गारत हो दिमाग़! कमबख्त डिश कहीं की हो, क्या फ़र्क़ पड़ता है। पर दिमाग़ है कि सबकुछ नोट किये बिना मानता नहीं, बस जीवन की मुफ़लिस-सी आवाज़ में बयान …
आगे पढ़ें »
Vandana Rag
हद्द बेशरम हो तुम, जब बच्चे छोटे थे तो कभी गोदी में बिठाया तुमने? आज बड़े आये ह…
Social Plugin