एक-से-बढ़कर-एक: बेहतरीन अनुदित कवितायेँ
— प्रकाश के रे
Poem of Bertolt Brecht in Hindi, translation: Prakash K Ray |
1बर्तोल्त ब्रेष्ट:जैसे कोई ज़रूरी ख़त लेकर आता है डाकख़ाने देर से खिड़की बंद हो चुकी होती है. जैसे कोई शहर को आसन्न बाढ़ की चेतावनी देना चाह रहा हो, पर वह दूसरी ज़बान बोलता है. वे उसे नहीं समझ पाते. जैसे कोई भिखारी पाँचवीं बार वह दरवाज़ा खटखटाता है जहाँ से चार दफ़ा पहले कुछ मिला था उसे पाँचवीं बार वह भूखा है. जैसे किसी के घाव से ख़ून बह रहा हो और डॉक्टर का इंतज़ार कर रहा हो उसका ख़ून बहता ही जाता है. वैसे ही हम आगे आकर बताते हैं कि हमारे साथ बुरा हुआ है. पहली बार बताया गया था कि हमारे दोस्तों का क़त्ल किया जा रहा है दहशत की चीख़ थी फिर सौ लोगों को क़त्ल किया गया. लेकिन जब हज़ार क़त्ल किये गये, और क़त्लेआम की कोई इंतेहा नहीं थी ख़ामोशी की एक चादर पसर गयी. जब बुराई बारिश की तरह आती है, तो कोई भी नहीं चिल्लाता 'रुको'! जब अपराध ढेर में तब्दील होने लगते हैं, तो वे अदृश्य हो जाते हैं. जब दुख असहनीय हो जाते हैं, चीख़ें नहीं सुनी जातीं. चीख़ें भी बरसती हैं गर्मी की बारिश की तरह. |
Like one who brings an importantletter to the counter after office hours: the counter is already closed. Like one who seeks to warn the city of an impending flood, but speaks another language. They do not understand him. Like a beggar who knocks for the fifth time at the door where he has four times been given something: the fifth time he is hungry. Like one whose blood flows from a wound and who awaits the doctor: his blood goes on flowing. So do we come forward and report that evil has been done us. The first time it was reported that our friends were being butchered there was a cry of horror. Then a hundred were butchered. But when a thousand were butchered and there was no end to the butchery, a blanket of silence spread. When evil-doing comes like falling rain, no body calls out “stop!” When crimes begin to pile up they become invisible. When sufferings become unendurable the cries are no longer heard. The cries, too, fall like rain in summer. |
Poem of Sherko Bekas in Hindi, translation: Prakash K Ray |
2शेरको बेकस, कुर्दी कवि:तुलना की इतिहास ने अपनी व्यापकता की तुम्हारे दुखों के परिमाण से. तुम्हारे दुख उससे कुछ अंगुल बड़े थे. समंदर ने मापना चाहा गहराई तुम्हारे घावों की, अपनी गहनता के बरक्स. चीख पड़ा वह डूबने के भय से उनमें. |
History came and compared its greatness to the magnitude of your sufferings. your sufferings surpassed it by a few fingerbreadths. When the ocean wanted to compare Its depth to that of your wounds, It screamed for fear of Being drowned in them. |
Poem of Nouri Al-Jarrah in Hindi, translation: Prakash K Ray |
3नूरी अल-जर्राह, निर्वासित सीरियाई कवि:मेरे काँधे पर धरी इस छोटी गठरी में, ढो रहा हूँ क़सून पहाड़ से भी बड़ा सवाल. दमिश्क़ का दरवाज़ा बंद है और वहाँ पहरेदारी है; शहर ने अपना दिल कहीं और रख दिया है, पहुँच से दूर. ख़ुदकुशी करने वाले लड़के ऊन के गोले छोड़ गए हैं; मैं अपना दरवाज़ा बाँध रहा हूँ, मरे हुए लोगों के लिए स्वेटर बुन रहा हूँ, थोड़ा रुको. |
Damascus In this little bag that bumps at my shoulder, I carry down a question bigger than Mount Qasioun. The entrance to Damascus is locked, and checked; out of reach, the city's stashed its heart away. Boys who killed themselves left balls of wool; I tie my door, knit jumpers for the dead, wait. (trans. Tom Warner. Published in Shahadat, January, 2013) |
Poem of Nazim Hikmet in Hindi, translation: Prakash K Ray |
4अखरोट का पेड़ / नाज़िम हिकमत:मेरा सर घुमड़ता हुआ बादल है, भीतर-बाहर मैं समुद्र हूँ. मैं गुलख़ाना बाग़ में अखरोट का एक पेड़ हूँ, गाँठों और दागों वाला एक पुराना अखरोट का पेड़. तुम यह नहीं जानते और पुलिस को भी इस बात का पता नहीं. मैं गुलख़ाना बाग़ में अखरोट का एक पेड़ हूँ. मेरी पत्तियाँ चमकती हैं पानी में मछली की तरह, मेरी पत्तियाँ लहराती हैं रेशमी रुमाल की तरह. एक तोड़ लो, मेरे प्रिय, और अपने आँसू पोंछ लो. मेरी पत्तियाँ मेरे हाथ हैं- मेरे पास लाख हाथ हैं. इस्तांबुल, मैं तुम्हें छूता हूँ लाख हाथों से. मेरी पत्तियाँ मेरी आँखें हैं, और जो मैं देख रहा हूँ उससे क्षुब्ध हूँ. मैं तुम्हें देखता हूँ, इस्तांबुल, लाख आँखों से और मेरी पत्तियाँ धड़कती है, लाख दिलों के साथ धड़कती हैं. मैं गुलख़ाना बाग़ में अखरोट का एक पेड़ हूँ. तुम यह नहीं जानते और पुलिस को भी इस बात का पता नहीं. |
