परिचय: डॉ. रमेश यादव

गाँव में जन्में. धूल-मिटटी में खेले. पढ़ाई के लिए घर में ही जंग लड़े. मड़ई से निकले. पगडंडियों से चलकर, बनारस पहुंचे. विश्वविद्यालयी छात्र जीवन में दाखिल हुए. करीब १२ साल तक रहे. तमाम उतार-चढ़ाव देखे. एक दशक तक वामपंथी छात्र राजनीति में सक्रिय रहे. करीब 7 साल मुख्यधारा की पत्रकारिता में कलम की मजदूरी किये.
महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी से 'पत्रकारिता और नक्सलवादी आन्दोलन' पर पी-एच.डी.किये.
सितम्बर, २००६ में देश की राजधानी दिल्ली की तरफ कूच किये. हमारे सपने, खेतों-खलिहानों में उगे, पफने और बड़े हुए. संघर्षों से संघर्ष का ककहरा, यहीं सीखा. जीवन सर्वहारा था, है और रहेगा. इसलिए पूरी दुनिया में जहाँ कहीं की अवाम सामाजिक-शैक्षिक-सांस्कृतिक, गैर-बराबरी की शिकार है. समान राजनैतिक भागीदारी के लिये जूझ रही है, आर्थिक आत्मनिर्भरता और आज़ादी उसका लक्ष्य है. मेरी कलम उन्हीं संघर्षरत अवाम के उद्देश्यों, उम्मीदों और लक्ष्यों के पक्ष में मजदूरी करने के लिये प्रतिबद्ध है, सच्चे जनवादी जनतंत्र की स्थापना होने तक.
फ़िलहाल पत्रकारिता में अध्ययन-अध्यापन.
डॉ. रमेश यादव (पीएचडी)
सहायक प्राध्यापक
पत्रकारिता एवं नव मीडिया अध्ययन विद्यापीठ
(School of Journalism and New Media Studies)
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (IGNOU)
ईमेल : rameshglobalcommunication@gmail.com
वेबसाइट : www.ignou.ac.in/sojnms

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

ये पढ़ी हैं आपने?

Hindi Story: कोई रिश्ता ना होगा तब — नीलिमा शर्मा की कहानी
विडियो में कविता: कौन जो बतलाये सच  — गिरधर राठी
इरफ़ान ख़ान, गहरी आंखों और समंदर-सी प्रतिभा वाला कलाकार  — यूनुस ख़ान
ईदगाह: मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी | Idgah by Munshi Premchand for Eid 2025
परिन्दों का लौटना: उर्मिला शिरीष की भावुक प्रेम कहानी 2025
Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
ज़ेहाल-ए-मिस्कीं मकुन तग़ाफ़ुल Zehaal-e-miskeen makun taghaful زحالِ مسکیں مکن تغافل
रेणु हुसैन की 5 गज़लें और परिचय: प्रेम और संवेदना की शायरी | Shabdankan
एक पेड़ की मौत: अलका सरावगी की हिंदी कहानी | 2025 पर्यावरण चेतना
द ग्रेट कंचना सर्कस: मृदुला गर्ग की भूमिका - विश्वास पाटील की साहसिक कथा