उन्हीं के लोग
चल रही है
जोरदार बहस
जोर जोर से चीखते हुए
लोग सुनवाना चाहते हैं
मनवाना चाहते हैं बात
उन्हीं के वही लोग
बाँट रहे हैं
विज्ञप्तियां
जारी कर रहे हैं
वक्तव्य
पुष्टि कर रहे हैं
जोरदार बहस की
उन्हीं के कुछ लोग
बैठे हैं
अखबारों में
मोटा मोटा चश्मा चढ़ाये
टी वी पटल पर भी
कब्ज़ा है
उन्हीं लोगों का
उनकी आँखों पर भी है
वैसा ही मोटा मोटा चश्मा
जिनसे छूट जाती हैं
साधारण मोटी बातें
उन्हीं के लोग
घुस गए हैं
हमारे घर आँगन में
बाँट दिया है
कुछ को
बहस के इस ओर,
कुछ को
उस ओर
बहस
हमारे बारे में हैं
हम भूखे क्यों हैं !
हमें क्यों नहीं रोटी मिली!
हमारे पेड़ क्यों कट गए !
हमारे हिस्से की जमीन क्यों छिन गई !
कितने में होगा हमारा गुज़ारा !
नए नए विषय उठाते हैं
उन्हीं के लोग
कहते हैं
वर्षों से जारी है बहस
मोटे हो रहे हैं
उन्हीं के लोग
कर हम पर बहस
जोरदार बहस
जोर जोर से चीखते हुए
लोग सुनवाना चाहते हैं
मनवाना चाहते हैं बात
उन्हीं के वही लोग
बाँट रहे हैं
विज्ञप्तियां
जारी कर रहे हैं
वक्तव्य
पुष्टि कर रहे हैं
जोरदार बहस की
उन्हीं के कुछ लोग
बैठे हैं
अखबारों में
मोटा मोटा चश्मा चढ़ाये
टी वी पटल पर भी
कब्ज़ा है
उन्हीं लोगों का
उनकी आँखों पर भी है
वैसा ही मोटा मोटा चश्मा
जिनसे छूट जाती हैं
साधारण मोटी बातें
उन्हीं के लोग
घुस गए हैं
हमारे घर आँगन में
बाँट दिया है
कुछ को
बहस के इस ओर,
कुछ को
उस ओर
बहस
हमारे बारे में हैं
हम भूखे क्यों हैं !
हमें क्यों नहीं रोटी मिली!
हमारे पेड़ क्यों कट गए !
हमारे हिस्से की जमीन क्यों छिन गई !
कितने में होगा हमारा गुज़ारा !
नए नए विषय उठाते हैं
उन्हीं के लोग
कहते हैं
वर्षों से जारी है बहस
मोटे हो रहे हैं
उन्हीं के लोग
कर हम पर बहस
सीधी रेखा और अपारदर्शी झिल्ली
एक रेखा है
कुछ लोग
उसके नीचे हैं
कुछ लोग ऊपर
कुछ दायें
कुछ बाएं
रेखा सीधी है
इसके नाक कान, दिल सब हैं
रेखा मौजूद है
गाँव, घर देहात,
फैक्ट्री, मैदान,
नदी, समुद्र,
पहाड़, जंगल
हर जगह
वैसे रेखा तो
अदृश्य है
किन्तु रेखा के उस ओर रहने वालों को
इस ओर दिखाई नहीं देता
एक अपारदर्शी झिल्ली उभर आती है
दीवार की तरह
रेखा के ऊपर.
चढ़ जाती है
सोच पर , सरोकार पर
और मोटी हो जाती है
झिल्ली
झिल्ली जो प्रारंभ में
थी रंगहीन गंधहीन
बाद में इसका रंग
कुछ हरा कुछ लाल
कुछ नीला तो कुछ नारंगी हो गया है
कुछ 'इज्म' जुड़ गए हैं
इस झिल्ली के साथ
जिसने जकड लिया है
रेखा के इस ओर उस ओर रहने वालों को
झिल्ली के बीच
होते रहते हैं तरह तरह के संवाद
जबकि रेखाओ के बीच गहरी हो जाती है
गहरी खाई
झिल्ली तय करती है
रेखाओं की लम्बाई, मोटाई,
चौड़ाई और गहराई
इसके पास है
तेज़ तेज़ हथियार जिससे कतर देती है
रेखाओं पर उपजी कोपलों को
रेखाओं को संज्ञा शून्य , विचारशून्य कर देती है
रेखा सीधी है और झिल्ली अपारदर्शी .
कुछ लोग
उसके नीचे हैं
कुछ लोग ऊपर
कुछ दायें
कुछ बाएं
रेखा सीधी है
इसके नाक कान, दिल सब हैं
रेखा मौजूद है
गाँव, घर देहात,
फैक्ट्री, मैदान,
नदी, समुद्र,
पहाड़, जंगल
हर जगह
वैसे रेखा तो
अदृश्य है
किन्तु रेखा के उस ओर रहने वालों को
इस ओर दिखाई नहीं देता
एक अपारदर्शी झिल्ली उभर आती है
दीवार की तरह
रेखा के ऊपर.
