वे और उनकी बातें - अखिलेश्वर पांडेय की कवितायेँ

अखिलेश्वर पांडेय
Akhileshwar-Pandey अखिलेश्वर पांडेय शब्दांकनजन्म : 31 दिसंबर 1975
कादम्बनी, कथादेश, पाखी, साक्षात्कार, प्रभात खबर, अमर उजाला, दैनिक जागरण, दैनिक भाष्कर, हरिगंधा, मरुगंधा आदि पत्र-पत्रिकाओं में कविताएं, कहानियां, लघुकथा, लेख, टिप्पणी व समीक्षाएं प्रकाशित. पटना व भोपाल आकाशवाणी केंद्र से कविता पाठ व परिचर्चा प्रसारित. संप्रति ‘प्रभात खबर’ जमशेदपुर में मुख्य उप संपादक.
संपर्क : प्रभात खबर, ठाकुर प्यारा सिंह रोड, काशीडीह, साकची, जमशेदपुर (झारखंड), पिन- 831001
मोबाइल: 08102397081

वे और उनकी बातें

उनको फल है इतना प्रिय
देखते हैं भाग्यफल
कहते हैं-
आदमी का आदमी बने रहने को
निष्काम कर्म जरूरी है
पर खुद हर काम करने के बाद करते हैं फल की चिंता
उनको पसंद है
एक अनार सौ बीमार वाले अनार
अंगूर खट्टे हैं वाले अंगूर
वे रोमांचित होते हैं
पृथ्वी के नारंगी जैसी होने की बात पर
हंसते हुए कहते हैं-
न्यूटन को सेब के बगीचे में बैठना अच्छा लगता था.


कविता

कविता नहीं बना सकती किसी दलित को ब्राहमण
कविता नहीं दिला सकती सूखे का मुआवजा
कविता नहीं बढा सकती खेतों की पैदावार
कविता नहीं रोक सकती बढती बेरोजगारी
कविता नहीं करा सकती किसी बेटी का ब्याह
कविता नहीं मिटा सकती अमीरी-गरीबी का भेद
कवियों!
तुम्हारी कविता
मिट्टी का माधो है..
जो सिर्फ दिखता अच्छा है
अंदर से है खोखला..!
कवियों!
तुम्हारी कविता
खोटा सिक्का है..
जो चल नहीं सकता
इस दुनिया के बाजार में..!


मास्क वाले चेहरे

मैं अक्सर निकल जाता हूँ भीड़भाड़ गलियों से
रोशनी से जगमग दुकाने मुझे परेशान करती हैं
मुझे परेशान करती है उन लोगों की बकबक
जो बोलना नहीं जानते
मै भीड़ नहीं बनना चाहता बाज़ार का
मैं ग्लैमर का चापलूस भी नहीं बनना चाहता
मुझे पसंद नहीं विस्फोटक ठहाके
मै दूर रहता हूँ पहले से तय फैसलों से
क्योंकि एकदिन गुजरा था मै भी लोगों के चहेते रास्ते से
और यह देखकर ठगा रह गया कि
मेरा पसंदीदा व्यक्ति बदल चुका था
बदल चुकी थी उसकी प्राथमिकताएं
उसका नजरिया, उसके शब्द
उसका लिबास भी
लौट आया मैं चुपचाप
भरे मन से निराश होकर
तभी से अकेला ही अच्छा लगता है
अच्छा लगता दूर रहना ऐसे लोगों से
जिन्होंने अपना बदनुमा चेहरा छिपाने को
लगा रखा है सुंदर सा मास्क

एक टिप्पणी भेजें

1 टिप्पणियाँ

  1. 'KAVITA' kavita shandar, 'MASK' pahanna kabhikabhi jaroori lagta hai, lekin dhyan rakhung, jab aapse milaqat ho, to chehre par mask na rahe

    ramendra

    जवाब देंहटाएं

ये पढ़ी हैं आपने?

Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
कोरोना से पहले भी संक्रामक बीमारी से जूझी है ब्रिटिश दिल्ली —  नलिन चौहान
गिरिराज किशोर : स्मृतियां और अवदान — रवीन्द्र त्रिपाठी
मन्नू भंडारी की कहानी — 'रानी माँ का चबूतरा' | Manu Bhandari Short Story in Hindi - 'Rani Maa ka Chabutra'
ज़ेहाल-ए-मिस्कीं मकुन तग़ाफ़ुल Zehaal-e-miskeen makun taghaful زحالِ مسکیں مکن تغافل
ईदगाह: मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी | Idgah by Munshi Premchand for Eid 2025
मन्नू भंडारी की कहानी  — 'नई नौकरी' | Manu Bhandari Short Story in Hindi - 'Nayi Naukri' मन्नू भंडारी जी का जाना हिन्दी और उसके साहित्य के उपन्यास-जगत, कहानी-संसार का विराट नुकसान है
मैत्रेयी पुष्पा की कहानियाँ — 'पगला गई है भागवती!...'
मन्नू भंडारी, कभी न होगा उनका अंत — ममता कालिया | Mamta Kalia Remembers Manu Bhandari
NDTV Khabar खबर