देह व्यापार हो या बलात्कार, हम हायतौबा भी अपनी सहूलियत और अपने एजेंडा के हिसाब से मचाते हैं। मेरे शहर में कोई बलात्कार हुआ तो मैं दुःखी हो…
अब अब्बा टीवी नहीं देखते, अख़बार पढ़ना भी इन दिनों छूट गया है। दुकान से लौटकर अम्मी के पास बैठे ज़रूर रहते हैं लेकिन बोलते कुछ नहीं। चुपचा…
#पत्र_शब्दांकन: मृदुला गर्ग नया ज्ञानोदय, सितम्बर २०१९ कथा-कहानी विशेषांक आदि पर कहते हैं फंतासी को चारों पैरों पर खड़ा होना चाहिए वरन…
‘ आइटी सेल’ मानसिकता का विषाणु उदारवाद, लोकतंत्र और सामाजिक न्याय की पक्षधरता का दावा करनेवाले के मस्तिष्क को भी संक्रमित कर रहा है — प्रकाश …