्रिपाठी
कोरोना से पहले भी संक्रामक बीमारी से जूझी है ब्रिटिश दिल्ली —  नलिन चौहान
मन्नू भंडारी की कहानी — 'रानी माँ का चबूतरा' | Manu Bhandari Short Story in Hindi - 'Rani Maa ka Chabutra'
टूटे हुए मन की सिसकी | गीताश्री | उर्मिला शिरीष की कहानी पर समीक्षा
मन्नू भंडारी की कहानी  — 'नई नौकरी' | Manu Bhandari Short Story in Hindi - 'Nayi Naukri' मन्नू भंडारी जी का जाना हिन्दी और उसके साहित्य के उपन्यास-जगत, कहानी-संसार का विराट नुकसान है
ईदगाह: मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी | Idgah by Munshi Premchand for Eid 2025
मन्नू भंडारी, कभी न होगा उनका अंत — ममता कालिया | Mamta Kalia Remembers Manu Bhandari
एक स्त्री हलफनामा | उर्मिला शिरीष | हिन्दी कहानी
मन्नू भंडारी: कहानी - एक कहानी यह भी (आत्मकथ्य)  Manu Bhandari - Hindi Kahani - Atmakathy