Need one more Renaissance - Anuj
एक रिनेशां (Renaissance) और चाहिए - विंची को याद करते हुए
— अनुज
इतिहासकारों का स्वाभाविक शगल
अभी हाल ही में यह ख़बर आई कि इटली के कुछ अनुसंधानकर्ता पिछले कुछ वर्षों से विश्वविख्यात चित्रकार और पाश्चात्य पुनर्जागरण (रिनेशां) के महत्वपूर्ण आधार-स्तम्भ लियोनार्दो द विंची की वंशावली की तलाश में जुटे हैं। लियोनार्दो द विंची म्यूजियम ऐन्ड सबाटो के निदेशक और इंटरनेशनल द विंची एसोसिएशन के अध्यक्ष ने तो यहाँ तक दावा किया है कि इतालवी इतिहासकारों ने लियोनार्दो के वंशज के रूप में कुछेक की पहचान भी कर ली है।Franco Zeffirelli. Photograph: Roy Jones/ANL/REX Shutterstock
'रिनेशां' अर्थात् पुनर्जागरण
विंची का काल विश्व इतिहास परिदृश्य का वह काल था जिसे 'रिनेशां' अर्थात् पुनर्जागरण का काल कहते हैं। पुनर्जागरण की शुरुआत इटली से हुई थी। वस्तुत: पुनर्जागरण वह काल-खंड था जब से इंसान इंसानी कार्यकलापों पर गहरायी से विचार करने लगा था। इससे पूर्व दुनिया के लगभग सभी साहित्य और कला की चिन्ता जीवनोपरान्त के सत्य की तलाश ही रही थी जहाँ धर्म और दर्शन का वर्चस्व रहा था। लेकिन अब का मनुष्य वर्तमान की समस्याओं पर सोचने लगा था। उसकी चिन्ता अब यह नहीं रही थी कि जीवन के उपरान्त का जीवन कैसा होगा या कि इस जीवन के बाद क्या है। ऐसे में, मानव-जीवन में धर्म और दर्शन के स्थान पर तर्क की प्रधानता होने लगी थी और इंसान इस ओर उत्सुक रहने लगा कि मनुष्य की वास्तविक समस्या का अध्ययन किया जाना चाहिए। अब इंसान इस अनुभूति से गुजरने लगा कि मानव जीवन भी महत्वपूर्ण है और उसके क्रिया-कलापों को समझने की आवश्यकता है। अब तक मनुष्य की ज्ञान-प्राप्ति का लक्ष्य बदलने लगा था। यह मानवता के महत्व की स्थापना का काल था और मानवता की यह स्थापना ही लियोनार्दो द विंची की कला का मूल कथ्य है। दरअसल, पुनर्जागरण की भावना की पूर्ण अभिव्यक्ति इटली के तीन कलाकारों माइकेल एंजिलो, रफेल और लियोनार्दो द विंची की कृतियों में मिलती हैं।लियोनार्दो द विंची
मोनालिसा
जब कभी भी पेंटिंग्स की बात चलती है तो सबसे पहला नाम 'द मोनालिसा' की अवश्य ही चलती है। कभी मोनालिसा की मुस्कराहट की बात चलती है तो कभी उसकी आँखें के पास और होठों के पास के शैडो को लेकर विद्वान बहस करते रहते हैं। मोनालिसा की महत्ता इसी बात में निहित है कि आज भी उसपर पूरी दुनिया में बहस की जाती है। कुछ लोगों का मानना है कि मोनालिसा विंची की प्रेमिका थी तो कुछ कहते हैं कि यह उनकी कोई बहन थी। हालांकि लियोनार्दो द विंची की अपनी कोई संतान नहीं थी लेकिन उनके पिता ने कई विवाह किए थे जिसके उपरान्त विंची के भाई-बहनों की संख्या अच्छी खासी हो गयी थी। हाल ही में, एक शोधकर्ता ने शोध करके यह बताया है कि विंची 'गे-सेक्सुअल' थे और 'द मोनालिसा' उनके किसी 'गे' पार्टनर की तस्वीर है। यह भी हद है यार कि लोग विंची जैसे बड़े व्यक्ति की छीछालेदर से बाज भी नहीं आते.....! हो सकता है कि यह कयास इसलिए भी लगाया जा रहा हो क्योंकि एकबार लियोनार्दो 'सोडोमी' के मामले में कानून के अपराधी बने थे, हालांकि उन्हें बिना किसी दंड आदि बवेले के तत्काल छोड़ दिया गया था। (Telegraph: Mona Lisa based on Da Vinci's gay lover, art detective claims http://www.telegraph.co.uk/news/2016/04/20/mona-lisa-based-on-da-vincis-gay-lover-art-detective-claims/)मोनालिसा की रहस्यमयी मुस्कराहट
Mona Lisa has long been thought to be based on the wife
of a Florentine silk merchant
द लास्ट सपर
पुनर्जागरण काल की कलात्मकता की यह एक खास विशेषता थी कि कलाकारों ने अपने विषय तो धर्मग्रंथों से लिए लेकिन उसे रूप मानवीय दिया। लियोनार्दो द विंची की पेंटिंग्स 'द लास्ट सपर' इसका जीवन्त उदाहरण है। यह विंची की सोच का ही कमाल था कि उन्होंने अपनी प्रसिद्ध पेंटिंग्स 'द लास्ट सपर' में जीसस क्राइस्ट को आम लोगों के साथ भोजन करते हुए दिखाया। विंची की चिन्ता आम जनता थी। शायद यही कारण है कि उन्होंने क्लासिकी को छोड़कर जन-जीवन में उतरना ही अपनी कला का ध्येय बनाया। यही वह बिन्दु है जहाँ विंची बड़े बन जाते हैं।विंची के वंशज
और आज जब विंची के वंशजों की तलाश की जा रही है तो इसका अर्थ कहीं यह तो नहीं कि एक बार फिर से लघु-मानव की महत्ता की स्थापना की आवश्यकता महसूस की जा रही है? कहीं ऐसा तो नहीं कि विश्व स्तर पर बढ़ते धार्मिक कट्टरतावाद के विरुद्ध यह आग़ाज़ है फिर से मानवता की स्थापना की संकल्पना को दोहराने की? सवाल यह उठता है कि क्या आज सचमुच हमें विंची के बहाने यह याद करने की जरूरत नहीं है कि हम अत्याधुनिक होने का चाहे कितना ही ढोल क्यों न पीट लें, हम कितने ही हाईटैक होने का दावा कर लें, हम अभी भी उसी सामंती युग और उन्हीं वर्जनाओं में जी रहे हैं जिसके विरुद्ध लियोनार्दो द विंची, माइकेल एंजिलो, रफेल, पेट्रार्क और दांते आदि ने विद्रोह का शंखनाद किया था?अनुज
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