भारतीय उपक्रमी महिला — आरिफा जान | श्वेता यादव की रिपोर्ट | Indian Women Entrepreneur - Arifa Jan

भारतीय उपक्रमी महिला श्रृंखला, जानिये कश्मीर की आरिफा जान (Arifa Jan) को। युवा पत्रकार श्वेता यादव की रिपोर्ट।  


महिलाओं के लिए आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होना बहुत ज़रूरी है

— आरिफा जान



हस्तशिल्प एक प्राचीन कला है। हमारे पास मनुष्यों द्वारा इस्तेमाल रंगों और चित्रों का लगभग चालीस हज़ार सालों का इतिहास है। धीरे-धीरे ये रंग और चित्र जीवन के विभिन्न हिस्सों में उतरते हैं और नई-नई कलाओं को जन्म देते हैं। हस्तकला भी रंगों और चित्रों के इसी गठजोड़ के विकास से निकली कला है। हमारे देश में हस्तकला के विभिन्न प्रकार प्रचलित हैं। बहुत-सी कलाएँ इनमें गुम हो गयीं तो बहुत-सी नये तरह की कलाएँ विकसित हुईं और बहुत-सी खो चुकी कलाओं को पुनः जीवित करने का काम समाज में चलता रहता है। हर समय में कुछ लोग ऐसे होते हैं जो इस बड़े महत्वपूर्ण काम को अपने ज़िम्मे लेने का साहस करते हैं और उनमें से भी कुछ ही, अपनी पहचान बना पाते हैं। यह और अधिक कठिन तब हो जाता है, जब सामान्यतया स्त्री को दोयम दरजे का समझने वाले समाज में यह काम कोई स्त्री अपने कंधों पर उठाये। आत्मविश्वास और आर्थिकी भी दृढ़ करने वाले किसी काम को स्त्री के द्वारा किया जाना अधिसंख्य पुरुष समाज पचा नहीं पाता, लेकिन फिर भी, हमारे यहाँ ऐसी कई स्त्रियाँ हुई हैं जिन्होंने न केवल अत्यंत निष्ठा और विश्वास से इस क्षेत्र को अपना कार्य-क्षेत्र बनाया, बल्कि अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान भी बनायी। बीते महिला दिवस पर प्रधानमंत्री ने देश की कुछ उल्लेखनीय महिलाओं को अपना ट्विटर अकाउंट सौंपा था, उनमें दो महिलाएँ हस्तकला के क्षेत्र से थीं। इसी बहाने, आइये, देश की कुछ ऐसी उल्लेखनीय स्त्रियों के बारे में जानते हैं। इस कड़ी में पहला नाम आरिफा जान का है।



आरिफा श्रीनगर, कश्मीर की हैं और पिछले आठ सालों से कश्मीरी नम्दा हस्तशिल्प को पुनर्जीवित और स्थापित करने का काम कर रही हैं। नम्दा हस्तकला ग्यारवीं सदी की कला है। 33 साल की आरिफा ने क्राफ्ट डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट श्रीनगर से पोस्टग्रेजुएशन किया है। साल 2012 में उन्होंने श्रीनगर में नम्दा हस्तकला को लेकर व्यापार शुरू किया। महज़ एक साल बाद ही उनके उल्लेखनीय काम की वजह से श्रीनगर के ही एक प्रतिनिधि बिज़नेस हाउस ने उनका सम्मान किया था। बहुत छोटे और कम संसाधनों से काम शुरू करने वाली आरिफा, एक दशक से भी कम समय में अपने साथ 50 से अधिक महिलाओं को रोज़गार उपलब्ध कराती हैं और 100 से अधिक महिलाओं को उन्होंने प्रशिक्षित किया है।



2014 में उन्होंने कश्मीर में ही अपने दो और केंद्र खोले हैं। उनको मिले पुरस्कारों में 2016 में मिला एक लाइफ़टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड, 2019 में मिला नारी शक्ति पुरस्कार, तथा अन्य कई पुरस्कार शामिल हैं। इसके अलावा 2014 में आरिफा को यूनाइटेड स्टेट्स में आयोजित महिला उद्यमिता के एक कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया था। वहाँ उन्हें यूनाइटेड स्टेट्स की नागरिकता के लिए योग्यता-प्रमाणपत्र भी दिया गया।

आरिफा ने प्रधानमंत्री के ट्विटर हैंडल से ट्वीट करते हुए कहा था कि महिलाओं के लिए आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होना बहुत ज़रूरी है। उनका कहना यह भी है कि परम्परा के साथ जब आधुनिकता का समन्वय होता है, तो बड़े परिणाम सामने आते हैं। आरिफा जैसे लोग हमारे लिए प्रेरणास्रोत हैं और निश्चय ही समाज की अन्य महिलाओं के आत्मविश्वास की कारक भी।




श्वेता यादव

००००००००००००००००


एक टिप्पणी भेजें

1 टिप्पणियाँ

ये पढ़ी हैं आपने?

Hindi Story: कोई रिश्ता ना होगा तब — नीलिमा शर्मा की कहानी
विडियो में कविता: कौन जो बतलाये सच  — गिरधर राठी
इरफ़ान ख़ान, गहरी आंखों और समंदर-सी प्रतिभा वाला कलाकार  — यूनुस ख़ान
ईदगाह: मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी | Idgah by Munshi Premchand for Eid 2025
परिन्दों का लौटना: उर्मिला शिरीष की भावुक प्रेम कहानी 2025
Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
ज़ेहाल-ए-मिस्कीं मकुन तग़ाफ़ुल Zehaal-e-miskeen makun taghaful زحالِ مسکیں مکن تغافل
रेणु हुसैन की 5 गज़लें और परिचय: प्रेम और संवेदना की शायरी | Shabdankan
एक पेड़ की मौत: अलका सरावगी की हिंदी कहानी | 2025 पर्यावरण चेतना
द ग्रेट कंचना सर्कस: मृदुला गर्ग की भूमिका - विश्वास पाटील की साहसिक कथा