क्या-क्या है : हंस जून 2014 | Hans June 2014 Content - Hindi Kahani, Kavita, Articles, Ghazal etc

क्या-क्या है 

हंस जून 2014 

संपादकीय - अपुष्ट तुष्टीकरण और बकवास: संजय सहाय (शब्दांकन के पाठक सम्पादकीय यहाँ पढ़ सकते हैं)
अपना मोर्चा
कहानियाँ
उधड़ा हुआ स्वेटर: सुधा अरोड़ा
एक सौ आठ: तराना परवीन
कीप इट अप: अनिल रंजन भौमिक
केसरी किरण: मृदुला बिहारी
काम का लड़का: मनीष कुमार सिंह
बंद गले का ब्लाउज: दीपक रावल
शैतान: अनुरोध यादव
कविताएँ
असीमा भट्ट,  केशव शरण, सीमा सोनी, अमृता राय, शिखा गुप्ता
स्लीमेन के संस्मरण
देवी का प्रकोप और लोगों का विश्वास: विलियम हेनरी स्लीमेन (अनु.: राजेन्द्र चंद्रकांत राय)
विशेष
शापित नस्लों के एकांत और यूटोपिया (मार्केज का नोबेल भाषण) (अनु.: संदीप सिंह)
अयेन्दे को क्यों मरना पड़ा: ग्रैब्रिएल गार्सिया मार्केज (अनु.: अशोक कुमार)
लघुकथा : पल्लवी प्रकाश, महेश राजा, ऋचा शर्मा, मुरलीधर वैष्णव, नरेन्द्र जैन
ग़ज़ल : सरदार आसिफ़
परख :
अतीत में हँसता, वर्तमान से जूझता उपन्यास: राकेश बिहारी
कुछ पुरानी बातचीतें कुछ सामयिक प्रसंग: अरविंद कुमार सिंह
वे माँगने वाले नहीं देने वाले दलित हैं: प्रतिभा कुशवाहा
बीच बहस में
इतिहास लेखन के अयोग्य रहे हैं हिंदू: अशोक कुमार
तसलीमा के सिवा मुल्लाओं की कौन सुनता है?: जेड.ए. खान
आलेख
दलित आपबीतियों में हैं दर्द के कई चेहरे: चंद्रभान सिंह यादव
कदाचित
शराबी की सूक्तियाँ: कृष्ण कल्पित
शब्दवेधी/शब्दभेदी : फिदा होते पुरुषों का नरक: तसलीमा नसरीन  (अनु.: अमृता बेरा)
रेतघड़ी
सृजन परिक्रमा : मैकाले एक परंपरा का नाम है: दिनेश कुमार

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