रवींद्र कालिया संपादित ‘नया ज्ञानोदय’ का प्रेम महाविशेषांक (नवंबर, 2009) के पुनर्प्रकाशन (जिसमें पहले ममता कालिया की कहानी निर्मोही आ चुकी है) में …
साहित्यकार गीताश्री ने बिहार की पाँच कवयित्रियों - उपासना झा, नताशा, निवेदिता, सौम्या सुमन और पूनम सिंह की कविता पर यह आलेख लिखकर बहुत ज़रूरी काम किय…
दर्द हो मेरा, दवा भी हो... समीक्षा: उपन्यास (इरा टाक) 'लव ड्रग' कमलेश वर्मा
"संगीता के युवा मन में पीढ़ियों की जड़ें गहरी हैं। इन कविताओं को पढ़कर ऐसा लगता है संगीता संकेत में कुछ कह रही हैं।" जिस पुस्तक की समीक्षा …
समीक्षा / गांधी और सरला देवी चौधरानी : बारह अध्याय / अलका सरावगी Book Review / Gandhi Aur Saraladevi Chaudhrani : Barah Adhyay/ Alka Saraogi स्वत…
समीक्षा लिखते समय यदि लेखक यह याद रखे कि गद्य पढ़ने का आनंद उसके प्रवाह में होता है, तो वह विजय पंडित द्वारा लिखित, हाल में आयी किताब — अवसाद का आनंद…
आज 8 जनवरी को प्रबोध कुमार, प्रेमचंद के नाती, अमृतराय के भांजे, बेबी हालदार के मेंटर के जन्मदिन पर प्रिय कथाकार शर्मिला जालान की उनके कहानी संग्रह …
इन्दिरा दाँगी के उपन्यास ‘विपश्यना’ की आलोचना | Critical review Indira Dangi's novel 'Vipshyana' विपश्यना : जीवन-सत्य का अन्वेषण डॉ व…
कथाकार अखिलेश की कहानी 'अँधेरा' 21वीं सदी की तान पर टूटने वाली लंबी कहानी है। "वजूद" "यक्षगान" और "ग्रहण" के स…
लमही का जनवरी-जून (संयुक्तांक) विशेष अंक कथाकार और एंथ्रोपॉलजिस्ट प्रबोध कुमार के व्यक्तित्व और कृतित्व पर केंद्रित हैl कुछ लोग प्रबोध कुमार के …
समीक्षा हो सकता है कि इस मुद्दे की कोई अंतर्कथा हो, लेकिन उनकी अनुपस्थिति खलती है और यह हिदी साहित्य के लिए बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है... लमही के अमृत …
स्वर्ग का द्वार पाताल लोक के रस्ते पाताल लोक वेब सीरीज रिव्यु इन हिंदी शालू 'अनंत' ' पाताल लोक ' एक ऐसी वेब स…
दुःख या सुख कई जगहों से आता रहता है और जाता भी रहता है - शर्मिला बोहरा जालान समीक्षा: जयशंकर की प्रतिनिधि कहानियां दुःख या सुख कई जगहो…
Chhapaak Review: छपाक से देखो छपाक हर उस युवती की फिल्म है जिसने कुछ कर दिखाने का सपना देखा है Chhapaak Review: दीपिका और मेघना …
नरम घास, चिड़िया और नींद में मछलियां — उमा शंकर चौधरी कहानीकार को 'नरम घास, चिड़िया और नींद में मछलियां' कहानी कह पाने की बधाई से अध…