![]() |
'Hans' Annual Literature Festival: 28 to 30 October, Bikaner House, New Delhi |
तीन दिवसीय राजेंद्र यादव स्मृति समारोह
हिंदी साहित्य जगत की प्रसिद्ध पत्रिका ‘हंस’ अपने वार्षिक साहित्योत्सव का आयोजन कर रही है. ‘हंस साहित्योत्सव’ का आयोजन 28 से 30 अक्टूबर तक नई दिल्ली स्थित बीकानेर हाउस में किया जा रहा है.
वरिष्ठ कथाकार राजेंद्र यादव स्मृति समारोह के नाम से चर्चित ‘हंस साहित्योत्सव’ में हिंदी जगत के साहित्य, रंगमंच और सिनेमा पर चर्चा होगी. साहित्य उत्सव में देशभर के प्रमुख लेखक, प्रकाशक, अनुवादक, रंगमंच कलाकार, निर्देशक और फिल्मी हस्तियां शिरकत कर रही हैं. ये हस्तियां विभिन्न सत्रों के माध्यम से पाठकों-दर्शकों से संवाद करेंगी.
तीन दिन चलने वाले राजेंद्र यादव स्मृति समारोह में अनेक रोचक सत्रों का आयोजन किया गया है. इनमें लिंग समानता; महिला और हिंसा; सिनेमा के पर्दे पर महिला का बदलता चेहरा; अनुवाद के महत्व, लेखक के जीवन में प्रबंधक का महत्व आदि सत्र शामिल हैं. इन सत्रों का केंद्र बिन्दु साहित्य, कला और सिनेमा में महिलाओं की भूमिका होगा.
‘हंस’ की प्रबंध निदेशक रचना यादव ने बताया कि ‘हंस साहित्योत्सव’ के पीछे का उद्देश्य देशभर में हिंदी की अपार साहित्यिक और रचनात्मक प्रतिभाओं को पहचानना और उनका जश्न मनाना है. उन्होंने कहा कि यह हमारी समर्थ एवं समृद्ध हिंदी भाषा का भी जश्न है जिसमें रचनात्मक अभिव्यक्ति की अपार संभावनाएं मौजूद हैं. यह कार्यक्रम एक रचनाकार (विशेष रूप से महिला रचनाकार) के समक्ष आने वाली चुनौतियों एवं उनके समाधानों को तलाशने और जानने की भी एक कोशिश है.
हंस साहित्योत्सव के सत्र 28 अक्टूबर दोपहर 12.15 बजे ‘स्त्री कथा का सारा आकाश और हंस’ विषय पर चर्चा होगी. इसमें शिरकत कर रही हैं चर्चित लेखिका ममता कालिया, अनामिका, अलका सरावगी, रोहिणी अग्रवाल और संजीव कुमार.
दोपहर 1.15 बजे परंपरा के आईने में स्त्री छवि विषय पर सुशीला टाकभौरे, उर्वशी बुटालिया, पंकज बिष्ट, रश्मि भारद्वाज, माने मकर्तच्यान और मनीषा पांडे शिरकत रही हैं.
शाम 3 बजे ‘हिंदी साहित्य में स्त्री आलोचकों की पहचान’ विषय पर सुधा सिंह, वीरेंद्र यादव, रश्मि रावत, प्रज्ञा रोहिणी और नीलिमा चौहान अपने विचार व्यक्त करेंगी.
शाम 4 बजे ‘स्त्री और हिंसा’ विषय पर एक सत्र का आयोजन किया जाएगा. इस सत्र में कथाकार सुधा अरोड़ा, गरिमा श्रीवास्तव, प्रियंका दुबे, नीला प्रसाद, मीना सोनी और सुदीप्ति अपने-अपने विचार व्यक्त करेंगी.
29 अक्टूबर को प्रात: 11 बजे कितनी बराबरी, कैसी आजादी नामक सत्र में वृंदा ग्रोवर, सविता सिंह, जया जादवानी, अंजली देशपांडे, सुजाता और देवयानी भारद्वाज भाग ले रही हैं.
इसी दिन दोपहर 2.30 बजे ‘कविता में स्त्री और स्त्री में कविता’ विषय पर असद जैदी, गगन गिल, शुभा, कात्यानी, लीना मल्होत्रा, ज्योति चावला और पूनम अरोड़ा अपने विचार प्रस्तुत कर रही हैं.
30 अक्टूबर को प्रातः 11 बजे जिलियन राइट, सुकृता पॉल कुमार, रख्शंदा जलील, मधु बी. जोशी, सुयश सुप्रभ और कुणाल रे स्त्री ‘लेखन और अनुवाद’ विषय पर संवाद करेंगे.
तीन दिन चलने वाले राजेंद्र यादव स्मृति समारोह में अनेक रोचक सत्रों का आयोजन किया गया है. इनमें लिंग समानता; महिला और हिंसा; सिनेमा के पर्दे पर महिला का बदलता चेहरा; अनुवाद के महत्व, लेखक के जीवन में प्रबंधक का महत्व आदि सत्र शामिल हैं. इन सत्रों का केंद्र बिन्दु साहित्य, कला और सिनेमा में महिलाओं की भूमिका होगा.
‘हंस’ की प्रबंध निदेशक रचना यादव ने बताया कि ‘हंस साहित्योत्सव’ के पीछे का उद्देश्य देशभर में हिंदी की अपार साहित्यिक और रचनात्मक प्रतिभाओं को पहचानना और उनका जश्न मनाना है. उन्होंने कहा कि यह हमारी समर्थ एवं समृद्ध हिंदी भाषा का भी जश्न है जिसमें रचनात्मक अभिव्यक्ति की अपार संभावनाएं मौजूद हैं. यह कार्यक्रम एक रचनाकार (विशेष रूप से महिला रचनाकार) के समक्ष आने वाली चुनौतियों एवं उनके समाधानों को तलाशने और जानने की भी एक कोशिश है.
हंस साहित्योत्सव के सत्र 28 अक्टूबर दोपहर 12.15 बजे ‘स्त्री कथा का सारा आकाश और हंस’ विषय पर चर्चा होगी. इसमें शिरकत कर रही हैं चर्चित लेखिका ममता कालिया, अनामिका, अलका सरावगी, रोहिणी अग्रवाल और संजीव कुमार.
दोपहर 1.15 बजे परंपरा के आईने में स्त्री छवि विषय पर सुशीला टाकभौरे, उर्वशी बुटालिया, पंकज बिष्ट, रश्मि भारद्वाज, माने मकर्तच्यान और मनीषा पांडे शिरकत रही हैं.
शाम 3 बजे ‘हिंदी साहित्य में स्त्री आलोचकों की पहचान’ विषय पर सुधा सिंह, वीरेंद्र यादव, रश्मि रावत, प्रज्ञा रोहिणी और नीलिमा चौहान अपने विचार व्यक्त करेंगी.
शाम 4 बजे ‘स्त्री और हिंसा’ विषय पर एक सत्र का आयोजन किया जाएगा. इस सत्र में कथाकार सुधा अरोड़ा, गरिमा श्रीवास्तव, प्रियंका दुबे, नीला प्रसाद, मीना सोनी और सुदीप्ति अपने-अपने विचार व्यक्त करेंगी.
29 अक्टूबर को प्रात: 11 बजे कितनी बराबरी, कैसी आजादी नामक सत्र में वृंदा ग्रोवर, सविता सिंह, जया जादवानी, अंजली देशपांडे, सुजाता और देवयानी भारद्वाज भाग ले रही हैं.
इसी दिन दोपहर 2.30 बजे ‘कविता में स्त्री और स्त्री में कविता’ विषय पर असद जैदी, गगन गिल, शुभा, कात्यानी, लीना मल्होत्रा, ज्योति चावला और पूनम अरोड़ा अपने विचार प्रस्तुत कर रही हैं.
30 अक्टूबर को प्रातः 11 बजे जिलियन राइट, सुकृता पॉल कुमार, रख्शंदा जलील, मधु बी. जोशी, सुयश सुप्रभ और कुणाल रे स्त्री ‘लेखन और अनुवाद’ विषय पर संवाद करेंगे.
००००००००००००००००