मिस लैला झूठ में क्यों जीती है? ~ प्रेमा झा इस दरवाज़े के बाहर और भीतर एक से दूसरे ग्रह जितना फासला है । मिस लैला और उनके करीबी मित्रों के …
आगे पढ़ें »भाषाई अराजकता के अपराधी ~ सन्त समीर आश्चर्य की ही बात है कि अपने ढाई हज़ार चिह्ननुमा अक्षरों के साथ चीनी भाषा निरन्तर विकसित हो रही है, जापा…
आगे पढ़ें »गुनाह है पर गुनहगार कौन? ~ दिव्यचक्षु ये एक पारिवारिक ड्रामा है लेकिन थोड़ा अलग किस्म का। इसमें थ्रिलर के तत्व भी हैं निर्देशक - निशि…
आगे पढ़ें »बाक़र गंज के सैयद 3 ~ असग़र वजाहत मीर जाफर के इतिहास में जाने के लिए पिछली कड़ी, मतलब बंगाल के सूबेदार अलीवर्दी ख़ाँ के युग से बात शुरू करना …
आगे पढ़ें »तस्वीरें और 'राजनीति की सांस्कृतिक चेतना' ~ भरत तिवारी 31 जुलाई 2015 को ग़ालिब ऑडिटोरियम में प्रेमचंद जयन्ती और हंस की तीसवीं वर्षगाँ…
आगे पढ़ें »हद्द बेशरम हो तुम, जब बच्चे छोटे थे तो कभी गोदी में बिठाया तुमने? आज बड़े आये ह…
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