कहानी बनाना रिपब्लिक (भाग-३) शिवमूर्ति सातवीं क्लास में सुलताना उसके बगल वाले टाट पर दरवाजे के पास बैठती थी। आते जाते वह उसकी समीज क…
आगे पढ़ें »पाठक हतप्रभ रह जाता है… पाठक को समझ ही नहीं आ रहा होता कि आखिर कैसे एक-कहानी को पढ़ कर वह उस 'दुनिया' में विचरण कर आया, जो उसके अंतस में थी…
आगे पढ़ें »हद्द बेशरम हो तुम, जब बच्चे छोटे थे तो कभी गोदी में बिठाया तुमने? आज बड़े आये ह…
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