एक भारतीय औरत का जिद्दी जज्बा 'मेरी कॉम' - दिव्यचक्षु | Mary Kom (Priyanka Chopra) Review - Divya-Chakshu

फिल्म समीक्षा
mary kom priyanka chopra movie review divya chakshu

एक जिद्दी जज्बा

दिव्यचक्षु

मेरी कॉम

निर्देशक- ओमंग कुमार
कलाकार- प्रियंका चोपड़ा

निर्देशक ओमंग कुमार की फिल्म `मेरी कॉम’ एक जिद्दी जज्बे की कहानी है। और जज्बा भी किसका? एक औरत का। एक भारतीय औरत का। मणिपुर की औरत का। उस मणिपुर की औरत का जों कई बरसों से आतंकवाद के घेरे में है और जहां विशेष सशत्र बल अधिनियम के खिलाफ इरोम शर्मिला का लंबा संघर्ष चला। इरोम शर्मिला और मेरी कॉम मणिपुर की दो महिलाएं है जो अपने जज्बे की वजह से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चित हुईं। इरोम शर्मिला अपने लंबे अनशन की वजह से और मेरी कॉम ब़ॉक्सिंग में चैंपियन बन के। मेरी कॉम पांच बार विश्व  बॉक्सिंग चैंपियन रह चुकी हैं और एक बार बॉक्सिंग में ओलंपिक कांस्य विजेता। उन्होंने भारतीय तिरंगे की शान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लहराया है। उनकी जिदंगी हर खिलाड़ी और हर भारतीय महिला के लिए प्रेरणास्रोत है।

मेरी कॉम की भूमिका प्रियंका चोपड़ा ने निभाई है। फिल्म शुरू होती है मेरी कॉम की प्रसव पीड़ा से जिसे लेकर उसका पति ओनलर (दर्शन कुमार) रात के अंधेरे में अस्पताल ले जाने निकला है। पैदल। सड़क पर आंतक का साया  है।  क्या समय रहते मेरी अस्पताल पहुंच पाएगी? और इसी प्रसव वेदना के दौरान मेरी को याद आता है अपना बचपन जब अपने पिता और मां के साथ गांव में रहती थी और एक बॉक्सर बनने का सपना देखती थी। ये सपना तो पूरा हुआ लेकिन इसकी राह में कई बाधाएं आईं। सबसे पहले तो पिता की नाराजगी। पिता नहीं चाहते कि मेरी बॉक्सर बने क्योंकि अगर बॉक्सिंग के दौरान चोट की वजह से चेहरा बिगड़ गया तो मेरी से शादी कौन करेगा? लेकिन अपने पिता से छिपछिपाकर मेरी बॉक्सर बन ही जाती है। और फिर उसके जीवन का दूसरा अध्याय शुरू होता है तब जब वो शादी करती हैं।  उसके कोच नहीं चाहते कि मेरी शादी करे क्योंकि एक बार शादी के बंधन कोई लड़की बंध जाती है तो फिर घर और के दायरे में बंध  जाती है। उसका बॉक्सिंग उससे छूट जाता है। क्या मेरी घर और परिवार के दायरे में आने के बाद फिर से बॉक्सिंग में अपनी जीत का फताका फहरा सकती हैं? यही है प्रश्न है जो इस फिल्म का केंद्रविंदु है।

`मेरी काम’ `भाग मिल्खा भाग’ के बाद दूसरी फिल्म है जो किसी खिलाड़ी की जिंदगी पर आधारित है। हालांकि इस बात पर बहस जारी है कि क्या `मेरी कॉम’ पूरी तरह जीवनीपरक है?  कुछ लोगों का मानना है कि निर्देशक ओमंग कुमार ने इसमें कई तरह की आजादी ली है और मेरी के वास्तिवक जीवन के कई प्रसंग इसमें नहीं हैं। जैसे ये कि 2006 में मेरी के श्वसुर की हत्या मणिपुर के एक आतंकवादी संगठन ने कर थी। या ये कि मेरी की बॉक्सिंग में रूचि मणिपुर के ही बॉक्सर दिंगको सिंह की वजह से हुई थी जो 1998 में एशियाई प्रतियोगिता में विजेता भी थे। ये भी आरोप लगाया जा रहा है कि फिल्म की ज्यादा शूटिंग मणिपुर में नहीं बल्कि या तो मनाली में हुई या स्टूडियो में। फिर ये भी कहा जा रहा है कि प्रियंका का चेहरा आम मणिपुरी औरत का नहीं है।

ये सब बातें तकनीकी तौर पर जायज होंगी। पर इससे भी इनकार नहीं किया जा सकता कि `मेरी कॉम’ एक ऐसी फिल्म है जो कई तरह के जजबात को पर्दे पर दिखाती है और अपनी सकारात्मकता की वजह से आम फिल्मों से अलग है। इसमें एक मणिपुरी की  भारतीय राज्य से जो शिकायत है वो भी है लेकिन संतुलित रूप में। निर्देशक ने खेल संघों के भीतर चलने वाली राजनीति और ओछेपन को भी दिखाया है। पर राष्ट्रीयता की भावना भी है और आखिर में `जन गण मन’  के गायन से ये भारतीय राष्ट्रीयता की भी फिल्म हो जाती है।

मेरी के कोच की भूमिका सुनील थापा ने निभाई है जो नेपाली के चर्चित कलाकार हैं। मेरी के पिता बने हैं रॉबिन दास जो बरसों रंग जगत के चर्चित निर्देशक रहे और राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय मे अध्यापक भी। मेरी के पति की भूमिका नए अभिनेता दर्शन कुमार ने निभाई है। ये सभी अपनी अपनी जगहों पर प्रभावित करते हैं लेकिन फिल्म तो टिकी है प्रियंका पर जिन्होंने इस भूमिका के लिए काफी मेहनत की है और मेरी  के संघर्षशील व्यक्तित्व के भावनात्मक पहलुओं को गहराई के साथ उतारा है। दो जुडवां बच्चों के लालन पालन और अपने बॉक्सिंग के बीच झूलती  मेरी किस तरह रास्ता बनाती है और अपनी मंजिल को पाती है इसे   प्रियंका पूरी निष्ठा से दिखाती हैं। कुछ शुद्धतावादी भले नाक-भौं सिकोड़ें पर इससे इसके ज्यादा फर्क नहीं पड़ता। `मेरी कॉम’ दिल को छूती है।
दिव्यचक्षु
Mary Kom : Unyielding spirit of an Indian woman

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

ये पढ़ी हैं आपने?

Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
गिरिराज किशोर : स्मृतियां और अवदान — रवीन्द्र त्रिपाठी
कोरोना से पहले भी संक्रामक बीमारी से जूझी है ब्रिटिश दिल्ली —  नलिन चौहान
मन्नू भंडारी: कहानी - एक कहानी यह भी (आत्मकथ्य)  Manu Bhandari - Hindi Kahani - Atmakathy
 प्रेमचंद के फटे जूते — हरिशंकर परसाई Premchand ke phate joote hindi premchand ki kahani
ईदगाह: मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी | Idgah by Munshi Premchand for Eid 2025
ज़ेहाल-ए-मिस्कीं मकुन तग़ाफ़ुल Zehaal-e-miskeen makun taghaful زحالِ مسکیں مکن تغافل
Hindi Story: दादी माँ — शिवप्रसाद सिंह की कहानी | Dadi Maa By Shivprasad Singh
ऐ लड़की: एक बुजुर्ग पर आधुनिकतम स्त्री की कहानी — कविता
अखिलेश की कहानी 'अँधेरा' | Hindi Kahani 'Andhera' by Akhilesh