दर्द को दोहराया नहीं जा सकता - सुशील उपाध्याय की कवितायेँ दुखती रग पर हाथ! दुखती रग पर रखे गए तुम्हारे हाथ को, अपना समझकर स्वी…
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Vandana Rag
हद्द बेशरम हो तुम, जब बच्चे छोटे थे तो कभी गोदी में बिठाया तुमने? आज बड़े आये ह…
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