नपुंसक समय में प्रेम और हिंसा साथ साथ चलते हैं - गीताश्री

प्रेम की दुनिया का अंत
क्या अंधेरे में ही होना हुआ
हमारे झलक भर देखे बगैर
उन बादलो के बीच चांद का उजाला जहां
पूरता है आसमान

(ओना नो कोमाची, जापानी कविता)


पिछले दिनों जवाहरलाल नेहरु विश्वविधालय में प्रेम के नाम पर जिस लड़की पर सरेआम प्राणघातक हमला हुआ और प्रेमी ने खुद जहर खा लिया, इसके बाद से वैचारिक संसार में भूचाल सा आ गया है।. कोई पहली घटना नहीं है। आए दिन अखबार बांचिए, दूसरे तीसरे न. पेज पर ऐसी ही हमले की खबरे छपी होतीं हैं। ये मामला दिल्ली के बौध्दिक अखाड़े से जुड़ा है सो इस पर बौधिक जुगाली तो बनती है। विचारन है तो इस पर विचारे कि क्यो बार बार लड़कियों पर ही प्राणघातक हमले होते हैं। ये कैसा प्रेम है, वो कौन से कारक हैं जो एक प्रेमी को इतना क्रूर और हिंसक बना देते हैं। प्रेम तो लड़कियां भी करती हैं। धोखा भी खाती है, छली जाती है और छोड़ दी जाती है अपने आततायी प्रेमियों के द्वारा। लडकी ने हमले तब किए जब उनका यौन शोषण हुआ और समाज और कानून से उसे न्याय नहीं मिला। इसलिए हमले नहीं किए कि प्रेम में विफल रही या प्रेम पर उसका वर्चस्व कायम नहीं हो पाया। प्रेम में लड़कियां खुदकुशी कर लेती है, प्रेमी को मारने के बजाए। प्रेम में लड़कियां मर जाती हैं, मारती नहीं।

      ओरहान पामुक के उपन्यास "स्नो"  में नायिका एक बहस के दौरान कबूलती है कि खुदकुशी का पल वह पल होता है जिसमें औरत समझ जाती है कि औरत होना किस कदर तन्हा होना है और दरअसल एक औरत होने का अर्थ क्या है।  

      अगर ऐसा नहीं होता तो प्रेम में धोखा खाने के बाद अभिनेत्री जिया खान को सूरज पंचोली को मार देना चाहिए था। सारी घटनाएं बताती हैं कि स्त्री पर एकाधिकार की प्रवृति ही प्रेम को हिंसक बना देती है। दरअसल प्रेम की संरचना ही जटिल होती है। प्रेम और हिंसा साथ-साथ चलते हैं। वर्चस्ववादी प्रेम अपने साथ हिंसा को पोसता चलता है। स्त्री जब भी निकलना चाहे अतिवादी प्रेम से बाहर, हिंसा उसे इजाजत नहीं देती। वह उसे मार देती है, कुल्हाड़ी से, चाकू से और उसके चेहरे पर तेजाब फेंक देती है या उसे सेक्स-गुलाम बना कर जीने पर विवश कर देती है।

      ऐसा प्रेम अपने साथ साजिशें लेकर आता है। शेक्सपीयर के नाटक ओथैलो में डेस्टीमोना और ओथैलो का प्रेम ही हिंसा के साये में पनपता है। पांच सौ साल पहले के इंगलैंड में गढे कथासूत्र में और आज भारतीय महाद्वीप में कितना साम्य है। कुछ भी नहीं तो बदला। प्रेम की गति ही दुखांत की है। अवांछित प्रेम स्त्रियों का दुर्भाग्य है। इनकार से उपजी हिंसा इस तरह के प्रेम के साथ पैकेज में मिलता है। सैडिस्ट लोग प्रेम में स्त्री को अपनी मिल्कियत में बदल देते हैं। प्रसिध दार्शनिक-लेखक एरिक फ्राम ने ऐसे ही लोगो के बारे में लिखा है कि ये लोग जिंदा शरीरो में मृत आत्माएं लिए फिरते हैं। ऐसे प्रेमियों की कसौटी पर खोई स्त्री खरी नहीं उतर सकती। उसे हिंसक और अतिवादी प्रेम समूचा लील जाने को तैयार बैठा है। सोचो लड़कियों, नपुसंक समय और समाज में ऐसे हिंसक प्रेम से कैसे बचा जाए।

तस्लीमा नसरीन ऐसे ही प्रेम के बारे में लिखती है
     मत करो प्रेम
    यह ज्यादा अच्छा है
    मुझे मिथ्या के जल में डूबोकर
    मेरी सांस रोक देने से
     दोस्तो, फिर भी इस भय, खौफ, उदासी, हताशा और नाकामियों के खिलाफ हम करेंगे प्रेम। क्योंकि हमें पृथ्वी को बचाना है कब्रगाह बनने से। रार्बट ब्राउनिंग ने लिखा है -प्रेम निकाल दो तो यह पृथ्वी कब्र है।


अशोक वाजपेयी की कविता है
   प्रेम आसान नहीं है 
   उसमें इतनी निराशाएं होती रही हैं 
   फिर भी वही एक उम्मीद है 
   वही आग है, वही लौ है 
   वही अर्थ के दहलीज है

यह जानते हुए भी स्त्रियां करेंगी प्रेम क्योंकि प्रेम करते हुए ही उनके जीवन में अनंत स्वप्न जिंदा रहते हैं।

गीताश्री
nmrk5136

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

ये पढ़ी हैं आपने?

Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
कोरोना से पहले भी संक्रामक बीमारी से जूझी है ब्रिटिश दिल्ली —  नलिन चौहान
गिरिराज किशोर : स्मृतियां और अवदान — रवीन्द्र त्रिपाठी
मन्नू भंडारी की कहानी — 'रानी माँ का चबूतरा' | Manu Bhandari Short Story in Hindi - 'Rani Maa ka Chabutra'
ईदगाह: मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी | Idgah by Munshi Premchand for Eid 2025
मन्नू भंडारी: कहानी - एक कहानी यह भी (आत्मकथ्य)  Manu Bhandari - Hindi Kahani - Atmakathy
मन्नू भंडारी की कहानी  — 'नई नौकरी' | Manu Bhandari Short Story in Hindi - 'Nayi Naukri' मन्नू भंडारी जी का जाना हिन्दी और उसके साहित्य के उपन्यास-जगत, कहानी-संसार का विराट नुकसान है
ज़ेहाल-ए-मिस्कीं मकुन तग़ाफ़ुल Zehaal-e-miskeen makun taghaful زحالِ مسکیں مکن تغافل
सांता क्लाज हमें माफ कर दो — सच्चिदानंद जोशी #कहानी | Santa Claus hame maaf kar do
मन्नू भंडारी, कभी न होगा उनका अंत — ममता कालिया | Mamta Kalia Remembers Manu Bhandari