फिल्म समीक्षा: ब्रदर्श | Movie Review: Brothers | दिव्यचक्षु


दो भाइयों की लड़ाई

~ दिव्यचक्षु

मध्यांतर के पहले वाला हिस्सा बहुत धीमी गति से चलता है लेकिन बाद वाला हिस्सा रोमांच से भरा है और `आगे क्या होगा?’ वाली उत्सुकता भी बनी रहती है। 

Film Review, फिल्म-समीक्षा, ब्रदर्श

ब्रदर्श

निर्देशक-करण मल्होत्रा
कलाकार- अक्षय कुमार, सिद्दार्थ मल्होत्रा, जैक्लीन फर्नांडीस, जैकी श्रॉफ, कुलभूषण खरबंदा, किरण कुमार, शेफाली शाह, आशुतोष राणा

ये फिल्म दो भाइयों की लड़ाई है। सूचना के लिए ये भी निवेदन है कि ये सौतेले भाई हैं। और ये भी कि ये लड़ाई खेल के मैदान में है। पर ये साधारण नहीं बल्कि खूनी खेल है। ऐसा खेल जो भारत में नहीं होता और जिसे अपने देश का कानून मान्यता भी नहीं देता। इसलिए कि इस खेल में जान भी जा सकती है। पर बॉलीवुड कुछ भी करा सकता है तो ऐसा खेल भारत में होता हुआ क्यो नहीं दिखा सकता जो यहां होता ही नहीं है। लगे हाथ ये भी जान लेना चाहिए कि `ब्रदर्श’ नाम की ये फिल्म बॉलीवुड फिल्म `वारियर’ का हिंदी रूपांतरण है। जब अमेरिकी हिंदी में बनानी है तो कुछ न कुछ भारत का भी अमेरिकीकरण करना होगा। है कि नहीं? सो मिक्स मार्शल आर्ट नाम के इस खेल को भारत में होता हुआ दिखा दिया। 

दो भाई हैँ। डेविड (अक्षय कुमार) औऱ मोंटी (सिद्धार्थ मल्होत्रा)। दोनो का पिता गैरी (जैकी श्रॉफ) एक हत्या के अपराध में जेल काटकर लौटता है। हत्या उसने अपनी पत्नी मारिया (शेफाली शाह) की थी। शराब के नशे में और अनजाने में। गैरी की प्रेमिका भी थी जिससे बेटा हुआ मोंटी। गैरी अपनी जवानी में मिक्स मार्शल आर्ट का फाइटर रह चुका है। डेविड एक स्कूल में फिजिक्स पढ़ाता है लेकिन कभी कभी फाइटिंग भी करता है और वो इसलिए की उसकी बेटी को एक गंभीर बीमारी है और उसके इलाज के लिए मोटी रकम चाहिए। मोंटी भी फाइटिंग करता है। फिर एक दिन ऐसा होता है कि  पीटर ब्रिगेंजा नाम का एक  पैसे वाला शख्स ऐलान करता है कि वो मिक्स मार्शल आर्ट की प्रतियोगिता भारत में कराएगा और विजेता को नौ करोड़ मिलेंगे। इस प्रतियोगिता में विदेशी फाइटर भी भाग लेंगे। हालात ऐसे बनते हैं कि प्रतियोगिता के फाइनल में डेविड और मोंटी ही आमने सामने होते हैं। कौन जीतेगा और क्या जीतने के लिए वे दोनों सारी हदें पार कर देंगे? यानी खलास करना हुआ तो वे भी कर देंगे?

