बीजेपी 34% — कांग्रेस 49% — एमपी चुनाव, जानिए जनता का मूड — ब्रजेश राजपूत @brajeshabpnews



जनता का मूड नापें तो करीब 15% की बढ़ोतरी कांग्रेस के पक्ष में

बनता बिगड़ता है जनता का मूड, मूड से बच कर रहियो.... 

तब एबीपी के चुनाव-पूर्व सर्वे में 160 सीट बीजेपी को मिलने का ऐलान किया था, तो सीएम शिवराज सिंह और बीजेपी के लोग भी भरोसा नहीं करते थे। कहते थे आप बहुत ज्यादा सीटें दिखा रहे हैं। 

:: सुबह सवेरे में ब्रजेश राजपूत: ग्राउंड रिपोर्ट

दृश्य एक : भोपाल में वल्लभ भवन की पाँचवीं मंजिल, मुख्यमंत्री दफतर का चैंबर, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह कैबिनेट की बैठक खत्म होने के बाद अपने मंत्रियों के साथ अनौपचारिक चर्चा करने के लिये बैठे हैं। खुशनुमा माहौल में चल रही चर्चा में सीएम मंत्रियों से कहते हैं कि इतने सालों में आप हम सब अब परिवार के लोग हो गये हो और हमारा ये परिवार इसी तरह चले इसके लिये आपको जरूरी है कि आप सब दोबारा जीत कर आयें। अब आप सब जमकर मेहनत करिये। गांवों में जाइये जनता से बात करिये और हो सके तो गांवों में रात रुकिये क्योंकि जनता का मूड इन दिनों ठीक नहीं है। 


दृश्य दो : भोपाल में कांग्रेस दफतर इंदिरा भवन के राजीव गांधी सभागार में कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की पत्रकार वार्ता हो रही है। सवाल पूछा जाता है कि आपको आये अब काफी दिन हो गये कांग्रेस कब सड़कों पर उतर कर शिवराज सरकार को घेरेगी, क्योंकि कांग्रेस का विधानसभा घेराव दो तीन बार तारीख बढ़ाने के बाद स्थगित ही हो गया है। इस पर कमलनाथ कहते हैं, सरकार को घेरने के लिए कांग्रेस सब कुछ करेगी, मगर ये तो सोचिये मुझे पद संभाले आज इक्कीस दिन ही हुए हैं।“ इस पर एक चपल पत्रकार ने फिर कमलनाथ को घेरा, “अरे आप तो एक—एक दिन गिन रहे हैं...”  मुस्कुराकर कमलनाथ ने कहा, “दिन नहीं घंटे। मेरे पास वक्त बहुत कम है।“



चुनाव के लिये वक्त बहुत कम है
सच है पार्टियों के लिहाज से विधानसभा चुनाव के लिये वक्त बहुत कम है। ठीक पांच महीने बाद छटवें महीने में चुनाव हो जाने हैं। और इस साल के आखिरी महीने के शुरुआती हफ्ते में कौन सी पार्टी सत्ता में रहेगी ये तय हो जायेगा। और ये सब कुछ तय करता है जनता के मूड पर कि जनता सरकार के कामकाज को लेकर क्या सोचती है।

देश का मूड
जनता का मूड जानने के लिये जब एबीपी न्यूज ने पिछले दिनों सबसे विश्वसनीय सीएसडीएस(CSDS) के साथ मिलकर ‘देश का मूड’ नाम से जनमत सर्वेक्षण किया तो परिणाम चौंकाने वाले रहे। मध्य प्रदेश में किये गये सर्वे में सामने आया —
बीजेपी के पक्ष में 34% तो कांग्रेस के पक्ष में 49% लोग खड़े दिखे। 
पिछले चुनाव यानी 2013 में पार्टियों के पास ये परसेंटेज एकदम उलटा था: तब बीजेपी के पास 45% तो कांग्रेस के पास 36% वोट था। यानी जनता का मूड नापें तो करीब 15% की बढ़ोतरी कांग्रेस के पक्ष में दिखी। 

सरकार के नेताओं और अफसरों का मूड बिगाड़ दिया
निश्चित ही जनता के इस मूड ने सत्ताधारी सरकार के नेताओं और अफसरों का मूड बिगाड़ दिया। आमतौर पर सर्वे में 3% से 5% की ऊंच-नीच की गुंजाइश रहती है...मगर फिर भी 10% का अंतर यदि कांग्रेस के पक्ष में है तो है न हैरानी की बात।

बेहद मेहनती मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की अगुआई में पिछले 13 साल से चलने वाली सरकार का जनता में ये प्रदर्शन निराश करने वाला है। हालाँकि इसे चुनाव प्रतिशत का अंतर मानें तो प्रदेश के पहले विधानसभा चुनाव जो 1957 में हुये थे — तब जनसंघ को दस और कांग्रेस को पचास फीसदी वोट मिले थे — मगर उसके बाद से ये अंतर लगातार घटता रहा ओर 1993 और 1998 के चुनावों में ये अंतर घटकर क्रमशः 1.5%  और 1.3%  तक आ गया था। दोनों बार कांग्रेस के दिग्विजय सिंह बेहद कम अंतर से चुनाव जीतकर सीएम बने थे। मगर 2003 में उमा भारती के आते ही ये अंतर 1% से उछलकर 11% तक जा पहुंचा...  और शिवराज सिंह की अगुआई में लड़े चुनाव 2008 में 5 फीसदी और 2013 में 8 फीसदी तक जा पहुंचा।


वैसे 15% के इस अंतर पर सभी ने असहमति जतायी...  मगर यदि पिछले विधानसभा चुनाव के पांच साल पहले के इन्हीं दिनों को देखे तो समझ आता है कि 2013 के मई-जून महीने में भी तकरीबन ऐसा ही माहौल और सरकार के प्रति नाराजगी बढ़ गयी थी। भीषण गर्मी से जलाशय और नदियां सूख गयीं थी। किसानों में बेहद हताशा और जल-संकट गहराया हुआ था। लोग सरकार के खिलाफ खुलकर बोलते थे, मगर अगस्त में हुयी अच्छी बारिश और शिवराज सिंह के रात-दिन के दौरों ने माहौल बदला...  रही सही कसर 2014 में चलने वाली मोदी मोदी की सुनामी के पहले आयी आंधियों ने पूरी कर दी। 165 सीटों के साथ बीजेपी ने शानदार वापसी की।

तब एबीपी के चुनाव-पूर्व सर्वे में 160 सीट बीजेपी को मिलने का ऐलान किया था, तो सीएम शिवराज सिंह और बीजेपी के लोग भी भरोसा नहीं करते थे। कहते थे आप बहुत ज्यादा सीटें दिखा रहे हैं। कांग्रेसी नेता तो ऐसे सर्वे को कचरे की टोकरी में डालने को कहते थे मगर सीटें आयीं 165 !

इसलिये सर्वे और जनता के मूड को नकारने के पहले थोड़ा सोचिये जरूर... ... 

जाते जाते हमें मशहूर खेल कमेंटेटर जसदेव सिंह याद आ गये, उनकी भाषा में बोले तो: भई हमारी भारतीय हॉकी टीम को बड़ी पुरानी बीमारी है कि पेनाल्टी कॉर्नर को गोल में बदल नहीं पाती।

एमपी के राजनीतिक कमेंटरी करने वाले पत्रकार दीपक तिवारी भी यही कहते हैं, “एमपी में कांग्रेस को भी बड़ी पुरानी बीमारी है कि — वो जनता के मूड को वोट में बदल नहीं पाती।"

आप इससे सहमत हैं ?

ब्रजेश राजपूत,
एबीपी न्यूज
भोपाल


(ये लेखक के अपने विचार हैं।)
००००००००००००००००

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

ये पढ़ी हैं आपने?

Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
गिरिराज किशोर : स्मृतियां और अवदान — रवीन्द्र त्रिपाठी
कोरोना से पहले भी संक्रामक बीमारी से जूझी है ब्रिटिश दिल्ली —  नलिन चौहान
मन्नू भंडारी: कहानी - एक कहानी यह भी (आत्मकथ्य)  Manu Bhandari - Hindi Kahani - Atmakathy
 प्रेमचंद के फटे जूते — हरिशंकर परसाई Premchand ke phate joote hindi premchand ki kahani
ईदगाह: मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी | Idgah by Munshi Premchand for Eid 2025
ज़ेहाल-ए-मिस्कीं मकुन तग़ाफ़ुल Zehaal-e-miskeen makun taghaful زحالِ مسکیں مکن تغافل
Hindi Story: दादी माँ — शिवप्रसाद सिंह की कहानी | Dadi Maa By Shivprasad Singh
फ्रैंक हुजूर की इरोटिका 'सोहो: जिस्‍म से रूह का सफर' ⋙ऑनलाइन बुकिंग⋘
NDTV Khabar खबर