The Walnut Tree: my head foaming clouds, sea inside me and out I am a walnut tree in Gulhane Park an old walnut, knot by knot, shred by shred Neither you are aware of this, nor the police I am a walnut tree in Gulhane Park My leaves are nimble, nimble like fish in water My leaves are sheer, sheer like a silk handkerchief pick, wipe, my rose, the tear from your eyes My leaves are my hands, I have one hundred thousand I touch you with one hundred thousand hands, I touch Istanbul My leaves are my eyes, I look in amazement I watch you with one hundred thousand eyes, I watch Istanbul Like one hundred thousand hearts, beat, beat my leaves I am a walnut tree in Gulhane Park neither you are aware of this, nor the police (trans. Gun Gencer. turkishcampus.com) |
Poem of Pablo Neruda in Hindi, translation: Prakash K Ray |
5पाब्लो नेरुदा:धरती के नीचे मुझे कोई जगह दे दो, कोई भूलभुलैया, जहाँ मैं जा सकूँ, जब चाहूँ, बिना आँखों के, बिना छुए, उस शून्य में, चुप पत्थर तक, या अँधेरे की अँगुलियों तक। जानता हूँ कि तुम या कोई भी, कुछ भी उस जगह, या उस राह तक नहीं पहुँच सकता, लेकिन मैं अपनी बेचारी कामनाओं का क्या करूं, अगर उनका कोई मतलब नहीं, रोज़मर्रा की धरती पर, अगर मैं ज़िंदा रह ही नहीं सकता बिना मरे, बिना उधर गए, बिना बने चमकीली-ऊंघती प्रागैतिहासिक अग्नि की चिंगारियाँ |
Leave me a place underground Leave me a place underground, a labyrinth, where I can go, when I wish to turn, without eyes, without touch, in the void, to dumb stone, or the finger of shadow. I know that you cannot, no one, no thing can deliver up that place, or that path, but what can I do with my pitiful passions, if they are no use, on the surface of everyday life, if I cannot look to survive, except by dying, going beyond, entering into the state, metallic and slumbering, of primeval flame? |
Poems of Nizar Qabbani in Hindi, translation: Prakash K Ray |
6निज़ार क़ब्बानी:मैं रक़ीबों की तरह नहीं हूँ, अज़ीज़ा अगर कोई तुम्हें बादल देता है तो मैं बारिश दूँगा अगर वह चराग़ देता है तो मैं तुम्हें चाँद दूँगा अगर देता है वह तुम्हें टहनियाँ मैं तुम्हें दूँगा दरख़्त और अगर देता है रक़ीब तुम्हें जज़ीरा मैं दूँगा एक सफ़र |
Love Compared I do not resemble your other lovers, my lady should another give you a cloud I give you rain Should he give you a lantern, I will give you the moon Should he give you a branch I will give you the trees And if another gives you a ship I shall give you the journey. |
7प्रेम में पड़ा पुरुषकैसे कर सकता है पुराने शब्दों का प्रयोग? प्रेमी की इच्छा करती स्त्री को क्या भाषा और व्याकरण के विद्वानों के पास जाना चाहिए? कुछ नहीं कहा मैंने उस स्त्री से जिसे मैंने चाहा जमा किया प्रेम के सभी विशेषणों को एक संदूक में और भाग गया सभी भाषाओं से |
Language When a man is in love how can he use old words? Should a woman desiring her lover lie down with grammarians and linguists? I said nothing to the woman I loved but gathered love's adjectives into a suitcase and fled from all languages. |
8दुखी मेरे देश,एक पल में बदल दिया तुमने प्रेम की कवितायें लिखने वाले मुझ कवि को छूरी से लिखने वाले कवि में |
My grieved country, In a flash You changed me from a poet who wrote love poems To a poet who writes with a knife |
9हर बार जब तुम्हें चूमता हूँलंबी जुदाई के बाद महसूस होता है मैं डाल रहा हूँ जल्दी-जल्दी एक प्रेम पत्र लाल लेटर बॉक्स में |
Every time I kiss you After a long separation I feel I am putting a hurried love letter In a red mailbox. (Trans. B. Frangieh And C. Brown. poemhunter.com) |
Prakash K Ray, translator of these poems, from English to Hindi |
1 टिप्पणियाँ
सुन्दर कविताएँ.
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