मध्यांतर के पहले वाला हिस्सा बहुत धीमी गति से चलता है और कई फ्लैश बैक भी आते हैं। ये लंबा भी हो गया है। इस हिस्से को थोड़ा संपादित करने की जरूरत थी। लेकिन बाद वाला हिस्सा रोमांच से भरा है और `आगे क्या होगा?’ वाली उत्सुकता भी बनी रहती है। फाइटिंग वाले दृश्य भी ससपेंस से भरे  है। सिद्धार्थ मल्होत्रा ने इस फिल्म के लिए बदन पर काफी चर्बी चढ़ाई है और वे फाइटर की तरह चौड़े दिखते भी हैं।  बस एक ही चीज खटकती है कि वे हमेशा एक ही तरह की मुखमुद्रा बनाए ऱखे हैं जिससे चेहरे पर की जरूरी विविधता नहीं रहती। अक्षय कुमार की दाढ़ी बढ़ी है जिसमें सफेदी भी दिखती है। उनका चेहरा खुरदरा है जिसके कारण उनका चरित्र भी प्रामाणिक हो गया है। लगता है के ये आदमी मिजाज से लड़ाका नहीं है पर जरूरत के लिए लड़ रहा है। डेविड को अपने भाई से लड़ना है और हराना है पर साथ ही ये भी दिखाना है वो अपने भाई को सिर्फ हराने में दिलचस्पी रखका है उसे पूरी तरह फोड़ देने में नहीं। इसलिए रिंग में उसका मनोवैज्ञानिक तनाव भी साफ साफ दिखता है। जोरदार घूसा मारे या  न मारे? आखिर भाई तो भाई होता है। 

जैक्लीन फर्नांडीस ने डेविड की पत्नी का किरदार निभाया है। पर उनके पास करने के लिए दो ही चीजें हैं- बेटी की बीमारी से उदास होना और पति की जीत के मौके पर होठों पर लंबी मुस्कुराहट लाना। ये दोनों काम उन्होंने बखूबी किया है।  जैकी श्रॉफ की भूमिकी थोड़ी जटिल और टेढ़ी है। एक ऐसे आदमी की जो अपराध का भाव भी लिए हुए है और अपने बेटों की जीत भी चाहता है। पर फाइनल में कौन जीतेता-इस लेकर उसके भीतर  जो द्वंद्व और तनाव है वो दिल को छूने वाला है। निर्देशक  ने एक और मसाला डाला है- करीना कपूर का आइटम सौंग। लेकिन `मेरी सौ टका तेरी है’  शायद वैसा धमाका नही मचा पाएगा जैसा ` चिपका ले सैंया फेविकोल से’ बोल वाले  आइटम नंबर ने मचाया था। लड़ाई में कुछ कारतूस फुस्स भी हो जाते हैं।

००००००००००००००००

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

ये पढ़ी हैं आपने?

Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
मैत्रेयी पुष्पा की कहानियाँ — 'पगला गई है भागवती!...'
Harvard, Columbia, Yale, Stanford, Tufts and other US university student & alumni STATEMENT ON POLICE BRUTALITY ON UNIVERSITY CAMPUSES
तू तौ वहां रह्यौ ऐ, कहानी सुनाय सकै जामिआ की — अशोक चक्रधर | #जामिया
गिरिराज किशोर : स्मृतियां और अवदान — रवीन्द्र त्रिपाठी
कोरोना से पहले भी संक्रामक बीमारी से जूझी है ब्रिटिश दिल्ली —  नलिन चौहान
चित्तकोबरा क्या है? पढ़िए मृदुला गर्ग के उपन्यास का अंश - कुछ क्षण अँधेरा और पल सकता है | Chitkobra Upanyas - Mridula Garg
मन्नू भंडारी: कहानी - एक कहानी यह भी (आत्मकथ्य)  Manu Bhandari - Hindi Kahani - Atmakathy
मन्नू भंडारी की कहानी — 'रानी माँ का चबूतरा' | Manu Bhandari Short Story in Hindi - 'Rani Maa ka Chabutra'
ज़ेहाल-ए-मिस्कीं मकुन तग़ाफ़ुल Zehaal-e-miskeen makun taghaful زحالِ مسکیں مکن تغافل