अनजाने पते प्रज्ञा पाण्डेय कहीं दीप जले कहीं दिल। ---- ज़रा देख ले आके ओ परवाने , तेरी कौन सी है मंजिल ' गीत का अर्थ समझते घर पहुंचते-पहुंचत…
आगे पढ़ें »सूना हुआ जीवंत कोना अनंत विजय जिंदगी की पिच पर खुशवंत सिंह शतक से चूक गए जिंदगी की पिच पर खुशवंत सिंह शतक से चूक गए और निन्यानवे साल की…
आगे पढ़ें »शब्दांकन ई पत्रिका Shabdankan E magazine on behalf of Sahitya Akademi & Ministry of Culture cordially invites you to ✔ Sabad- A W…
आगे पढ़ें »संस्थान और अकादमी का यह योगदान मैं कैसे भूल सकता हूं कि इन्हीं के ज़रिए एक से एक दिग्गज महनीय साहित्यकार और श्रेष्ठ व्यक्तियों के निकट आने और सम्मान…
आगे पढ़ें »नवउदारवाद और सांप्रदायिक फ़ासीवाद का उभार प्रभात पटनायक साझा संस्कृति संगम : प्रभात पटनायक का उदघाटन आलेख जनवादी लेखक संघ, आठवां राष्ट्रीय सम…
आगे पढ़ें »गुलामी का आनन्द उठाने वाले आजादी के खतरों से बचते रहते हैं मैत्रेयी पुष्पा का खुला ख़त (अरविन्द केजरीवाल के नाम) प्रिय अरविन्द ( केजरीवाल ) म…
आगे पढ़ें »जलेस - इलाहाबाद प्रस्ताव जनवादी लेखक संघ, आठवां राष्ट्रीय सम्मेलन (14-15 फरवरी 2014, इलाहाबाद) आने वाले आम चुनावों में फ़ासीवादी ताक़तों को …
आगे पढ़ें »हद्द बेशरम हो तुम, जब बच्चे छोटे थे तो कभी गोदी में बिठाया तुमने? आज बड़े आये ह…
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