कैलाश वाजपेयी एक मनमौजी साहित्यकार थे - कमल किशोर गोयनका | Kamal Kishore Goenka on Kailash Vajpaayee's Death


कैलाश वाजपेयी एक मनमौजी साहित्यकार थे

कमल किशोर गोयनका


कैलाश वाजपेयी मुझ से थोड़े ही बड़े थे, लेकिन कविता में निरंतर 50 वर्षो की उनकी साधना अप्रतिम है. वो दार्शनिक थे - भारतीय संस्कृति के प्रति उनका गहरा लगाव था. कैलाशजी एक मनमौजी साहित्यकार थे और उनका किसी भी तरह की राजनीति से कभी कोई सरोकार नहीं रहा. कैलाश वाजपेयी का जाना हिंदी कविता की बहुत बड़ी क्षति है. उनकी आत्मा को मेरी हार्दिक श्रधांजलि.

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

ये पढ़ी हैं आपने?

Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
मन्नू भंडारी: कहानी - एक कहानी यह भी (आत्मकथ्य)  Manu Bhandari - Hindi Kahani - Atmakathy
ईदगाह: मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी | Idgah by Munshi Premchand for Eid 2025
एक पेड़ की मौत: अलका सरावगी की हिंदी कहानी | 2025 पर्यावरण चेतना
गिरिराज किशोर : स्मृतियां और अवदान — रवीन्द्र त्रिपाठी
कोरोना से पहले भी संक्रामक बीमारी से जूझी है ब्रिटिश दिल्ली —  नलिन चौहान
मैत्रेयी पुष्पा की कहानियाँ — 'पगला गई है भागवती!...'
ज़ेहाल-ए-मिस्कीं मकुन तग़ाफ़ुल Zehaal-e-miskeen makun taghaful زحالِ مسکیں مکن تغافل
चित्तकोबरा क्या है? पढ़िए मृदुला गर्ग के उपन्यास का अंश - कुछ क्षण अँधेरा और पल सकता है | Chitkobra Upanyas - Mridula Garg
Harvard, Columbia, Yale, Stanford, Tufts and other US university student & alumni STATEMENT ON POLICE BRUTALITY ON UNIVERSITY CAMPUSES