भारतीय उपक्रमी महिला श्रृंखला, जानिये कश्मीर की आरिफा जान (Arifa Jan) को। युवा पत्रकार श्वेता यादव की रिपोर्ट।
महिलाओं के लिए आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होना बहुत ज़रूरी है
— आरिफा जान
आरिफा श्रीनगर, कश्मीर की हैं और पिछले आठ सालों से कश्मीरी नम्दा हस्तशिल्प को पुनर्जीवित और स्थापित करने का काम कर रही हैं। नम्दा हस्तकला ग्यारवीं सदी की कला है। 33 साल की आरिफा ने क्राफ्ट डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट श्रीनगर से पोस्टग्रेजुएशन किया है। साल 2012 में उन्होंने श्रीनगर में नम्दा हस्तकला को लेकर व्यापार शुरू किया। महज़ एक साल बाद ही उनके उल्लेखनीय काम की वजह से श्रीनगर के ही एक प्रतिनिधि बिज़नेस हाउस ने उनका सम्मान किया था। बहुत छोटे और कम संसाधनों से काम शुरू करने वाली आरिफा, एक दशक से भी कम समय में अपने साथ 50 से अधिक महिलाओं को रोज़गार उपलब्ध कराती हैं और 100 से अधिक महिलाओं को उन्होंने प्रशिक्षित किया है।
2014 में उन्होंने कश्मीर में ही अपने दो और केंद्र खोले हैं। उनको मिले पुरस्कारों में 2016 में मिला एक लाइफ़टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड, 2019 में मिला नारी शक्ति पुरस्कार, तथा अन्य कई पुरस्कार शामिल हैं। इसके अलावा 2014 में आरिफा को यूनाइटेड स्टेट्स में आयोजित महिला उद्यमिता के एक कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया था। वहाँ उन्हें यूनाइटेड स्टेट्स की नागरिकता के लिए योग्यता-प्रमाणपत्र भी दिया गया।
आरिफा ने प्रधानमंत्री के ट्विटर हैंडल से ट्वीट करते हुए कहा था कि महिलाओं के लिए आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होना बहुत ज़रूरी है। उनका कहना यह भी है कि परम्परा के साथ जब आधुनिकता का समन्वय होता है, तो बड़े परिणाम सामने आते हैं। आरिफा जैसे लोग हमारे लिए प्रेरणास्रोत हैं और निश्चय ही समाज की अन्य महिलाओं के आत्मविश्वास की कारक भी।
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प्रेरक
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