चढ़ जाती है
सोच पर , सरोकार पर
और मोटी हो जाती है
झिल्ली
झिल्ली जो प्रारंभ में
थी रंगहीन गंधहीन
बाद में इसका रंग
कुछ हरा कुछ लाल
कुछ नीला तो कुछ नारंगी हो गया है
कुछ 'इज्म' जुड़ गए हैं
इस झिल्ली के साथ
जिसने जकड लिया है
रेखा के इस ओर उस ओर रहने वालों को
झिल्ली के बीच
होते रहते हैं तरह तरह के संवाद
जबकि रेखाओ के बीच गहरी हो जाती है
गहरी खाई
झिल्ली तय करती है
रेखाओं की लम्बाई, मोटाई,
चौड़ाई और गहराई
इसके पास है
तेज़ तेज़ हथियार जिससे कतर देती है
रेखाओं पर उपजी कोपलों को
रेखाओं को संज्ञा शून्य , विचारशून्य कर देती है
रेखा सीधी है और झिल्ली अपारदर्शी .
हीरालाल हलवाई
भाई हीरालाल
बन गए हो तुम
एक रिटेल ब्रांड
तुम्हारी जलेबियों का वज़न
कर दिया गया है नियत
कितनी होगी चाशनी
यह भी कर दिया गया है
निर्धारित
तैयार किया जा रहा है
तुम्हारे नाम का
एक प्रतीक चिन्ह
तुम्हारी दूकान का
'प्रोटोटाइप" हो रहा है तैयार
लोग जोर शोर से लगे हैं
बनाने को तुम्हे
एक नया ब्रांड
पुरखों से बनी
तुम्हारी ही पहचान को
भुनाने में लगा है बाज़ार
रहना सावधान
भाई हीरालाल हलवाई
तुम्हारे लड्डू,
जलेबी, इमरती, रसगुल्ले आदि आदि
नंगे हाथ
अब कारीगर नहीं बनायेंगे
समझा दिया गया है तुम्हे
'हाइजेनिक' नहीं है
नंगे हाथ बनाना मिठाई
पूरी तरह स्वचालित होगी
तुम्हारी मिठाई बनाने की फैक्ट्री
हाथों में प्लास्टिक के पारदर्शी दस्ताने पहन
वज़न की जायेगी मिठाई
तुम्हारे स्वाद को हो सकता है
करा लिया जाये पेटेंट भी
और तैयार कर लिया जाये
सिंथेटिक फ्लेवर
और देश विदेश में
खुल जायेंगे तुम्हारे कई स्टोर
जिसमे तुम्हारे पुरखो की पूंजी
उनके पसीने की गंध
हाथ का स्वाद और
कारीगरी का निवेश है
हीरालाल हलवाई
एक दिन ऐसा भी आएगा
जब तुम्हारे नाम पर
लिया जायेगा
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश
और छिन जायेगा
तुम्हारा स्वाबलंबन
तुम्हारा एकाधिकार
और अपने ही ब्रांड के
निदेशक बोर्ड में
नहीं रहेगा तुम्हे
निर्णय लेने का कोई अधिकार
धीरे धीरे मिठाइयों को
बेदखल होना होगा
आकर्षक रैपर वाले
चाकलेटों से
हीरालाल हलवाई
ब्रांड होने की प्रक्रिया में
आने लगी है
तुम्हारी दुकान से
मिटटी की सोंधी गंध की बजाय
प्लास्टिक की कृत्रिम और विषैली खुशबू !
बन गए हो तुम
एक रिटेल ब्रांड
तुम्हारी जलेबियों का वज़न
कर दिया गया है नियत
कितनी होगी चाशनी
यह भी कर दिया गया है
निर्धारित
तैयार किया जा रहा है
तुम्हारे नाम का
एक प्रतीक चिन्ह
तुम्हारी दूकान का
'प्रोटोटाइप" हो रहा है तैयार
लोग जोर शोर से लगे हैं
बनाने को तुम्हे
एक नया ब्रांड
पुरखों से बनी
तुम्हारी ही पहचान को
भुनाने में लगा है बाज़ार
रहना सावधान
भाई हीरालाल हलवाई
तुम्हारे लड्डू,
जलेबी, इमरती, रसगुल्ले आदि आदि
नंगे हाथ
अब कारीगर नहीं बनायेंगे
समझा दिया गया है तुम्हे
'हाइजेनिक' नहीं है
नंगे हाथ बनाना मिठाई
पूरी तरह स्वचालित होगी
तुम्हारी मिठाई बनाने की फैक्ट्री
हाथों में प्लास्टिक के पारदर्शी दस्ताने पहन
वज़न की जायेगी मिठाई
तुम्हारे स्वाद को हो सकता है
करा लिया जाये पेटेंट भी
और तैयार कर लिया जाये
सिंथेटिक फ्लेवर
और देश विदेश में
खुल जायेंगे तुम्हारे कई स्टोर
जिसमे तुम्हारे पुरखो की पूंजी
उनके पसीने की गंध
हाथ का स्वाद और
कारीगरी का निवेश है
हीरालाल हलवाई
एक दिन ऐसा भी आएगा
जब तुम्हारे नाम पर
लिया जायेगा
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश
और छिन जायेगा
तुम्हारा स्वाबलंबन
तुम्हारा एकाधिकार
और अपने ही ब्रांड के
निदेशक बोर्ड में
नहीं रहेगा तुम्हे
निर्णय लेने का कोई अधिकार
धीरे धीरे मिठाइयों को
बेदखल होना होगा
आकर्षक रैपर वाले
चाकलेटों से
हीरालाल हलवाई
ब्रांड होने की प्रक्रिया में
आने लगी है
तुम्हारी दुकान से
मिटटी की सोंधी गंध की बजाय
प्लास्टिक की कृत्रिम और विषैली खुशबू !
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