कवि-खोजी मनमौजी सिलसिला - अशोक चक्रधर | Chakradhar-Chaman

चौं रे चम्पू 

कवि-खोजी मनमौजी सिलसिला


अशोक चक्रधर

— चौं रे चम्पू! है कहां? दिखौ ई नायं भौत दिनन ते! कहां भटकि रह्यौ ऐ रे लल्ला?

— चचा, आज ही अपनी बिहार-यात्रा समाप्त हुई है। बिहार के ख़ूब सारे युवा कवियों के साथ काव्यधन्यालोकलोचन की प्रक्रिया में रहा। आरा, गया, बोधगया, नवादा, बिहारशरीफ़, हाजीपुर, पटना, गोपालगंज और मोतिहारी। यहां डॉ. विष्णु सक्सेना, डॉ. प्रवीण शुक्ल, सर्वेश अस्थाना, विनीत चौहान और मुमताज नसीम के साथ, हिंदुस्तान टाइम्स की एक कार्यक्रम शृंखला में था। हमारे साथ-साथ चलता रहा चक्रधर-चमन

— चक्रधर-चमन! कोई चमन चलि कैसै सकै? का चक्कर ऐ रे?

— यही तो आनंद है चचा। फिलहाल चलता-फिरता चमन है। जिन-जिन शहरों में गए वहां के युवा कवियों को समाचारपत्र और दूरदर्शन के माध्यम से खुला न्यौता देकर बुलाया गया। हम छ: कवियों की मंडली, एक प्रकार से निर्णायक टीम बन गई। आप आश्चर्य करेंगे चचा कि मंच के लिए कई अद्भुत कवि मिले। नृत्य, गायन, अभिनय और लाफ़्टर क्षेत्र की प्रतिभाओं की खोज के लिए बहुत सारे प्रतियोगिता आधारित रिएलिटी शोज़ टीवी की विभिन्न चैनलों पर चल रहे हैं। ज्ञान की परीक्षा के लिए ‘कौन बनेगा करोड़पति’ भी चलता रहा है, लेकिन काव्य-प्रतिभाओं को तलाशने का कोई कार्यक्रम अभी तक नहीं आया। मैं पचास साल से कविसम्मेलन-मुशायरे की समृद्ध वाचिक परंपरा से जुड़ा हुआ हूं, सो मैंने कुछ सोचा, और जो सोचा दूरदर्शन ने सहर्ष स्वीकार कर लिया। महानिदेशक श्री त्रिपुरारि शरण को आइडिया पसंद आया। अब ’चक्रधर चमन’ के लिए पूर्व तैयारी कई स्तरों पर चल रही है चचा। इरादा है कि हर प्रांत में युवा कवियों की खोज के लिए अपने कुछ मालियों को साथ लेकर जाऊं।

— और जानकारी दै चमन के बारे में!

उमंग-तरंग की कविताओं और नए कवियों की खोज पर आधारित यह कार्यक्रम मंचीय कविता का एक शानदार हास्य-व्यंग्य-खोजी और मनमौजी कार्यक्रम होगा। हालांकि हमारा मानना है कि हर ललित कला सिखाई जा सकती है, लेकिन कवि बनाने का कोई संस्थान आज तक नहीं बना है। हमारा दावा यह नहीं होगा कि हम किसी को भी कवि बना देंगे, लेकिन जिसमें कवि होने की ज़रा भी संभावना होगी उसे तराश ज़रूर देंगे। कविता की आंतरिक लय और शिल्प से परिचित कराएंगे। तो यह कार्यक्रम ऐसा होगा जिसमें, युवा हास्य-व्यंग्य कवियों की खोज की जाएगी, उनके बीच प्रतियोगिता कराई जाएगी और उन्हें प्रोत्साहन दिया जाएगा। हर बार निर्णायक के रूप में तुम्हारे चम्पू के साथ वरिष्ठ कविगुरु रहेंगे। लोकप्रिय कवियों का काव्य-पाठ भी होगा।

— बिचार तौ अच्छौ ऐ रे! 


