हृषीकेष सुलभ

बहीखाता
(शब्दांकन उपस्तिथि)
रंगमंच से गहरे जुड़ाव के कारण कथा लेखन के साथ-साथ नाट्य लेखन की ओर उन्मुख हुए और भिखारी ठाकुर की प्रसिद्ध नाट्यशैली बिदेसिया की रंगयुक्तियों का आधुनिक हिन्दी रंगमंच के लिए पहली बार अपने नाट्यालेखों में सृजनात्मक प्रयोग किया। विगत कुछ वर्षों से आप कथादेश मासिक में रंगमंच पर नियमित लेखन कर रहे हैं।
प्रकाशित पुस्तकें
कथा संकलन
- वसंत के हत्यारे,
- तूती की आवाज ,
- बँधा है काल,
- वधस्थल से छलाँग और
- पत्थरकट
नाटक
- बटोही ,
- धरती आबा ,
- अमली
माटीगाड़ी ( शूद्रक रचित मृच्छकटिकम् की पुनर्रचना ),
दालिया ( टैगोर की कहानी पर आधारित नाटक) और
मैला आँचल ( फणीष्वरनाथ रेणु के उपन्यास का नाट्यांतर )
नाट़यचिंतन
- रंगमंच का जनतंत्र और रंग अरंग
सम्मान
कथा-लेखन के लिए वर्ष 2010 के लिए कथा यूके, लंदन का इंदु शर्मा कथा सम्मान और नाट्य-लेखन एवं नाट्यचिंतन के लिए डा. सिद्धनाथ कुमार स्मृति सम्मान और रामवृक्ष बेनीपुरी सम्मान।सम्पर्क
हृषीकेष सुलभपीरमुहानी,
मुस्लिम क़ब्रिस्तान के पास,
कदमकुआँ,
पटना 800003
मो० +91 94 310 72603 (Mobile)
ईमेल hrishikesh.sulabh@gmail.com (email)
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