न्याय - शब्दांकन (प्रो० चेतन)

कि सुखनवरों का खून क्यूँ कर ठण्डा हो गया है
दर्द अंगड़ाई नहीं लेता ये क्या हो गया है ?

क़त्ल या हो कोई बे-आबरू तुम्हें क्या मतलब ?
ए खुदा तू ही बता, इन्सां को क्या हो गया है।

कितनी क़ुरबानी चाहते हो कि चमन जल जाए
क़ि नींद टूट जाए तुम्हारी, होश हो गया है। 
प्रो० चेतन प्रकाश 'चेतन'
 

एक टिप्पणी भेजें

1 टिप्पणियाँ

  1. बहुत खूब
    लेकिन सुखनवर ही है जिनका खून ठंडा नहीं होता

    जवाब देंहटाएं

ये पढ़ी हैं आपने?

Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
एक पेड़ की मौत: अलका सरावगी की हिंदी कहानी | 2025 पर्यावरण चेतना
ईदगाह: मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी | Idgah by Munshi Premchand for Eid 2025
चित्तकोबरा क्या है? पढ़िए मृदुला गर्ग के उपन्यास का अंश - कुछ क्षण अँधेरा और पल सकता है | Chitkobra Upanyas - Mridula Garg
मन्नू भंडारी: कहानी - एक कहानी यह भी (आत्मकथ्य)  Manu Bhandari - Hindi Kahani - Atmakathy
गिरिराज किशोर : स्मृतियां और अवदान — रवीन्द्र त्रिपाठी
कोरोना से पहले भी संक्रामक बीमारी से जूझी है ब्रिटिश दिल्ली —  नलिन चौहान
मैत्रेयी पुष्पा की कहानियाँ — 'पगला गई है भागवती!...'
ठण्डी चाय: संदीप तोमर की भावनात्मक कहानी
Harvard, Columbia, Yale, Stanford, Tufts and other US university student & alumni STATEMENT ON POLICE BRUTALITY ON UNIVERSITY CAMPUSES