— हां चचा! बहुत से युवा कवि ऐसे हैं, जिनमें मंच के प्रस्तुति-गुण तो हैं, लेकिन कथ्य जानदार नहीं है। कुछ ऐसे हैं जिनके पास कथ्य है लेकिन प्रस्तुति नहीं है। यह कार्यक्रम प्रतियोगिता और प्रशिक्षण के ज़रिए दोनों पक्षों को मज़बूत बनाएगा। हिंदी-उर्दू कविता की गंगा-जमुनी तहज़ीब सामने आएगी। हम अपनी भाषाओं से प्रेम करना सीखेंगे। पिछले पांच वर्षों में हास्य कविता के नाम पर लतीफों का चलन बढ़ गया है, जिससे युवाओं तक यह संदेश जा रहा है कि यही मंचीय कविता है। द्विअर्थी लाफ्टर शोज़ के सामने कविसम्मेलन के अस्तित्व को मज़बूत किया जाएगा।
देश की हस्तियों के साथ थोड़ी काव्यात्मक मस्ती की जाएगी। दर्शकों की सहभागिता के लिए एसएमएस और सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया जाएगा। मेरे फेसबुक पृष्ठ पर लाइक करने वालों की संख्या इस समय लगभग एक लाख अठारह हज़ार है, जो निरंतर बढ़ रही है। इनमें हज़ारों की संख्या में ऐसे लोग हैं जिनकी कविता में गहरी दिलचस्पी है। उन्हें भी कार्यक्रम से जोड़ा जाएगा।

—  इरादौ तौ नेक ऐ रे। 

— फिर से बता दूं चचा कि हमारी प्राथमिकता रहेगी कि यह कार्यक्रम हिंदी-उर्दू कविता की छिपी हुई प्रतिभाओं की खोज करे तथा उन्हें परिपक्व बनाए। कविताओं के ज़रिए श्रोताओं का स्वस्थ मनोरंजन कर सके। जनतांत्रिक मूल्यों की लक्ष्मण रेखा में रहते हुए वर्तमान राजनीति और सामाजिक विसंगतियों पर कटाक्ष कर सके। आदर्श कविता की मल्टी-मीडिया द्वारा उदाहरण देते हुए प्रस्तुति करे। वर्तमान श्रेष्ठ कवियों को गुरु रूप में प्रस्तुत करे। उनके काव्यपाठ को युवाओं के समक्ष उदाहरण के रूप में प्रस्तुत करे। दिवंगत कवियों, शायरों की फुटेज का प्रयोग करे।

— कबीन की कमी थोड़ई ऐ हमाए देस में!

— हां, स्वयं को कवि मानने वाले लोगों की संख्या कम नहीं है, पर कसौटी पर खरे तो तब उतरते हैं, जब श्रोताओं की तालियां बजती हैं, वाह-वाह होती है और कवि एक चुम्बक बन जाता है। युवा कवि-कवयित्री मिल रहे हैं चचा। जल्दी ही सुनने देखने को मिलेंगे।

अशोक चक्रधरashok@chakradhar.com | www.chakradhar.in

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

ये पढ़ी हैं आपने?

विनाश-दूत – मृदुला गर्ग की मार्मिक और विचारोत्तेजक कहानी | Shabdankan
कहानी ... प्लीज मम्मी, किल मी ! - प्रेम भारद्वाज
पूरा भाषण: गयाना में पाकिस्तान की कश्मीर लालसा पर शशि थरूर का करारा जवाब
ज़ेहाल-ए-मिस्कीं मकुन तग़ाफ़ुल Zehaal-e-miskeen makun taghaful زحالِ مسکیں مکن تغافل
ईदगाह: मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी | Idgah by Munshi Premchand for Eid 2025
Hindi Story: कोई रिश्ता ना होगा तब — नीलिमा शर्मा की कहानी
मन्नू भंडारी की कहानी — 'रानी माँ का चबूतरा' | Manu Bhandari Short Story in Hindi - 'Rani Maa ka Chabutra'
दो कवितायेँ - वत्सला पाण्डेय
मन्नू भंडारी की कहानी  — 'नई नौकरी' | Manu Bhandari Short Story in Hindi - 'Nayi Naukri' मन्नू भंडारी जी का जाना हिन्दी और उसके साहित्य के उपन्यास-जगत, कहानी-संसार का विराट नुकसान है
Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी