पाठक हतप्रभ रह जाता है… पाठक को समझ ही नहीं आ रहा होता कि आखिर कैसे एक-कहानी को पढ़ कर वह उस 'दुनिया' में विचरण कर आया, जो उसके अंतस में थी…
'शिवमूर्ति' पर केन्द्रित 'मंच' का विशेषांक उत्तर भारत के ग्रामीण जनजीवन, किसानों, मजदूरों, स्त्रिायों तथा दलितों की दयनी…
कहानी सिरी उपमा जोग शिवमूर्ति किर्र-किर्र-किर्र घंटी बजती है। एक आदमी पर्दा उठाकर कमरे से बाहर निकलता है। अर्दली बाहर प्रतीक्षारत लोग…